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स्कूलों में आयोजित होगा थैलेसीमिया अवेयरनेस सेशन, शिक्षा निदेशालय ने जारी किए निर्देश

सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को थैलेसीमिया बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए थैलेसीमिया एक्सपर्ट को स्कूल में बुलाने के निर्देश दिए गए हैं. इसका उद्देश्य छात्रों को बीमारी से जागरूक करना है.

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Published : Oct 14, 2019, 9:29 AM IST

स्कूलों में आयोजित होगा थैलेसीमिया अवेयरनेस सेशन

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को समय-समय पर बीमारियों के बारे में अवगत करवाया जाता है. इसी कड़ी में थैलेसीमिया बीमारी के बारे में छात्रों को जागरूक करने के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. बता दें कि इस बीमारी से छात्रों को अवगत करवाने के लिए थैलेसीमिया एक्सपर्ट को स्कूल में बुलाने के निर्देश दिए गए हैं.

स्कूलों में आयोजित होगा थैलेसीमिया अवेयरनेस सेशन

छात्रों को बीमारी से जागरूक करना उद्देश्य
स्कूली छात्रों को किताबी और व्यवहारिक ज्ञान देने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी स्कुलों द्वारा समय समय पर दी जाती है. शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सभी स्कूलों के एचओएस को यह निर्देश दिया गया है कि वे हेल्थ डिपार्टमेंट से थैलेसीमिया एक्सपर्ट को बुलाकर स्कूल में इस बीमारी की जागरूकता को लेकर सेशन करवाएं. इस सेशन का उद्देश्य छात्रों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाना है जिससे बीमारी के लक्षण या कारण को देखकर छात्र इसका पता लगा सकें और समय रहते यथोचित इलाज भी करवा सकें.

क्या है थैलेसीमिया
बता दें कि थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है जिसके होने पर शरीर मे हेमोग्लोबिन का निर्माण अच्छे से नहीं हो पाता और रोगी के शरीर मे खून की कमी हो जाती है जिसकी पूर्ति के लिए बाहरी खून चढ़ाना पड़ता है. बाहरी खून चढ़ने से शरीर मे लौह तत्व इकट्ठा होने लगता है और शरीर मे कई बीमारियां उपजने लगती हैं. चूंकि इस बीमारी का पता तीन माह के बाद ही लग पाता है तबतक रोगी के शरीर मे खून की भारी कमी हो जाती है और कमजोरी के चलते जल्दी ही रोगी की मृत्यु हो जाती है. ज्ञात हो कि यह एक अनुवांशिक रोग है जो माता पिता के जरिये बच्चों को होता है.

बता दें कि थैलेसीमिया अवेयरनेस सेशन 1मई से 10 मई तक आयोजित किया जाना था लेकिन गर्मी की छुट्टियां होने के चलते कई स्कूलों में यह सेशन नहीं हो पाया था. इसी को संज्ञान में लेते हुए शिक्षा निदेशालय ने 31 अक्टूबर तक सभी स्कूलों में इस सेशन को आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को समय-समय पर बीमारियों के बारे में अवगत करवाया जाता है. इसी कड़ी में थैलेसीमिया बीमारी के बारे में छात्रों को जागरूक करने के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. बता दें कि इस बीमारी से छात्रों को अवगत करवाने के लिए थैलेसीमिया एक्सपर्ट को स्कूल में बुलाने के निर्देश दिए गए हैं.

स्कूलों में आयोजित होगा थैलेसीमिया अवेयरनेस सेशन

छात्रों को बीमारी से जागरूक करना उद्देश्य
स्कूली छात्रों को किताबी और व्यवहारिक ज्ञान देने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी स्कुलों द्वारा समय समय पर दी जाती है. शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सभी स्कूलों के एचओएस को यह निर्देश दिया गया है कि वे हेल्थ डिपार्टमेंट से थैलेसीमिया एक्सपर्ट को बुलाकर स्कूल में इस बीमारी की जागरूकता को लेकर सेशन करवाएं. इस सेशन का उद्देश्य छात्रों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाना है जिससे बीमारी के लक्षण या कारण को देखकर छात्र इसका पता लगा सकें और समय रहते यथोचित इलाज भी करवा सकें.

