हैदराबाद : 2013 के आईपीएल सीजन में हुई स्पॉट फिक्सिंग के बाद भारतीय क्रिकेट पर बड़ा दाग लग गया था. हालांकि आईसीसी के एंटी करप्शन यूनिट ने ये कहकर बीसीसीआई की परेशानियां बढ़ा दी हैं कि वो फिलहाल जिन भ्रष्टाचार से युक्त मामलों की जांच कर रही है उसमें ज्यादातर के तार भारत से जुड़े हैं. भारत इसका अड्डा बनता जा रहा है. बताया जाने लगा है कि आईपीएल के बाद अब सट्टेबाज घरेलू लीग को भी निशाना बना रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एंटी करप्शन यूनिट के अधिकारी रिचर्डसन ने कहा, "हम फिलहाल भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामलों की जांच कर रहे हैं और इनमें 50 मामले भारत से जुड़े हुए हैं. खिलाड़ी चेन का आखिरी हिस्सा होते हैं. परेशानी ये है कि जो वाकई में इससे जुड़े हैं वह मैदान के बाहर बैठते हैं. मैं भारतीय सरकारी एजेंसियों को ऐसे आठ नाम दे सकता हूं जो खिलाड़ियों को पैसा देकर उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं."
पिछले साल कर्नाटक प्रीमियर लीग (केपीएल) में कई लोगों पर फिक्सिंग से जुड़े आरोप लगाए गए थे जिसमें खिलाड़ियों के साथ-साथ टीम के मालिक भी शामिल थे. इन लोगों के खिलाफ जांच के लिए चार्ज शीट भी दायर की गई थी. गौरतलब है कि बीसीसीआई के एसीयू के अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा, "गैरकानूनी बेट से पैसा कमाने के लिए यह सब किया जाता है. इसके लिए टीम के अधिकारी, मालिक, स्पोर्ट स्टाफ और खिलाड़ियों से संपक किया जाता है. हर साल इससे 3 से चार हजार का टर्नओवर हासिल करते हैं."
आपको बता दें कि आईसीसी ने कहा है कि भारत में स्थिति में तबतक सुधार नहीं आएगा जब तक यहां फिक्सिंग को कानून के मुताबिक अपराध घोषित नहीं किया जाता. रिचर्डसन ने कहा, "मैच फिक्सिंग के खिलाफ कानून लाने वाला पहला देश श्रीलंका था इसलिए वहां क्रिकेट सुरक्षित हैं. वहीं, ऑस्ट्रेलिया में चीजे काफी बेहतर हैं. हालांकि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं जिसके कारण बीसीसीआई वहां खुलकर काम नहीं कर पाती है."