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नागालैंड के पूर्व सचिव को आर्म्स एक्ट के मामले में 5 साल की जेल, 32 साल चली सुनवाई

कोर्ट ने कहा कि आरोपी की उम्र 81 वर्ष की है, लेकिन उनके सजा में कोई कमी नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी आईएएस अधिकारी रहे हैं और उन्हें कानून पालन करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है, जो उन्होंने नहीं किया.

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Published : Sep 6, 2019, 11:15 PM IST

नागालैंड के पूर्व सचिव को आर्म्स एक्ट के मामले में 5 साल की जेल, etv bharat

नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने नागालैंड सरकार के पूर्व सचिव सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया को 1987 के आर्म्स एक्ट के एक मामले में दोषी करार देते हुए पांच साल की कैद और डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनु अग्रवाल ने ये फैसला सुनाया.

Former Nagaland secretary jailed for 5 years for arms possession
राउज एवेन्यू कोर्ट

कई हथियार बरामद
मामला 26 मार्च 1987 का है, जब उनके दिल्ली के पंडारा रोड स्थित आवास पर छापा मारा गया. छापे के दौरान उनके आवास से एक 38 बोर की रिवाल्वर के साथ 74 कारतूस, एक एनपी बोर पिस्तौल के साथ 32 कारतूस, चेकोस्लोवाकिया से बना एक राइफल, एक अमेरिका में बनी कार्बाइन और मैगजीन के अलावा दो एसएलआर के दो सौ कारतूस, साथ में कार्बाइन के 46 कारतूस बरामद किए गए थे. उसके बाद अहलूवालिया के कोहिमा स्थित निवास पर छापा मारा गया. छापे के दौरान 22 बोर का राइफल, 22 बोर के 167 कारतूस, और लकड़ी के बक्से में 6.35 एमएम के 300 जिंदा कारतूस बरामद किए गए थे.

दो हथियारों का फर्जी आदेश दिखाया
जांच में पाया गया कि अहलूवालिया को तीन हथियारों के लाइसेंस मिले थे. उन्हें तीन हथियार रखने की अनुमति थी, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने 23 सितंबर 1985 को फर्जी दस्तावेज के जरिये कोहिमा के आयुक्त के यहां से चौथे हथियार का लाइसेंस प्राप्त कर लिया. इस चौथे लाइसेंस के आधार पर उन्होंने चांदनी चौक के मेसर्स बीआर साहनी की दुकान से दो हथियार खरीदे. जांच में पता चला कि चौथे लाइसेंस के लिए हथियार खरीदते समय अहलूवालिया ने दो हथियारों का फर्जी आदेश दिखाया.

32 साल चली सुनवाई
इस केस की सुनवाई 32 साल चली. कोर्ट ने अहलूवालिया को लाइसेंस हासिल करने में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 417 के तहत एक साल की कैद, आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत दो साल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना साथ में भारतीय दंड संहिता की धारा 471 के तहत पांच साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना के आदेश सुनाया. कोर्ट ने कहा कि ये सभी सजाएं एक साथ चलेगी.


कोर्ट ने कहा कि आरोपी की उम्र 81 वर्ष की है, लेकिन उनके सजा में कोई कमी नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी आईएएस अधिकारी रहे हैं और उन्हें कानून पालन करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है, जो उन्होंने नहीं किया. इसलिए सजा में कोई कटौती नहीं की जा सकती है.

नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने नागालैंड सरकार के पूर्व सचिव सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया को 1987 के आर्म्स एक्ट के एक मामले में दोषी करार देते हुए पांच साल की कैद और डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनु अग्रवाल ने ये फैसला सुनाया.

Former Nagaland secretary jailed for 5 years for arms possession
राउज एवेन्यू कोर्ट

कई हथियार बरामद
मामला 26 मार्च 1987 का है, जब उनके दिल्ली के पंडारा रोड स्थित आवास पर छापा मारा गया. छापे के दौरान उनके आवास से एक 38 बोर की रिवाल्वर के साथ 74 कारतूस, एक एनपी बोर पिस्तौल के साथ 32 कारतूस, चेकोस्लोवाकिया से बना एक राइफल, एक अमेरिका में बनी कार्बाइन और मैगजीन के अलावा दो एसएलआर के दो सौ कारतूस, साथ में कार्बाइन के 46 कारतूस बरामद किए गए थे. उसके बाद अहलूवालिया के कोहिमा स्थित निवास पर छापा मारा गया. छापे के दौरान 22 बोर का राइफल, 22 बोर के 167 कारतूस, और लकड़ी के बक्से में 6.35 एमएम के 300 जिंदा कारतूस बरामद किए गए थे.

