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पाकिस्तान : रमजान में मस्जिदों में सामूहिक नमाज को सशर्त मंजूरी - offering namaz in ramzan

पाकिस्तान में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार को उलेमा को समझाने और मनाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. कई प्रभावशाली उलेमा ने साफ कर दिया है कि पवित्र रमजान के महीने में मस्जिदों में सामूहिक नमाज होकर रहेगी. इस मुद्दे पर देश के कई विख्यात उलेमा, धार्मिक विद्वानों की राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के साथ बैठक हुई जिसमें रमजान के लिए 20 सूत्री कार्ययोजना पर सहमति बनी. पढ़ें पूरी खबर...

offering namaz in ramzan during lockdown
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Published : Apr 18, 2020, 11:29 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार को उलेमा को समझाने और मनाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. कई प्रभावशाली उलेमा ने साफ कर दिया है कि पवित्र रमजान के महीने में मस्जिदों में सामूहिक नमाज होकर रहेगी. इस मुद्दे पर देश के कई विख्यात उलेमा, धार्मिक विद्वानों की राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के साथ बैठक हुई जिसमें रमजान के लिए 20 सूत्री कार्ययोजना पर सहमति बनी.

राष्ट्रपति अलवी ने शनिवार को बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी प्रेस कांफ्रेंस में दी. उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में मस्जिदों को खोला जाएगा. उन बीस तौर-तरीकों पर सहमति बन गई है जिनका पालन रमजान के महीने में मस्जिदों और लोगों को करना होगा.

अभी कोरना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी सोशल डिस्टैंसिंग को बनाए रखने के लिए मस्जिदों को सामूहिक नमाजों के लिए बंद रखा गया है. मस्जिद में अधिकतम पांच लोगों के ही होने की इजाजत दी गई है. लेकिन, उलेमा ने साफ कर दिया था कि यह पाबंदी रमजान में अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि अन्य नमाजों के साथ-साथ रमजान में पढ़ी जाने वाली विशेष तरावीह नमाज को भी मस्जिदों में अदा किया जाएगा.

इस एलान के बाद राष्ट्रपति और धार्मिक नेताओं की बैठक हुई जिसमें सरकार को मस्जिदों में सामूहिक नमाज की इजाजत देनी पड़ी लेकिन इसके लिए बीस शर्ते लगाई गईं.

इन बीस शर्तो में यह शामिल है कि मस्जिद में हर नमाज से पहले धुलाई होगी और कालीन या चटाई नहीं बिछाई जाएगी. लोग घरों से नमाज पढ़ने वाली निजी चटाई-कालीन लेकर आएंगे. मस्जिदों में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन किया जाएगा. नमाज या तरावीह के बाद किसी तरह का जमावड़ा नहीं लगाया जाएगा. पचास साल से अधिक आयु के लोगों और बच्चों का मस्जिद में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा.

बैठक में तय हुआ कि लोगों को फर्ज नमाज के अलावा अन्य नमाजों को घरों में ही पढ़ने के लिए कहा जाएगा. तरावीह की नमाज किसी सड़क या फुटपाथ आदि पर न पढ़कर केवल मस्जिद में पढ़ी जाएगी. मस्जिद के फर्श को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार सैनिटाइज किया जाएगा.

शर्तो में तय हुआ है कि सामूहिक नमाज के दौरान नमाजियों के बीच कम से कम छह फीट की दूरी बनाकर रखनी होगी. मस्जिद में कोई सहरी या इफ्तार का आयोजन नहीं होगा. लोगों को फेस मास्क पहनना होगा और हाथ नहीं मिलाना होगा.

गौरतलब है कि सऊदी अरब के मक्का स्थित इस्लाम की पवित्रतम मस्जिद के इमाम ने लोगों से कहा है कि वे कोरोना महामारी के कारण रमजान के दौरान सभी नमाजें और तरावीह घरों में पढ़ें.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार को उलेमा को समझाने और मनाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. कई प्रभावशाली उलेमा ने साफ कर दिया है कि पवित्र रमजान के महीने में मस्जिदों में सामूहिक नमाज होकर रहेगी. इस मुद्दे पर देश के कई विख्यात उलेमा, धार्मिक विद्वानों की राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के साथ बैठक हुई जिसमें रमजान के लिए 20 सूत्री कार्ययोजना पर सहमति बनी.

राष्ट्रपति अलवी ने शनिवार को बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी प्रेस कांफ्रेंस में दी. उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में मस्जिदों को खोला जाएगा. उन बीस तौर-तरीकों पर सहमति बन गई है जिनका पालन रमजान के महीने में मस्जिदों और लोगों को करना होगा.

अभी कोरना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी सोशल डिस्टैंसिंग को बनाए रखने के लिए मस्जिदों को सामूहिक नमाजों के लिए बंद रखा गया है. मस्जिद में अधिकतम पांच लोगों के ही होने की इजाजत दी गई है. लेकिन, उलेमा ने साफ कर दिया था कि यह पाबंदी रमजान में अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि अन्य नमाजों के साथ-साथ रमजान में पढ़ी जाने वाली विशेष तरावीह नमाज को भी मस्जिदों में अदा किया जाएगा.

इस एलान के बाद राष्ट्रपति और धार्मिक नेताओं की बैठक हुई जिसमें सरकार को मस्जिदों में सामूहिक नमाज की इजाजत देनी पड़ी लेकिन इसके लिए बीस शर्ते लगाई गईं.

इन बीस शर्तो में यह शामिल है कि मस्जिद में हर नमाज से पहले धुलाई होगी और कालीन या चटाई नहीं बिछाई जाएगी. लोग घरों से नमाज पढ़ने वाली निजी चटाई-कालीन लेकर आएंगे. मस्जिदों में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन किया जाएगा. नमाज या तरावीह के बाद किसी तरह का जमावड़ा नहीं लगाया जाएगा. पचास साल से अधिक आयु के लोगों और बच्चों का मस्जिद में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा.

बैठक में तय हुआ कि लोगों को फर्ज नमाज के अलावा अन्य नमाजों को घरों में ही पढ़ने के लिए कहा जाएगा. तरावीह की नमाज किसी सड़क या फुटपाथ आदि पर न पढ़कर केवल मस्जिद में पढ़ी जाएगी. मस्जिद के फर्श को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार सैनिटाइज किया जाएगा.

शर्तो में तय हुआ है कि सामूहिक नमाज के दौरान नमाजियों के बीच कम से कम छह फीट की दूरी बनाकर रखनी होगी. मस्जिद में कोई सहरी या इफ्तार का आयोजन नहीं होगा. लोगों को फेस मास्क पहनना होगा और हाथ नहीं मिलाना होगा.

गौरतलब है कि सऊदी अरब के मक्का स्थित इस्लाम की पवित्रतम मस्जिद के इमाम ने लोगों से कहा है कि वे कोरोना महामारी के कारण रमजान के दौरान सभी नमाजें और तरावीह घरों में पढ़ें.

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