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जामिया हिंसा की जांच करने से दिल्ली हाईकोर्ट ने किया इनकार - अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा की जांच से इनकार कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है.

Jamia violence investigation
जामिया हिंसा जांच
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Published : Dec 19, 2019, 8:58 PM IST

नई दिल्ली: जामिया हिंसा मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने छात्रों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर रोक की मांग ठुकरा दी. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को 4 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 4फरवरी को होगी.

जब कोर्ट ने छात्रों के खिलाफ गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया तो चीफ जस्टिस डीएन पटेल की कोर्ट में ही कुछ वकीलों ने शर्म, शर्म के नारे लगाए. चीफ जस्टिस बिना कोई प्रतिक्रिया दिए अपने चैम्बर में चले गए.

एसआईटी के गठन की मांग

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच के लिये एक एसआईटी का गठन किया जाए. जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज करें. दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वो छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करे.

'यूनिवर्सिटी में पुलिस जबरन घुसी'

याचिकाकर्ता ने कहा कि जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस जबरन घुसी और लाइब्रेरी एरिया में लाठीचार्ज और फायरिंग की. साथ ही आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया. इनकी संख्या 450 थी. 2012 के बाद सबसे भारी मात्रा में टियर गैस का इस्तेमाल किया गया.

'52 छात्र घायल हुए'

याचिकाकर्ता ने कहा कि 52 छात्र गंभीर रूप से घायल हुए और उनको कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिली. इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, क्योंकि पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है. अगर पुलिस जांच करेगी तो सच्चाई बाहर नहीं आएगी.

'पुलिस कार्रवाई की हो जांच'

सुनवाई के दौरान इंदिरा जय सिंह ने कहा कि पुलिस कार्रवाई की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाए. जो छात्र कमेटी के सामने पेश हों, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. यूनिवर्सिटी बंद होने की वजह से छात्र बेघर हो गए हैं, उनके घर लौटने तक उनके रहने की व्यवस्था की जाए.

'प्रदर्शन शांतिपूर्ण था'

वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने घटनाक्रम का ब्यौरा पेश करते हुए कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था. कोई दंगा नहीं था, ये गलत इमेज पेश की गई. पुलिस ने निहत्थे छात्रों को निशाना बनाया.

दो याचिकाएं दायर की गई

जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के दो छात्रों और जामा मस्जिद के इमाम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जामिया मिल्लिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के हिरासत में रखे गए छात्रों को रिहा करने की मांग की. याचिका में ये भी मांग की गई है कि अथॉरिटी एक लिस्ट बनाये जिसमें जामिया मिल्लिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के हिरासत में रखे गए छात्रों की पूरी जानकारी हो.

नई दिल्ली: जामिया हिंसा मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने छात्रों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर रोक की मांग ठुकरा दी. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को 4 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 4फरवरी को होगी.

जब कोर्ट ने छात्रों के खिलाफ गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया तो चीफ जस्टिस डीएन पटेल की कोर्ट में ही कुछ वकीलों ने शर्म, शर्म के नारे लगाए. चीफ जस्टिस बिना कोई प्रतिक्रिया दिए अपने चैम्बर में चले गए.

एसआईटी के गठन की मांग

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच के लिये एक एसआईटी का गठन किया जाए. जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज करें. दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वो छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करे.

'यूनिवर्सिटी में पुलिस जबरन घुसी'

याचिकाकर्ता ने कहा कि जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस जबरन घुसी और लाइब्रेरी एरिया में लाठीचार्ज और फायरिंग की. साथ ही आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया. इनकी संख्या 450 थी. 2012 के बाद सबसे भारी मात्रा में टियर गैस का इस्तेमाल किया गया.

'52 छात्र घायल हुए'

याचिकाकर्ता ने कहा कि 52 छात्र गंभीर रूप से घायल हुए और उनको कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिली. इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, क्योंकि पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है. अगर पुलिस जांच करेगी तो सच्चाई बाहर नहीं आएगी.