दो हथियारों का फर्जी आदेश दिखाया
जांच में पाया गया कि अहलूवालिया को तीन हथियारों के लाइसेंस मिले थे. उन्हें तीन हथियार रखने की अनुमति थी, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने 23 सितंबर 1985 को फर्जी दस्तावेज के जरिये कोहिमा के आयुक्त के यहां से चौथे हथियार का लाइसेंस प्राप्त कर लिया. इस चौथे लाइसेंस के आधार पर उन्होंने चांदनी चौक के मेसर्स बीआर साहनी की दुकान से दो हथियार खरीदे. जांच में पता चला कि चौथे लाइसेंस के लिए हथियार खरीदते समय अहलूवालिया ने दो हथियारों का फर्जी आदेश दिखाया.

32 साल चली सुनवाई
इस केस की सुनवाई 32 साल चली. कोर्ट ने अहलूवालिया को लाइसेंस हासिल करने में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 417 के तहत एक साल की कैद, आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत दो साल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना साथ में भारतीय दंड संहिता की धारा 471 के तहत पांच साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना के आदेश सुनाया. कोर्ट ने कहा कि ये सभी सजाएं एक साथ चलेगी.


कोर्ट ने कहा कि आरोपी की उम्र 81 वर्ष की है, लेकिन उनके सजा में कोई कमी नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी आईएएस अधिकारी रहे हैं और उन्हें कानून पालन करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है, जो उन्होंने नहीं किया. इसलिए सजा में कोई कटौती नहीं की जा सकती है.

Intro:नई दिल्ली । दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने नागालैंड सरकार के पूर्व सचिव सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया को 1987 के आर्म्स एक्ट के एक मामले में दोषी करार देते हुए पांच साल की सश्रम कैद और डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनु अग्रवाल ने ये फैसला सुनाया। सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया फिलहाल 81 वर्ष के हैं।



Body:मामला 26 मार्च 1987 का है जब उनके दिल्ली के पंडारा रोड स्थित आवास पर छापा मारा गया। छापे के दौरान उनके आवास से एक .38 बोर की रिवाल्वर के साथ 74 कारतूस, एक एनपी बोर पिस्तौल के साथ 32 कारतूस, चेकोस्लोवाकिया से बना एक राइफल, एक अमेरिका में बनी कार्बाइन और मैगजीन के अलावा दो एसएलआर के दो सौ कारतूस और कार्बाईन के 46 कारतूल बरामद किए गए थे।
उसके बाद अहलूवालिया के कोहिमा स्थित निवास पर छापा मारा गया। छापे के दौरान .22 बोर का राइफल, .22 बोर के 167 कारतूस, और लकड़ी के बक्से में 6.35 एमएम के 300 जिंदा कारतूस बरामद किए गए थे। जांच में पाया गया कि अहलूवालिया को तीन हथियारों के लाईसेंस मिले थे। अहलूवालिया को तीन हथियार रखने की अनुमति थी। लेकिन उसके बावजूद उन्होंने 23 सितंबर 1985 को फर्जी दस्तावेज के जरिये कोहिमा के आयुक्त के यहां से चौथे हथियार का लाइसेंस प्राप्त कर लिया। इस चौथे लाइसेंस के आधार पर उन्होंने चांदनी चौक के मेसर्स बीआर साहनी की दुकान से दो हथियार खरीदे। जांच में पता चला कि चौथे लाईसेंस के लिए हथियार खरीदते समय अहलूवालिया ने दो हथियारों का फर्जी आदेश दिखाया।
इस केस की सुनवाई 32 साल चली। कोर्ट ने अहलूवालिया को लाईसेंस हासिल करने में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 417 के तहत एक साल की सश्रम कैद, आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत दो साल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना और भारतीय दंड संहिता की धारा 471 के तहत पांच साल की सश्रम कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना का आदेश सुनाया। कोर्ट ने कहा कि ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।



Conclusion:कोर्ट ने कहा कि आरोपी की उम्र 81 वर्ष की है लेकिन उन्हें इस बिना सजा में कोई कमी नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी आईएएस अधिकारी रहे हैं और उन्हें कानून का पालन करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है जो उन्होंने नहीं किया । इसलिए सजा में कोई कटौती नहीं की जा सकती है।
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