नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 42वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले भारतीय रेल मंत्रलाय ने भी हिस्सा लिया है. ‘बदलते भारत की अवसंरचना’ की विषयवस्तु के साथ हॉल नंबर-5 में एक मंडप स्थापित किया गया है. आयोजन 14 से 27 नवंबर तक चलेगा. उद्घाटन रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष और सीईओ जया वर्मा सिन्हा ने किया था.
भारतीय रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को बखूबी इस प्रदर्शनी में दिखाया गया है. प्रदर्शनी में उन रेल इंजनों को भी दिखाया गया है, जो भारत से अन्य देशों में निर्यात किए जा रहे हैं. साथ ही भारत की इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी किस तरह से कार्य कर रही है उसकी जानकारी भी लोगों को दी जा रही है. भारत का रेलवे सिस्टम किस तरह से कार्य करता है? कैसे भारत की टेक्नोलॉजी पहले से बेहतर हो रही है? इन तमाम बातों की जानकारी जानने के लिए लोग भी पवेलियन पहुंच रहे हैं.
भारतीय रेल की यात्रा को किया गया प्रदर्शित : आईआईटीएफ 2023 की विषयवस्तु- “वसुधैव कुटुंबकम- व्यापार के माध्यम से एकता” से प्रेरणा लेते हुए भारतीय रेलवे ने इस मंडप में अपनी यात्रा को प्रदर्शित किया है. साथ ही बताया है कि कैसे भारतीय रेलवे ने विश्व के अन्य देशों में लोको, कोच और डेमू ट्रेनों का निर्यात करके वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है. इसके अलावा मंडप में नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन को लेकर भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को भी दिखाया गया है.
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मृत भारत स्टेशन पुनर्विकास योजना को किया गया प्रदर्शित: रेल मंडप को भारत के बुनियादी ढांचे में रूपांतरण, विरासत, विकास, नारी शक्ति का उत्सव, ज्ञान वृक्ष जैसे खंडों में विभाजित किया गया है. रेल मंडप के बाहरी हिस्से में वंदे भारत ट्रेन के मॉडल और रघुनाथ मंदिर से प्रेरित जम्मू तवी रेलवे स्टेशन के प्रस्तावित डिजाइन को दिखाया गया है. जो पूरे देश के 1309 स्टेशनों के लिए शुरू की गई अमृत भारत स्टेशन पुनर्विकास योजना को प्रदर्शित करता है.
हर एक खंड में मॉडल और उससे संबंधित जानकारी उपलब्ध : मंडप में विभिन्न प्रारूपों को प्रदर्शित किया गया है. कोई व्यक्ति हर एक खंड में मॉडल और उससे संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकता है. वहीं, नारी शक्ति खंड में एक सेल्फी बूथ आगंतुकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. रेल मंडपम में यूएसबीआरएल परियोजना (कटरा-बनिहाल खंड), राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल परियोजना पर प्रस्तावित सूरत स्टेशन, वंदे भारत ट्रेन, पंबन ब्रिज वर्टिकल गर्डर (पुल की डाट), बोगीबील ब्रिज और दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे आदि शामिल हैं.
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