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गाजियाबाद की प्रशासनिक स्मार्टनेस बढ़ाने के लिए उठाए गए ये कदम

गाजियाबाद पुलिस कमीश्नरेट (Ghaziabad Police Commissionerate) बनने के साथ ही गाजियाबाद को प्रशासिनक तौर पर स्मार्ट बनाने की कवायद शुरू हो गई है. इसी कड़ी में 3 दिन में दूसरी बार पुलिस इंस्पेक्टर्स और सब इंस्पेक्टर्स के तबादले किए गए हैं. जिनके तबादले हुए हैं ये सभी पहले पुलिस लाइन में तैनात थे.

गाजियाबाद की प्रशासनिक स्मार्टनेस बढ़ाने के लिए उठाए गए ये कदम
गाजियाबाद की प्रशासनिक स्मार्टनेस बढ़ाने के लिए उठाए गए ये कदम
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Published : Dec 11, 2022, 10:14 AM IST

नई दिल्ली/ गाजियाबाद : गाजियाबाद को प्रशासनिक स्तर पर स्मार्ट बनाने की कवायद जारी है. कानून-व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में 3 दिन में दूसरी बार बड़े पैमाने पर इंस्पेक्टर्स और सब इंस्पेक्टर्स के तबादले (Transfer of Inspectors and Sub Inspectors) किए गए है. दूसरी लिस्ट भी आ गई. इनमें 9 इंस्पेक्टर और 24 सब इंस्पेक्टर को नए प्रभार दिए गए हैं. ये सभी पुलिस लाइन में तैनात थे. गाजियाबाद जिले के कमिश्नरेट होने ही पिछले 3 दिन में इस तरह की दूसरी लिस्ट आने के बाद यह साफ है कि जिले की कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए किस तरह से बड़े स्तर पर प्रयास हो रहे हैं.


पहली लिस्ट और दूसरी लिस्ट की अहम बातें : पहली लिस्ट में भी 42 पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण किए गए थे. दूसरी लिस्ट आई है, जिसमें 33 पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण किए गए हैं. पुलिस लाइन में तैनात इन सभी इंस्पेक्टर्स को क्राइम ब्रांच, कवि नगर, विजय नगर, खोड़ा, मधुबन बापूधाम के अलावा भी अतिरिक्त प्रभार दिए गए हैं. सब- इंस्पेक्टर्स को विजय नगर, खोड़ा, नंद ग्राम, निवाड़ी, वेव सिटी, लिंक रोड, साइबर सेल, कौशांबी, सिहानी गेट, क्रॉसिंग रिपब्लिक आदि जगहों पर तैनाती मिली है. हाल ही में गाजियाबाद में क्रॉसिंग रिपब्लिक थाने की भी शुरुआत हुई थी. इससे पूरी तरह से साफ है कि कानून-व्यवस्था की मजबूती के लिए गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर ठोस कदम उठा रहे हैं.


ये भी पढ़ें :- हैदराबाद: दिल्ली शराब घोटाला, एमएलसी कविता से पूछताछ करेगी सीबीआई

अब क्राइम नहीं, स्मार्टनेस से होगी पहचान : गाजियाबाद में क्राइम को लेकर लोगों के मन में एक अलग तरह की धारणा है. लोगों को लगता है कि गाजियाबाद में काफी ज्यादा क्राइम होता है. कमिश्नरेट बनने के बाद क्राइम रेट में कमी आने का दावा भी किया जा रहा है. कमिश्नरेट बनाने का मकसद भी यही था कि क्राइम में कमी आए. पहले जहां एसपी और एसएसपी के अलावा थाना प्रभारियों और सर्कल ऑफिसर की मदद से गाजियाबाद जिला प्रशासन चलता था, अब एसीपी, डीसीपी और पुलिस आयुक्त जैसे बड़े अधिकारियों की निगरानी में जिले में कानून- व्यवस्था के सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को उम्मीद है कि गाजियाबाद की पहचान अब क्राइम नहीं, उसकी स्मार्टनेस होगी.

ये भी पढ़ें :- पीएम मोदी आज गोवा में मोपा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे

गाजियाबाद की प्रशासनिक स्मार्टनेस बढ़ाने के लिए उठाए गए ये कदम
गाजियाबाद की प्रशासनिक स्मार्टनेस बढ़ाने के लिए उठाए गए ये कदम

नई दिल्ली/ गाजियाबाद : गाजियाबाद को प्रशासनिक स्तर पर स्मार्ट बनाने की कवायद जारी है. कानून-व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में 3 दिन में दूसरी बार बड़े पैमाने पर इंस्पेक्टर्स और सब इंस्पेक्टर्स के तबादले (Transfer of Inspectors and Sub Inspectors) किए गए है. दूसरी लिस्ट भी आ गई. इनमें 9 इंस्पेक्टर और 24 सब इंस्पेक्टर को नए प्रभार दिए गए हैं. ये सभी पुलिस लाइन में तैनात थे. गाजियाबाद जिले के कमिश्नरेट होने ही पिछले 3 दिन में इस तरह की दूसरी लिस्ट आने के बाद यह साफ है कि जिले की कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए किस तरह से बड़े स्तर पर प्रयास हो रहे हैं.


पहली लिस्ट और दूसरी लिस्ट की अहम बातें : पहली लिस्ट में भी 42 पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण किए गए थे. दूसरी लिस्ट आई है, जिसमें 33 पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण किए गए हैं. पुलिस लाइन में तैनात इन सभी इंस्पेक्टर्स को क्राइम ब्रांच, कवि नगर, विजय नगर, खोड़ा, मधुबन बापूधाम के अलावा भी अतिरिक्त प्रभार दिए गए हैं. सब- इंस्पेक्टर्स को विजय नगर, खोड़ा, नंद ग्राम, निवाड़ी, वेव सिटी, लिंक रोड, साइबर सेल, कौशांबी, सिहानी गेट, क्रॉसिंग रिपब्लिक आदि जगहों पर तैनाती मिली है. हाल ही में गाजियाबाद में क्रॉसिंग रिपब्लिक थाने की भी शुरुआत हुई थी. इससे पूरी तरह से साफ है कि कानून-व्यवस्था की मजबूती के लिए गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर ठोस कदम उठा रहे हैं.


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अब क्राइम नहीं, स्मार्टनेस से होगी पहचान : गाजियाबाद में क्राइम को लेकर लोगों के मन में एक अलग तरह की धारणा है. लोगों को लगता है कि गाजियाबाद में काफी ज्यादा क्राइम होता है. कमिश्नरेट बनने के बाद क्राइम रेट में कमी आने का दावा भी किया जा रहा है. कमिश्नरेट बनाने का मकसद भी यही था कि क्राइम में कमी आए. पहले जहां एसपी और एसएसपी के अलावा थाना प्रभारियों और सर्कल ऑफिसर की मदद से गाजियाबाद जिला प्रशासन चलता था, अब एसीपी, डीसीपी और पुलिस आयुक्त जैसे बड़े अधिकारियों की निगरानी में जिले में कानून- व्यवस्था के सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को उम्मीद है कि गाजियाबाद की पहचान अब क्राइम नहीं, उसकी स्मार्टनेस होगी.

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