नई दिल्ली: मजदूर वर्ग को सहूलियत देने के लिए राजधानी दिल्ली में सरकार ने फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन संबंधी गतिविधियों को खोले जाने की इजाजत दी. सोमवार से काम धाम शुरू भी गए, लेकिन फैक्ट्री मालिकों की परेशानी बढ़ गई है. एक तरफ फैक्ट्रियों में मजदूरों की संख्या नहीं है तो दूसरी तरफ काम के लिए रॉ मटेरियल भी नहीं है. जिन जगहों पर रॉ मटेरियल मिल भी रहा है तो वहां दोगुने तक रेट है. ऐसे में फैक्टरी मालिकों को नुकसान हो रहा है.
सहगल कहते हैं कि 55 रुपये वाला लोहा 90 रुपये हो गया है. वो भी पता नहीं मिल पाएगा या नहीं. इसके बाद पानी का बिल, बिजली बिल और GST आदि के खर्चे भी आ गए. वो कहते हैं कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि काम अपने फायदे के लिए खोला है या गुनाह किया है.
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दिल्ली लोहा व्यापार एसोसिएशन के ऑर्गनाइजर सेक्रेटरी अशोक कुमार गर्ग कहते हैं कि उन्हें काम खोले जाने की इजाजत नहीं है. वह कहते हैं कि फैक्ट्रियां खोल दी गई हैं, लेकिन अब फैक्ट्रियां लोहा स्टील और सीमेंट आदि चीजें कहां से लें. यह तो लेबर को खाली बिठा कर पैसे देने की बात हो गई. सबको खर्चा पहले ही दिया जा रहा था, लेकिन फैक्ट्री खोलने से अब और खर्चा बढ़ जाएगा.
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मार्केट को खोला जाना जरूरी
फैक्ट्री मालिक और एसोसिएशन के लोग मांग करते हैं कि मौजूदा समय में सरकार संतों के साथ ही मार्केट को भी खोले जाने की इजाजत दे क्योंकि बिना मार्केट के फैक्ट्रियों का चलना मुश्किल हो रहा है. यही नहीं जीएसटी, बिजली और पानी के बिल पर भी राहत की मांग की जा रही है.