'पुलिस कार्रवाई की हो जांच'

सुनवाई के दौरान इंदिरा जय सिंह ने कहा कि पुलिस कार्रवाई की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाए. जो छात्र कमेटी के सामने पेश हों, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. यूनिवर्सिटी बंद होने की वजह से छात्र बेघर हो गए हैं, उनके घर लौटने तक उनके रहने की व्यवस्था की जाए.

'प्रदर्शन शांतिपूर्ण था'

वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने घटनाक्रम का ब्यौरा पेश करते हुए कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था. कोई दंगा नहीं था, ये गलत इमेज पेश की गई. पुलिस ने निहत्थे छात्रों को निशाना बनाया.

दो याचिकाएं दायर की गई

जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के दो छात्रों और जामा मस्जिद के इमाम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जामिया मिल्लिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के हिरासत में रखे गए छात्रों को रिहा करने की मांग की. याचिका में ये भी मांग की गई है कि अथॉरिटी एक लिस्ट बनाये जिसमें जामिया मिल्लिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के हिरासत में रखे गए छात्रों की पूरी जानकारी हो.

Intro:नई दिल्ली। जामिया हिंसा मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आज छात्रो के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर रोक की मांग ठुकराई। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली पुलिस को 4 फरवरी तक हलफनामा दाख़िल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 4फरवरी को होगी।



Body:कोर्ट में शर्म, शर्म के नारे लगे
जब कोर्ट ने छात्रो के खिलाफ़ गिरफ्तारी और पुलिस  कार्रवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया तो चीफ जस्टिस डीएन पटेल की कोर्ट में ही कुछ वकीलों ने शर्म, शर्म के नारे लगाए। चीफ जस्टिस बिना कोई प्रतिक्रिया दिए अपने चैम्बर में चले गए। 
एसआईटी के गठन की मांग
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने मांग की कि इस पूरे मामले की जांच के किये एक एसआईटी का गठन किया जाए। जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज करे। दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाएं कि वो छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करे।
युनिवर्सिटी में पुलिस जबरन घुसी
याचिकाकर्ता ने कहा कि जामिया युनिवर्सिटी में पुलिस जबरन घुसी और लाइब्रेरी एरिया में लाठीचार्ज और फायरिंग की। साथ ही आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया। इनकी संख्या 450 थी।2012 के बाद सबसे भारी मात्रा में टियर गैस का इस्तेमाल किया गया।
52 छात्र घायल हुए
याचिकाकर्ता ने कहा कि 52 छात्र गंभीर रूप से घायल हुए और उनको कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिली। इस मामले कि निष्पक्ष जांच कराई जाए। क्योंकि पुलिस कि जांच पर भरोसा नहीं है। अगर पुलिस जांच करेगी ती सच्चाई बाहर नहीं आएगी।
पुलिस कार्रवाई की जांच की मांग
सुनवाई के दौरान इंदिरा जय सिंह ने कहा कि पुलिस कार्रवाई की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाए। जो छात्र कमेटी के सामने पेश हों, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। युनिवर्सिटी बंद होने की वजह से छात्र बेघर हो गए है, उनके घर लौटने तक उनके रहने की व्यवस्था की जाए।
 
प्रदर्शन शांतिपूर्ण था
वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने घटनाक्रम का ब्यौरा पेश करते हुए कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। कोई दंगा नहीं था, ये ग़लत इमेज पेश की गई। पुलिस ने निहत्थे छात्रो को निशाना बनाया।



Conclusion:दो याचिकाएं दायर की गई हैं
जामिया मिलिया युनिवर्सिटी के दो छात्रों और जामा मस्जिद के इमाम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जामिया मिलिया और अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के हिरासत में रखे गए छात्रों को रिहा करने की मांग की। याचिका में ये भी मांग की गई है कि अथॉरिटी एक लिस्ट बनाये जिसमें जामिया मिलिया और अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के हिरासत में रखे गए छात्रों के पूरी जानकारी हो।


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