नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में 20 फरवरी को भाजपा नीत नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होने जा रहा है. यह भारतीय जनता पार्टी के लिए नए युग की शुरुआत है. भाजपा शुरू से ही दिल्ली में डबल इंजन की सरकार बनाकर दिल्ली के रुके हुए विकास कार्यों को पूरा करने का दावा करती आ रही है. अब भाजपा को केंद्र सरकार के बाद दिल्ली में भी सरकार बनाने का मौका मिला है. लेकिन, दिल्ली में पहले भी केंद्र और राज्य में एक साथ कांग्रेस की सरकार रही, उसके बावजूद भी दिल्ली के कुछ मुद्दे अनसुलझे रहे. दिल्ली विधानसभा के निवर्तमान अध्यक्ष और तीन बार से विधायक रामनिवास गोयल ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में उन मुद्दों के बारे में बताया.
दिल्ली विधानसभा के पुनर्गठन से लेकर तीन बार विधानसभा के सदस्य रहकर पिछले 10 साल से विधानसभा अध्यक्ष के रूप में दिल्ली की शासन व्यवस्था को देखने वाले रामनिवास गोयल का कहना है; ''1993 में जब भाजपा की सरकार बनी थी तब भी मैं सदन का सदस्य था. भाजपा और जनसंघ ने ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया. जब भी विधानसभा, लोकसभा या निगम के चुनाव आए तो हमेशा यह लाइन उनके घोषणा पत्र में लिखी रहती थी कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे. लेकिन, अभी तक पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला. अगर राजनीति से इतर दिल्ली की शासन व्यवस्था की बात करें तो वास्तव में दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास दिल्ली का विकास करने के लिए संपूर्ण अधिकार नहीं है.''
गोयल ने कहा; ''दिल्ली की चुनी हुई सरकार अपनी मर्जी से स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण भी नहीं कर सकती. उनको डीडीए से जमीन खरीदनी पड़ती है. जबकि सरकार दिल्ली के लोगों के लिए और विकास के लिए काम करती है. ऐसे में दिल्ली के लोगों की जमीन को अधिग्रहित कर उस जमीन पर स्कूल, अस्पताल और कॉलेज बनाने का अधिकार उसके पास होना चाहिए. दिल्ली में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी और उसको संभालते के लिए दिल्ली पुलिस उसके अधिकार में आनी चाहिए.''
केंद्र सरकार का कहना है कि नई दिल्ली एरिया में राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, सांसदों के बंगले मंत्रियों के बंगले विदेशी राजदूतों के दूतावास आदि स्थित हैं. अगर दिल्ली सरकार को यह सब चीज दे दी जाएगी तो दिल्ली का मुख्यमंत्री इन चीजों को संभाल नहीं पाएगा. गोयल ने कहा कि पहले से ही नई दिल्ली का एरिया एनडीएमसी केंद्र के पास है, जहां वीवीआईपी लोग रहते हैं. सरकार उस क्षेत्र को अपने पास रखे. बाकी दिल्ली नगर निगम का जो एरिया है उसे दिल्ली सरकार को दे दे. साथ ही कानून व्यवस्था जमीन अधिग्रहण का अधिकार भी दिल्ली सरकार के हाथ में दे, तभी देश की राजधानी का चहुमुंखी विकास हो सकता है.
मदनलाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा ने भी की थी दिल्ली सरकार के अधिकार बढ़ाने की मांग: गोयल
निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने बताया; ''पूर्व में दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे मदनलाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा ने भी दिल्ली सरकार के अधिकारों को बढ़ाने की पुरजोर मांग की थी. साहिब सिंह वर्मा ने तो विधानसभा में यहां तक कह दिया था कि मैं मुख्यमंत्री हूं. लेकिन, मुझे अधिकार कुछ नहीं है. अपनी मर्जी से कोई काम नहीं कर सकता हूं. मुझे मुख्यमंत्री की जगह विधानसभा में अगर घास खोदने का काम दे दिया जाए तो मैं ज्यादा अच्छे से कर पाऊंगा.'' उन्होंने आगे ये भी कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है. दिल्ली में चुनी हुई सरकार को कानून व्यवस्था और जमीन अधिग्रहण जैसे अधिकार मिलने चाहिए, जो हर राज्य सरकार के पास होते हैं. दिल्ली अपराध मुक्त होनी चाहिए. दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ जाती है, उसके लिए बदनाम मुख्यमंत्री होता है. जबकि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी गृहमंत्री की होती है. इसलिए कानून व्यवस्था तो राज्य सरकार के पास ही होनी चाहिए.
रामनिवास गोयल ने कहा कि अभी 2 साल पहले ही दिल्ली सरकार से सर्विसेज का अधिकार भी छीन लिया गया. विधानसभा के अधिकार छीन लिए गए. इससे भी दिल्ली का कामकाज करने में अड़चनें आई. आईएएस के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार तो राज्य सरकार के पास पहले से ही नहीं था. लेकिन, शिक्षक, डॉक्टर या दिल्ली सरकार के कर्मचारियों का ट्रांसफर करने का अधिकार तो दिल्ली सरकार के पास होना ही चाहिए.
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