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जॉइनिंग न मिलने से अतिथि शिक्षकों में नाराजगी, HOS पर लगाया मनमानी का आरोप

दिल्ली में अतिथि शिक्षकों ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि दिल्ली शिक्षा निदेशालय गेस्ट टीचर्स की जॉइनिंग को लेकर द्वारा दोबारा एक सर्कुलर जारी करें. जिससे किसी भी स्कूल के एचओएस (Head Of Staff) मनमाना रवैया ना अपना सके.

Guest teachers demanded Delhi government for joining
अतिथि शिक्षकों ने जॉइनिंग को लेकर दिल्ली सरकार से की मांग
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Published : Aug 13, 2020, 6:46 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर अतिथि शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षकों के री-जॉइनिंग का ऑर्डर आये करीब एक माह बीत गया. बाबत इसके कई शिक्षकों को अभी तक जॉइनिंग नहीं मिल पाई है. वहीं अतिथि शिक्षकों ने इसके लिए स्कूलों के एचओएस को जिम्मेदार ठहराया है. शिक्षकों का कहना है कि एचओएस अपने हिसाब से सर्कुलर का मतलब निकाल रहे हैं और अतिथि शिक्षकों के प्रति मनमाना रवैया अपना रहे हैं.

अतिथि शिक्षकों ने जॉइनिंग को लेकर दिल्ली सरकार से की मांग
अतिथि शिक्षकों में डाली जा ही है फूट

बता दें कि 9 मई तक अपनी सेवाएं देने के बाद अतिथि शिक्षकों का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर दिया गया था. वहीं जुलाई में भी इन शिक्षकों की जॉइनिंग के आर्डर बहुत देरी से जारी हुए लेकिन आर्डर जारी होने को करीब एक माह बीत जाने पर भी मिसलेनियस शिक्षक जॉइनिंग के लिए स्कूलों और डिस्ट्रिक्ट के चक्कर काट रहे हैं. वहीं ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के सदस्य मनीष ने कहा कि इस समय अतिथि शिक्षकों को लेकर एचओएस अमानवीय व्यवहार पर उतर उतर आए हैं.

अंग्रेजों की नीति अपनाई जा रही है

जॉइनिंग देने के लिए डिस्ट्रिक्ट भेजते हैं और डिस्ट्रिक्ट से उन्हें शिक्षा निदेशालय भेजा जाता है. इस तरह अतिथि शिक्षकों के साथ तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा निदेशालय सहित सभी अधिकारियों से मिलकर ऐसी चाल चली है कि अतिथि शिक्षकों को छोटे-छोटे समूहों में नौकरी से बाहर किया जा रहा है जिससे उनमें एकजुटता ना हो. साथ ही उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो' की नीति अब अतिथि शिक्षकों के बीच चलाई जा रही है.

घर का चूल्हा जलना भी मुश्किल

वहीं अतिथि शिक्षक अरुण का कहना है कि अतिथि शिक्षकों की नौकरी बंधुआ मजदूरी जैसी हो गई है. जिस दिन काम करो उसी दिन की तनख्वाह मिलती है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब तक तो बचे खुचे पैसों से घर चल रहा था लेकिन अब सबकुछ समाप्ति पर हैं. अगर सरकार का यही रवैया रहा तो उनके घर चूल्हा भी नहीं जल पाएगा.

मिसलेनियस विषयों के शिक्षकों को नहीं दी जा रही जॉइनिंग

वहीं सभी शिक्षक सरकार पर लगातार निशाना साथ रहे हैं. उनका कहना है कि जब 8 मई तक मिसलेनियस शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाएं है तो अचानक जुलाई में उनकी जरूरत क्यों नहीं है. शिक्षकों का कहना है कि क्या पोस्ट कम हो गई या विषय ही नहीं बचे जो इन शिक्षकों को जॉइनिंग नहीं दी जा रही है.


