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वन नेशन-वन कार्ड के नाम पर करोड़ों की जालसाजी, आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली में वन नेशन वन कार्ड के नाम पर कॉन्ट्रैक्ट का झांसा देकर 6 करोड़ रुपए की ठगी का मामला सामने आया है. जालसाजी के इस मामले में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया हैं. 6 फरवरी को उपभोगता मंत्रालय की तरफ से संसद मार्ग पुलिस को शिकायत दी गई थी.

crooks arrested in one nation one card contract fraud in new delhi
उपभोगता मंत्रालय की शिकायत पर जालसाज गिरफ्तार
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Published : Mar 3, 2020, 11:20 PM IST

नई दिल्ली: वन नेशन वन कार्ड के नाम पर एक शख्स को कॉन्ट्रैक्ट का झांसा देकर 6 करोड़ रुपए की ठगी का मामला सामने आया है. पीड़ित को बताया गया था कि मंत्रालय की तरफ से मिले कॉन्ट्रैक्ट पर उसे काम दिया जाएगा. लेकिन वास्तव में ऐसा कोई कॉन्ट्रैक्ट दिया ही नहीं गया था. जालसाजी के इस मामले में दो आरोपियों को नई दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हैं.

उपभोगता मंत्रालय की शिकायत पर जालसाज गिरफ्तार

6 फरवरी को आई थी शिकायत

डीसीपी ईश सिंघल के मुताबिक 6 फरवरी को उपभोगता मंत्रालय की तरफ से संसद मार्ग पुलिस को शिकायत दी गई थी. उन्हें बताया गया कि कुछ जालसाज 'वन नेशन वन राशन कार्ड' के नाम पर लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं. उनके आधार कार्ड को इससे लिंक करने की बात कहकर जालसाजी की जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि इस कार्ड की मदद से वह देश के किसी भी हिस्से में राशन सस्ती दर पर ले सकेंगे. इस सूचना पर इंस्पेक्टर अखिलेश वाजपेयी ने मामले की जांच शुरू की.

मंत्रालय को मिली शिकायत

2 मार्च 2020 को महाराष्ट्र के रहने वाले भागवत ने मंत्रालय को इस बाबत शिकायत की. उसने पुलिस को बताया कि उसके दोस्त संजय शालिग्राम ने उसे "वन नेशन वन राशन कार्ड" के बारे में बताया. संजय ने उसे बताया कि उसके संबंध उस कंपनी से हैं, जिसे मंत्रालय की तरफ से इस कार्ड की छपाई का काम मिला है. वह उसे काम दिलवा सकता है. इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर लगभग 6 करोड़ रुपए दे दिए.

रांची ले जाकर कराया फर्जी करार

वह उन्हें रांची में एफएसएस प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर ले गया और वहां पर करार दस्तखत करवाए. उन्होंने उसे श्रीकांत सुमन, विकास कुमार और प्रत्यूष कुमार राणा से मिलवाया. उन्हें कंपनी का मालिक बताया गया. उन्हें मंत्रालय के कई दस्तावेज भी दिखाए गए. उन्हें बताया गया 1 जिले के लिए उन्हें आठ से 15 लाख रुपये मिलेंगे. इसके लिए 9 लाख रुपये उन्हें एडवांस मिलेगा जबकि 6 लाख काम पूरा होने के बाद. उन्होंने जब मंत्रालय के असली दस्तावेज दिखाने को कहा तो आरोपियों ने नहीं दिखाये जिससे उन्हें शक हुआ.

दिल्ली में फर्जीवाड़े का पर्दाफाश

यहां दिल्ली आकर पीड़ित ने जब जांच की तो पता चला कि यह पूरा फर्जीवाड़ा है. उनकी शिकायत पर आरोपियों को पीड़ित द्वारा दिल्ली में बुलाया गया. यहां पर आते ही पुलिस टीम ने प्रत्यूष कुमार राणा और विकास को गिरफ्तार कर लिया.