क्या है थैलेसीमिया
बता दें कि थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है जिसके होने पर शरीर मे हेमोग्लोबिन का निर्माण अच्छे से नहीं हो पाता और रोगी के शरीर मे खून की कमी हो जाती है जिसकी पूर्ति के लिए बाहरी खून चढ़ाना पड़ता है. बाहरी खून चढ़ने से शरीर मे लौह तत्व इकट्ठा होने लगता है और शरीर मे कई बीमारियां उपजने लगती हैं. चूंकि इस बीमारी का पता तीन माह के बाद ही लग पाता है तबतक रोगी के शरीर मे खून की भारी कमी हो जाती है और कमजोरी के चलते जल्दी ही रोगी की मृत्यु हो जाती है. ज्ञात हो कि यह एक अनुवांशिक रोग है जो माता पिता के जरिये बच्चों को होता है.

बता दें कि थैलेसीमिया अवेयरनेस सेशन 1मई से 10 मई तक आयोजित किया जाना था लेकिन गर्मी की छुट्टियां होने के चलते कई स्कूलों में यह सेशन नहीं हो पाया था. इसी को संज्ञान में लेते हुए शिक्षा निदेशालय ने 31 अक्टूबर तक सभी स्कूलों में इस सेशन को आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं.

Intro:नई दिल्ली ।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को समय समय पर बीमारियों के बारे में अवगत करवाया जाता है. वहीं ऐसी ही एक जानलेवा बीमारी है थैलेसीमिया जिसके बारे में छात्रों को जागरूक करने के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. बता दें कि इस बीमारी से छात्रों को अवगत करवाने के लिए थैलेसीमिया एक्सपर्ट को स्कूल में बुलाने के निर्देश दिए गए हैं.


Body:स्कूली छात्रों को किताबी और व्यवहारिक ज्ञान देने के साथ साथ स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी स्कुलों द्वारा समय समय पर दी जाती है. वहीं शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सभी स्कूलों के एचओएस को यह निर्देश दिया गया है कि वे हेल्थ डिपार्टमेंट से थैलेसीमिया एक्सपर्ट को बुलाकर स्कूल में इस बीमारी की जागरूकता को लेकर सेशन करवाएं. इस सेशन का उद्देश्य छात्रों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाना है जिससे बीमारी के लक्षण या कारण को देखकर छात्र इसका पता लगा सकें और समय रहते यथोचित इलाज भी करवा सकें.

क्या है थैलेसीमिया

बता दें कि थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है जिसके होने पर शरीर मे हेमोग्लोबिन का निर्माण अच्छे से नहीं हो पाता और रोगी के शरीर मे खून की कमी हो जाती है जिसकी पूर्ति के लिए बाहरी खून चढ़ाना पड़ता है. बाहरी खून चढ़ने से शरीर मे लौह तत्व इकट्ठा होने लगता है और शरीर मे कई बीमारियां उपजने लगती हैं. चूंकि इस बीमारी का पता तीन माह के बाद ही लग पाता है तबतक रोगी के शरीर मे खून की भारी कमी हो जाती है और कमजोरी के चलते जल्दी ही रोगी की मृत्यु हो जाती है. ज्ञात हो कि यह एक अनुवांशिक रोग है जो माता पिता के जरिये बच्चों को होता है.


Conclusion:बता दें कि थैलेसीमिया अवेयरनेस सेशन 1मई से 10 मई तक आयोजित किया जाना था लेकिन गर्मी की छुट्टियां होने के चलते कई स्कूलों में यह सेशन नहीं हो पाया था. इसी को संज्ञान में लेते हुए शिक्षा निदेशालय ने 31 अक्टूबर तक सभी स्कूलों में इस सेशन को आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं.
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