नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के नान कालेजिएट वुमन एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब) के जीसस एंड मेरी कालेज (जेएमसी) स्थित सेंटर के पहले, दूसरे और तीसरे सेमेस्टर की करीब दो हजार छात्राओं को पिछले वर्ष सभी विषयों में फेल कर दिया गया था. मामले का हल न निकालने पर छात्राओं ने शनिवार, रविवार और सोमवार को कालेज के बाहर प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन के बाद आश्वासन: आज के प्रदर्शन का नेतृत्व डूसू छात्र संघ के नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष भानू प्रताप सिंह और सचिव मित्रविंदा कर्णवाल ने किया. छात्र नेताओं और पीड़ित छात्राओं के प्रचंड प्रदर्शन के चलते परीक्षा विभाग के अधिकारी इनकी बात सुनने के लिए तैयार हुए. फिर इन लोगों ने विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की. अब परीक्षा विभाग की ओर से मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं.
पिछले साल भी इसी तरह का मामला आया था सामने: एनसीवेब की जेएमसी सेंटर में पढ़ रही एक छात्रा एवं कॉलेज छात्र संघ की उपाध्यक्ष विधि चौधरी ने बताया कि पिछले साल एक साथ सैकड़ों छात्राओं की ईआर (एसेंशियल रिपीट) लगा दी गई. जो पूरी तरह से गलत थी, क्योंकि जो नंबर हमें भेजे गए थे, उनके आधार पर हम पास थे. इसके बाद कॉलेज प्रशासन से इसकी शिकायत की. उन्होंने परीक्षा विभाग में शिकायत करने को कहा. छात्राएं परीक्षा विभाग में मिलकर आईं, लेकिन मामला नहीं सुलझा गया. कालेज की ओर से आश्वासन दिया गया था कि खामी को सही कर लिया जाएगा. लेकिन, इसे सही नहीं किया गया.
कई छात्राएं मध्यम परिवार से आते हैं: अब 30 नवंबर को तीसरे सेमेस्टर के साथ ईआर के पेपरों के फार्म भरने के लिए कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को निर्देश दिया. छात्रा ने बताया कि एक पेपर का फार्म भरने में 300 रुपये तक खर्च होते हैं. एनसीवेब में निम्न मध्यम परिवार की छात्राएं पढ़ने आती हैं. उनके लिए हर पेपर के लिए अलग से रुपये देना भी संभव नहीं होता है. जब छात्राओं की कोई गलती नहीं है, तो वे अलग से ईआर के पेपरों की परीक्षा क्यों दें.
डीयू परीक्षा विभाग के डीन प्रो. गुरप्रीत टूटेजा ने कहा कि पिछले साल काफी छात्राओं की परेशानी को ठीक किया गया था. कॉलेज की ओर से लापरवाही की जा रही है. हम मामले की जांच कराएंगे. एनसीवेब की निदेशक प्रो. गीता भट्ट ने कहा कि कॉलेज की ओर से गलत नंबर भेजे गए थे. इस वजह से ईआर आई थी. छात्राओं की समस्या को सुलझाया जा रहा है. कॉलेज की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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