जालसाजी को लेकर पूछताछ जारी

गिरफ्तार किया गया प्रत्यूष कुमार राणा झारखंड का रहने वाला है. वह कंपनी का मालिक बन कर टेंडर देने के नाम पर लोगों से ठगी कर रहा था. दूसरा आरोपी विकास रांची का रहने वाला है. वह प्रत्यूष राणा के लिए काम करता है.

नई दिल्ली: वन नेशन वन कार्ड के नाम पर एक शख्स को कॉन्ट्रैक्ट का झांसा देकर 6 करोड़ रुपए की ठगी का मामला सामने आया है. पीड़ित को बताया गया था कि मंत्रालय की तरफ से मिले कॉन्ट्रैक्ट पर उसे काम दिया जाएगा. लेकिन वास्तव में ऐसा कोई कॉन्ट्रैक्ट दिया ही नहीं गया था. जालसाजी के इस मामले में दो आरोपियों को नई दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हैं.

उपभोगता मंत्रालय की शिकायत पर जालसाज गिरफ्तार

6 फरवरी को आई थी शिकायत

डीसीपी ईश सिंघल के मुताबिक 6 फरवरी को उपभोगता मंत्रालय की तरफ से संसद मार्ग पुलिस को शिकायत दी गई थी. उन्हें बताया गया कि कुछ जालसाज 'वन नेशन वन राशन कार्ड' के नाम पर लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं. उनके आधार कार्ड को इससे लिंक करने की बात कहकर जालसाजी की जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि इस कार्ड की मदद से वह देश के किसी भी हिस्से में राशन सस्ती दर पर ले सकेंगे. इस सूचना पर इंस्पेक्टर अखिलेश वाजपेयी ने मामले की जांच शुरू की.

मंत्रालय को मिली शिकायत

2 मार्च 2020 को महाराष्ट्र के रहने वाले भागवत ने मंत्रालय को इस बाबत शिकायत की. उसने पुलिस को बताया कि उसके दोस्त संजय शालिग्राम ने उसे "वन नेशन वन राशन कार्ड" के बारे में बताया. संजय ने उसे बताया कि उसके संबंध उस कंपनी से हैं, जिसे मंत्रालय की तरफ से इस कार्ड की छपाई का काम मिला है. वह उसे काम दिलवा सकता है. इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर लगभग 6 करोड़ रुपए दे दिए.

रांची ले जाकर कराया फर्जी करार

वह उन्हें रांची में एफएसएस प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर ले गया और वहां पर करार दस्तखत करवाए. उन्होंने उसे श्रीकांत सुमन, विकास कुमार और प्रत्यूष कुमार राणा से मिलवाया. उन्हें कंपनी का मालिक बताया गया. उन्हें मंत्रालय के कई दस्तावेज भी दिखाए गए. उन्हें बताया गया 1 जिले के लिए उन्हें आठ से 15 लाख रुपये मिलेंगे. इसके लिए 9 लाख रुपये उन्हें एडवांस मिलेगा जबकि 6 लाख काम पूरा होने के बाद. उन्होंने जब मंत्रालय के असली दस्तावेज दिखाने को कहा तो आरोपियों ने नहीं दिखाये जिससे उन्हें शक हुआ.

दिल्ली में फर्जीवाड़े का पर्दाफाश

यहां दिल्ली आकर पीड़ित ने जब जांच की तो पता चला कि यह पूरा फर्जीवाड़ा है. उनकी शिकायत पर आरोपियों को पीड़ित द्वारा दिल्ली में बुलाया गया. यहां पर आते ही पुलिस टीम ने प्रत्यूष कुमार राणा और विकास को गिरफ्तार कर लिया.

जालसाजी को लेकर पूछताछ जारी

गिरफ्तार किया गया प्रत्यूष कुमार राणा झारखंड का रहने वाला है. वह कंपनी का मालिक बन कर टेंडर देने के नाम पर लोगों से ठगी कर रहा था. दूसरा आरोपी विकास रांची का रहने वाला है. वह प्रत्यूष राणा के लिए काम करता है.

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