नई दिल्ली: कहते हैं पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती और यह जिंदगी सीखने का नाम है. ये लाइन 65 साल की उम्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) में दाखिला लेकर एमबीए की पढ़ाई कर रहे कुलदीप कपूर पर फिट बैठती हैं.
पांच साल पहले वह पंजाब नेशनल बैंक से वरिष्ठ अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. कुलदीप कपूर ने बातचीत में बताया कि वह दिल्ली के राजौरी गार्डन में परिवार के साथ रहते हैं. उन्होंने वर्ष 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय से गणित में एमएससी किया था. इसके बाद पुणे स्थित नीटी संस्थान से कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा भी किया है. यहीं से वे हर रविवार को सुबह आठ बजे घर से एसओएल में क्लास लेने के लिए निकलते हैं. यहां नौ बजे से शाम साढ़े चार बजे तक लेक्चर लेते हैं. उसके बाद अगर किसी विषय को लेकर कोई सवाल होता है तो उसको लेकर भी शिक्षकों से चर्चा करते हैं. इस तरह से उनका समय बहुत अच्छा बीतता है. कक्षा के अन्य साथियों के साथ भी देश के आर्थिक व सामाजिक मुद्दों को लेकर चर्चा होती है. इसमें काफी कुछ जानने और सीखने को मिलता है.
स्लिप डिस्क की समस्या को दी मातः कुलदीप कपूर का कहना है कि यहां पर फैकल्टी बहुत अच्छी और गुणवत्तापूर्ण हैं. हर विषय को अच्छे से उदाहरण देकर समझाते हैं. इस उम्र में दाखिला लेने से अपने आप को फिट रखने में भी काफी मदद मिल रही है. लोगों के बीच में रहने से और संवाद करने से बुढ़ापे में अक्सर होने वाली डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी बचाव करने में मदद मिल रही है. कोरोना संकट के दिनों में काफी समय घर में रहना पड़ा तो अब बाहर निकलने में भी अच्छा लग रहा है. मुझे स्लिप डिस्क की समस्या थी, इसलिए दाखिला लेने से पहले डाक्टरों की भी सलाह ली और फिर दाखिला लिया.
एसओएल की निदेशक डॉ. पायल मागो और प्राचार्य उमाशंकर पांडेय की देखरेख में एसओेएल के सभी कोर्सेज में काफी अच्छी पढ़ाई हो रही है. कुलदीप कपूर ने बताया कि फिलहाल उनके यूनिट टेस्ट चल रहे हैं. शाम को घर से सात से आठ बजे तक ऑनलाइन परीक्षा देनी पड़ती है. अभी तक तीन टेस्ट हो चुके हैं, जो काफी अच्छे गए हैं.
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