मलक्का: मलेशिया के प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकूब की मलय पार्टी ने मलक्का राज्य में शनिवार को हुए चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल की है और राष्ट्रीय चुनावों से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों के साथ-साथ विपक्ष को भी करारी शिकस्त दी.
यूनाइटेड मलय नेशनल आर्गेनाइजेशन (यूएमएनओ) द्वारा दक्षिणी मलक्का राज्य में जीत को एक ऐसी संजीवनी के रूप में देखा गया, जो राजनीतिक उथल-पुथल के इस काल में राष्ट्रीय चुनावों में गठबंधन को आकार दे सकता है. चुनाव 2023 तक निर्धारित नहीं हैं, लेकिन ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगले साल ही चुनाव कराये जा सकते हैं.
यूएमएनओ ने 1957 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से मलेशिया का नेतृत्व किया था, लेकिन अरबों डॉलर के वित्तीय घोटाले के सामने आने के बाद 2018 के चुनावों में विपक्षी नेता इब्राहिम अनवर के सुधारवादी गठबंधन द्वारा उसे सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. घोटाला मामले में पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक को भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया था. अनवर का गठबंधन पिछले साल तब टूट गया जब मुहीद्दीन यासीन अपनी बेरसातू पार्टी के साथ गठबंधन से बाहर आ गये और यूएमएनओ और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर नयी सरकार बनाई.
चुनाव आयोग ने कहा कि यूएमएनओ के नेतृत्व वाले नेशनल फ्रंट गठबंधन ने राज्य की 28 विधानसभा सीटों में से 21 सीटें हासिल कीं, जबकि अनवर नीत विपक्ष ने पांच और बरसातु ने दो सीटें जीतीं. मलेशिया के नॉटिंघम विश्वविद्यालय की दक्षिण पूर्व एशिया विशेषज्ञ ब्रिजेट वेल्श ने कहा, मतदाता यूएमएनओ/नेशनल फ्रंट के साथ आ गये, क्योंकि यह गठबंधन असुरक्षा के समय में अधिक वित्तीय सुरक्षा से जुड़ा है.
उन्होंने कहा कि यह विपक्ष के लिए भी एक बड़ी हार थी और यह दर्शाता है कि मतदाताओं ने अनवर के नेतृत्व को खारिज कर दिया.
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भ्रष्टाचार के मुकदमे का सामना कर रहे यूएमएनओ के अध्यक्ष अहमद जाहिद हमीदी ने कहा कि मलक्का के लोगों ने एक स्पष्ट संकेत भेजा है कि वे 'स्थिरता और समृद्धि' चाहते हैं। विपक्षी नेताओं ने अपने नुकसान के लिए 66 प्रतिशत कम मतदान को जिम्मेदार ठहराया.
पीटीआई-भाषा