ऐसे में अतिथि शिक्षकों की मांग है कि दिल्ली शिक्षा निदेशालय द्वारा दोबारा एक सर्कुलर जारी किया जाए, जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा जाए कि सभी अतिथि शिक्षकों को जॉइनिंग दी जाएगी. जिससे किसी भी स्कूल के एचओएस मनमाना रवैया अपना सके.

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर अतिथि शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षकों के री-जॉइनिंग का ऑर्डर आये करीब एक माह बीत गया. बाबत इसके कई शिक्षकों को अभी तक जॉइनिंग नहीं मिल पाई है. वहीं अतिथि शिक्षकों ने इसके लिए स्कूलों के एचओएस को जिम्मेदार ठहराया है. शिक्षकों का कहना है कि एचओएस अपने हिसाब से सर्कुलर का मतलब निकाल रहे हैं और अतिथि शिक्षकों के प्रति मनमाना रवैया अपना रहे हैं.

अतिथि शिक्षकों ने जॉइनिंग को लेकर दिल्ली सरकार से की मांग
अतिथि शिक्षकों में डाली जा ही है फूट

बता दें कि 9 मई तक अपनी सेवाएं देने के बाद अतिथि शिक्षकों का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर दिया गया था. वहीं जुलाई में भी इन शिक्षकों की जॉइनिंग के आर्डर बहुत देरी से जारी हुए लेकिन आर्डर जारी होने को करीब एक माह बीत जाने पर भी मिसलेनियस शिक्षक जॉइनिंग के लिए स्कूलों और डिस्ट्रिक्ट के चक्कर काट रहे हैं. वहीं ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के सदस्य मनीष ने कहा कि इस समय अतिथि शिक्षकों को लेकर एचओएस अमानवीय व्यवहार पर उतर उतर आए हैं.

अंग्रेजों की नीति अपनाई जा रही है

जॉइनिंग देने के लिए डिस्ट्रिक्ट भेजते हैं और डिस्ट्रिक्ट से उन्हें शिक्षा निदेशालय भेजा जाता है. इस तरह अतिथि शिक्षकों के साथ तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा निदेशालय सहित सभी अधिकारियों से मिलकर ऐसी चाल चली है कि अतिथि शिक्षकों को छोटे-छोटे समूहों में नौकरी से बाहर किया जा रहा है जिससे उनमें एकजुटता ना हो. साथ ही उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो' की नीति अब अतिथि शिक्षकों के बीच चलाई जा रही है.

घर का चूल्हा जलना भी मुश्किल

वहीं अतिथि शिक्षक अरुण का कहना है कि अतिथि शिक्षकों की नौकरी बंधुआ मजदूरी जैसी हो गई है. जिस दिन काम करो उसी दिन की तनख्वाह मिलती है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब तक तो बचे खुचे पैसों से घर चल रहा था लेकिन अब सबकुछ समाप्ति पर हैं. अगर सरकार का यही रवैया रहा तो उनके घर चूल्हा भी नहीं जल पाएगा.

मिसलेनियस विषयों के शिक्षकों को नहीं दी जा रही जॉइनिंग

वहीं सभी शिक्षक सरकार पर लगातार निशाना साथ रहे हैं. उनका कहना है कि जब 8 मई तक मिसलेनियस शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाएं है तो अचानक जुलाई में उनकी जरूरत क्यों नहीं है. शिक्षकों का कहना है कि क्या पोस्ट कम हो गई या विषय ही नहीं बचे जो इन शिक्षकों को जॉइनिंग नहीं दी जा रही है.


ऐसे में अतिथि शिक्षकों की मांग है कि दिल्ली शिक्षा निदेशालय द्वारा दोबारा एक सर्कुलर जारी किया जाए, जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा जाए कि सभी अतिथि शिक्षकों को जॉइनिंग दी जाएगी. जिससे किसी भी स्कूल के एचओएस मनमाना रवैया अपना सके.

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