मुंबईः आज भारतीय सिनेमा को उस महान नायक की बर्सी है जिसके नाम से शायद ही कोई परिचित न हो, विश्व सिनेमा में हिंदुस्तान को जगह दिलाने वाले फिल्म निर्माता, निर्देशक, स्क्रिप्टराइटर, ग्राफिक आर्टिस्ट, लिरिसिस्ट और लेखक 'सत्जीत रे.'
रे की शख्सियत की खासियतों की लिस्ट बहुत लंबी है. उन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन फिल्म निर्माताओं में एक माना जाता है, आज ही के दिन यानि 23 अप्रैल 1992 को उनका निधन हो गया था.
रे ने लगभग 36 साल के करियर में ढेरों नेशनल अवॉर्ड और बाकी खिताब जीते लेकिन इन सबमें सबसे खास था 'ऑनरेरी ऑस्कर.'
अकेडमी अवॉर्ड्स ने साल 1992 में सत्यजीत रे को लाइफटाइम अचिवमेंट के तौर पर ऑनरेरी ऑस्कर उपाधि देने की घोषणा की, लेकिन उन दिनों रे की तबियत काफी खराब थी और वह अस्पताल में भर्ती थे. इस वजह से अधिकारियों ने फैसला किया कि वे रे तक खुद ऑस्कर पहुंचाएंगे.
ऑस्कर्स के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल पर रे की ऑस्कर स्पीच है जिसमें वह वीडियो कॉल के जरिए अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स एंड साइंसेस को धन्यवाद दे रहे हैं.
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ऑस्कर मिलने के कुछ समय बाद ही दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया.
रे ने कुल 36 फिल्मों का निर्देशन किया है, जिसमें से उनकी सबसे प्रसिद्ध सीरीज है 'अपू ट्रायोलॉजी.' जिसमें तीन फिल्में हैं- 'पाथेर पांचाली' (जो कि उनकी पहली फिल्म भी है, 1955 में रिलीज हुई थी), 'अपराजिता', अपुर संसार.
रे की पहली फिल्म ने ही 11 इंटरनेशनल खिताब जीते थे. उन्हें भारत सरकार ने 32 बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड से भी नवाजा.
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ऐसी महान शख्सियत और दुनिया को सिनेमा का वरदान देने वाले रे को उनकी 28वीं पुण्यतिथि पर नमन.