नई दिल्ली: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली अबू धाबी में अपना नया कैंपस खोलने को लेकर उत्साहित है. 2024 में यह कैंपस शुरू भी हो जाएगा. इसमें यूजी, पीजी और डॉक्टरेट स्तर की पढ़ाई होगी. अबू धाबी में यह कैंपस अस्थायी तौर पर संचालित किया जाएगा. बाद में इसे स्थायी कर दिया जाएगा. आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी से इन्हीं सब मुद्दों पर ETV भारत की टीम ने बात की. आइए जानते हैं...
सवाल: आईआईटी दिल्ली अबू धाबी में कैंपस खोल रहा है. अब तक कितना काम हुआ?
जवाब: 15 जुलाई को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और यूएई सरकार के बीच एक एमओयू साइन हुआ है. इसके तहत हम अबू धाबी में कैंपस खोल रहे हैं. कैंपस को मौजूदा समय में संचालित करने के लिए अस्थायी रूप से जगह चिह्नित कर ली गई है. 2024 में प्लान किया गया है कि कैंपस में प्रोग्राम भी शुरू किए जाएंगे. वहां स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों प्रोग्राम होंगे. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य देखभाल, गणित और कंप्यूटिंग, इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रबंधन और मानविकी पर पाठ्यक्रम होंगे.
आईआईटी दिल्ली ने पूरा प्लान तैयार किया है. अबू धाबी में शिक्षा से विदेशी छात्रों और वहां रहने वाले भारतीय मूल के छात्रों को देखते हुए यहां पर साल के अंत तक कई आउटरीच कार्यक्रम किए जाएंगे. अबू धाबी में 18-20 जुलाई को ग्रीष्मकालीन आउटरीच कार्यक्रम हुआ था. इसमें अबू धाबी से लगभग 100 छात्रों ने भाग लिया. छात्रों को रुचि के विभिन्न समसामयिक क्षेत्रों से परिचित कराया गया. विभिन्न विषयों पर कार्यशाला आयोजित की गई. जैसे सहायक प्रौद्योगिकियां, स्वास्थ्य देखभाल और बायो साइंसेज, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जेनरेटिव एएल, रोबोटिक्स और बायोनिक्स और एक जीनोमिक्स. इस तरह की कार्यशाला में सभी सत्रों में छात्रों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली.
सवाल: अबू धाबी के कैंपस में दाखिला का प्रोसेस क्या रहेगा?
जवाब: अबू धाबी में संचालित होने वाले आईआईटी के कैंपस में दाखिला कैसे मिलेगा. यह प्रोसेस अभी फाइनल नहीं हुआ है, क्योंकि प्रोसेस में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स भी आएंगे. साथ ही भारतीय छात्र भी होंगे. इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए जो यूएई का प्रोसेस है, हम उसी अनुसार प्रोसेस बनाएंगे. इस दौरान स्टैंडर्ड और क्वालिटी भी मेंटेन की जाएगी. भारतीय छात्रों के लिए जो प्रोसेस हम आईआईटी दिल्ली कैंपस में फॉलो करते हैं, वही प्रोसेस फॉलो करेंगे. आईआईटी में वैसे दाखिला लेने के लिए छात्रों को जेईई एडवांस क्लियर करना होता है. इसके बाद ही आईआईटी में दाखिला मिल पाता है. हम प्रोसेस का प्लान बना रहे हैं जल्द हम किसी फाइनल प्रोसेस तक पहुंच जाएंगे.
सवाल: आईआईटी दिल्ली कहां-कहां कैंपस खोल रहा है?
जवाब: सोनीपत और झज्जर में काम चल रहा है. सोनीपत में 10 एकड़ जमीन पर निर्माण कार्य हो गया है. अगले साल इस कैंपस को शुरू किया जाएगा. झज्जर के परिसर में अभी समय लगेगा. झज्जर परिसर कैंसर के इलाज के लिए रोगी-विशिष्ट दवा विकास के लिए देश का अपनी तरह का पहला संस्थान होगा. 14 अगस्त को आईआईटी दिल्ली में एक दिवसीय कार्यशाला होगी, जहां मेडिकोज और हेल्थ केयर उद्योग के विशेषज्ञ आगामी आईआईटी दिल्ली-झज्जर कैंपस के लिए मेडटेक और हेल्थकेयर इकोसिस्टम पर चर्चा करेंगे.
