नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली की गीता कॉलोनी इलाके स्थित दिल्ली सरकार के चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय पर गंभीर आरोप लगा है. मेरठ के रहने वाले एक परिवार ने आरोप लगाया है कि 10 साल का बच्चा इलाज के लिए एम्बुलेंस पर तड़पता रहा, लेकिन अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया. बच्चे को भर्ती करने के लिए मोटी रकम मांगी गई. पीड़ित परिवार ने पूरे मामले की शिकायत पुलिस से की है.
मेरठ में रहने वाले दिलशाद का भांजा शाहीन कई दिनों से बीमार था उसे तेज फीवर की शिकायत थी. मेरठ के प्राइवेट अस्पताल में इलाज के बाद भी जब शाहीन ठीक नहीं हुआ तो उसे रविवार रात करीब आठ बजे परिजन उसे लेकर चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय पहुंचे. आरोप है कि पहले तो डॉक्टरों ने उम्र 12 साल से ज्यादा होने की वजह से एडमिट करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि शाहीन की उम्र 12 वर्ष से ज्यादा है और चाचा नेहरू अस्पताल में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का इलाज किया जाता है.
परिजनों ने जब बच्चे की उम्र 10 साल बताते हुए आधार कार्ड दिखाया तो सुरक्षा गार्ड ने बच्चे के एडमिशन के लिए 10 हजार रुपयों की डिमांड की. इस दौरान तकरीबन 40 मिनट बीत गए और शाहीन ने बिना इलाज के ही एम्बुलेंस में दम तोड़ दिया. नाराज परिजनों ने जब अस्पताल में विरोध किया था अस्पताल प्रशासन ने पुलिस बुला लिया.
परिजनों ने पूरे मामले की शिकायत पुलिस से की है. परिजनों का कहना है कि दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई होनी चाहिए. डॉक्टरों की वजह से उनका बेटा तो चला गया, लेकिन कोई और बेटे की इलाज के बिना मौत नहीं हो.