एम्स और आईआईटी दिल्ली के बीच मौजूदा समझौता ज्ञापन को भी नवीनीकृत किया जाएगा. हरियाणा के झज्जर जिले में आईआईटी दिल्ली का कैंपस परिसर 3 साल के भीतर बनने की संभावना है. यह कैंसर के इलाज के लिए रोगी-विशिष्ट दवा विकास के लिए देश का अपनी तरह का पहला संस्थान होने जा रहा है. आईआईटी दिल्ली झज्जर परिसर नए पाठ्यक्रमों और जनशक्ति विकास के साथ मेडिकल इमेजिंग के साथ-साथ पैरालिंपियन और खेल चोट निवारण और पुनर्वास चिकित्सा प्रत्यारोपण, निदान, डिवाइस डिजाइन और विकास, और डिजिटल हेल्थकेयर में एएल/एमएल के अनुप्रयोग के लिए प्रदर्शन संवर्धन के क्षेत्रों में भी काम करेगा.
सवाल: आईआईटी दिल्ली के दीक्षांत समारोह में कितने छात्रों को डिग्री मिलेगी?
जवाब: दीक्षांत समारोह में 2,350 से ज्यादा स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को डिग्री दी जाएगी. 355 पीएचडी छात्रों को डिग्री दी जाएगी. दीक्षांत समारोह में प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कांग मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. इसके अलावा इस कार्यक्रम में एलुमनी अवार्ड 2023 भी दिए जाएंगे. अवार्ड की लिस्ट इस प्रकार हैः
- प्रो. आशुतोष सभरवाल (बैच- बी.टेक. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 1993) वर्तमान में- प्रोफेसर, रिच यूनिवर्सिटी, ह्यूस्टन, टेक्सास
- पवन कुमार जैन बैच- बी.टेक. (केमिकल इंजीनियरिंग. 1972) वर्तमान में प्रबंध निदेशक, आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स
- डॉ. नलिन सिंघल बैच- बी.टेक. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 1985) वर्तमान में सीएमडी, बीएचईएल
- प्रोफेसर आरती गुप्ता बैच-बी.टेक. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 1985) प्रोफेसर, प्रिंसटन विश्वविद्यालय
- डॉ. गुरतेज एस संधू बैच-एम.टेक. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 1985) वर्तमान में सीनियर फेलो और वीपी, माइक्रोन टेक्नोलॉजी
- गोल्ड अवार्डी डॉ. आयुष जैन बैच-बी.टेक. (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, 2013) वर्तमान में सहायक प्रोफेसर, कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय
- डॉ. अनंत गोविंद बैच बीटेक ( इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 2013) वर्तमान में सहायक प्रोफेसर, आईआईएससी, बेंगलुरु
सवाल: आईआईटी दिल्ली में छात्र सुसाइड प्रयास कर लेते हैं. छात्रों में तनाव को दूर करने के लिए क्या किया जा रहा है?
जवाब: तनाव से निपटने और छात्रों के बीच मानसिक कल्याण सुनिश्चित करने के लिए मेंटल वेलनेस कार्यक्रम शुरू किया गया है. आईआईटी दिल्ली कुछ मेंटरशिप और इंटरेक्टिव वर्टिकल को मजबूत करने पर जोर दे रहा है, विशेष रूप से कक्षाओं के बाहर छात्रों के साथ बातचीत को लेकर. आईआईटी दिल्ली में पढ़ने वाले सीनियर अपने जूनियर के साथ बात कर रहे हैं. वहीं, हमारे शिक्षक रात में समय उनके साथ भोजन कर उन्हें खुशनुमा माहौल प्रदान कर रहे हैं. इस दौरान यह जांच जा रहा है कि कोई बच्चा तनाव में तो नहीं है. हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि सुसाइड जैसे घटना को होने से रोका जाए.
सवाल: हौज खास में मुख्य परिसर में क्या काम हो रहा है, क्या फायदा होगा?
जवाब: हौज खास में आईआईटी दिल्ली के मुख्य परिसर का निर्माण कार्य चल रहा है. यह सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है. यहां 99बी और 99सी में इंजीनियरिंग ब्लॉक का निर्माण कार्य चल रहा है, जो लगभग 55,000 वर्ग मीटर में फैले हुए हैं. इन इमारतों में कार्यशालाओं, समिति कक्षों, सम्मेलन कक्षों आदि जैसी अन्य सुविधाओं के अलावा लगभग 200 संकाय कार्यालय और 200 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं. ब्लॉक अगले साल की शुरुआत में चालू हो जाएंगे. इसके साथ ही साथ शैक्षणिक ब्लॉक 103 का निर्माण 231.05 करोड़ की लागत से हो रहा है. टाइप-सी स्टाफ और फैकल्टी हाउस की अनुमानित लागत लगभग 121 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है. यहां तीन नए हॉस्टल होंगे, जिनमें 1200 कमरे होंगे. इनके नाम द्रोणागिरि, सह्याद्रि और सप्तगिरि होंगे. इसके साथ ही साथ लड़कों और लड़कियों के लिए एक एक हॉस्टल का निर्माण कार्य भी होगा.
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