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अमेरिका : दक्षिण चीन सागर में चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध

चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच अमेरिका चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सदस्यों और राज्य-स्वामित्व वाले कुछ व्यवसायों से जुड़े सदस्यों पर विवादित दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण को लेकर वीजा प्रतिबंध लगा दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

US imposes visa ban on Chinese officials
चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध
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Published : Aug 27, 2020, 1:36 PM IST

वाशिंगटन/बीजिंग : अमेरिका ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सदस्यों और राज्य-स्वामित्व वाले कुछ व्यवसायों से जुड़े सदस्यों पर विवादित दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण को लेकर वीजा प्रतिबंध लगा दिया है.

स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा बुधवार को जारी बयान में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि 26 अगस्त से दक्षिण चीन सागर में विवादित आउटपोस्ट के बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण, निर्माण, या सैन्यीकरण के जिम्मेदार पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के सदस्यों और दक्षिण-पूर्वी एशियाई दावेदारों के ऑफशोर संसाधनों तक उनकी पहुंच को जबरदस्ती बाधित करने या उपयोग करने से रोकने के लिए पीआरसी सदस्यों के वीजा पर प्रतिबंध लागू हो गया है.

वीजा प्रतिबंध से दक्षिण चीन सागर कब्जे में शामिल न सिर्फ सीसीपी शासन के सदस्यों, पीएलए पर प्रतिबंध लगा है, बल्कि पीआरसी के निजी सदस्यों और व्यवसायों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.

स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा, ये सदस्य अब संयुक्त राज्य अमेरिका में अमान्य हैं, साथ ही इस वीजा प्रतिबंध के अधीन उनके परिवार के सदस्य भी हैं.

इसके अलावा, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स ने 24 पीआरसी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को एंटीटी लिस्ट में शामिल किया है, जिसमें चीन कम्यूनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (सीसीसीसी) के कई सहायक शामिल हैं.

अमेरिकी सरकार ने कहा कि, पीआरसी साल 2013 के बाद से ही अपने राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का उपयोग दक्षिण चीन सागर में 3,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में विवादित सुविधाओं को बनाने और पुन: प्राप्त करने के लिए करता आ रहा है, इसके साथ ही वह इनके माध्यम से इस क्षेत्र को अस्थिर करने, अपने पड़ोसियों के संप्रभु अधिकारों को कुचलने और पर्यावरण से जुड़ी तबाही का कारण बना है.

वहीं विदेश विभाग ने कहा कि, सीसीसीसी ने पीआरसी के दक्षिण चीन सागर आउटपोस्ट के विध्वसंक ड्रेजिंग का नेतृत्व किया और यह बीजिंग के ग्लोबल 'वन बेल्ट वन रोड' रणनीति में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख कॉन्ट्रैक्टर्स में से एक है.

अमेरिका ने कहा कि सीसीसीससी और उसकी सहायक कंपनियां दुनिया भर में भ्रष्टाचार, घातक वित्तपोषण, पर्यावरण विनाश और अन्य दुर्व्यवहारों में लिप्त हैं.

पोंपियो ने अपने बयान में कहा, पीआरसी को विस्तारवादी एजेंडा लागू करने के लिए सीसीसीसी और अन्य राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को हथियार के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.

अमेरिका ने चेतावनी दी है कि, वह तब तक कार्रवाई करेगा, जब तक बीजिंग वाशिंगटन को दक्षिण चीन सागर में अपने आक्रामक कार्यों को बंद करने का आश्वासन नहीं दे देता.

पोंपियो ने कहा, हम इस अस्थिरता पैदा करने वाली गतिविधि का विरोध करने में सहयोगियों और भागीदारों के साथ आगे भी खड़े रहेंगे.

पढ़ें - पोम्पियो को अन्य अरब राष्ट्रों के भी इजराइल से रिश्ते बढ़ाने की उम्मीद

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका स्वतंत्र और खुले दक्षिण तीन सागर का समर्थन करता है. साथ ही यह कहा कि वाशिंगटन सभी देशों के संप्रभु अधिकारों का सम्मान करता है और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप शांति और समुद्र की स्वतंत्रता को बनाए रखने की कोशिश करता है.

पोंपियो ने आगे कहा, मैंने जुलाई में दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के गैरकानूनी समुद्री दावों को लेकर एक अपडेटेड नीति की घोषणा की और जोर देकर कहा था कि बीजिंग के धमकी भरे अभियान का विरोध करने के लिए अमेरिका कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार है.

वाशिंगटन/बीजिंग : अमेरिका ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सदस्यों और राज्य-स्वामित्व वाले कुछ व्यवसायों से जुड़े सदस्यों पर विवादित दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण को लेकर वीजा प्रतिबंध लगा दिया है.

स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा बुधवार को जारी बयान में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि 26 अगस्त से दक्षिण चीन सागर में विवादित आउटपोस्ट के बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण, निर्माण, या सैन्यीकरण के जिम्मेदार पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के सदस्यों और दक्षिण-पूर्वी एशियाई दावेदारों के ऑफशोर संसाधनों तक उनकी पहुंच को जबरदस्ती बाधित करने या उपयोग करने से रोकने के लिए पीआरसी सदस्यों के वीजा पर प्रतिबंध लागू हो गया है.

वीजा प्रतिबंध से दक्षिण चीन सागर कब्जे में शामिल न सिर्फ सीसीपी शासन के सदस्यों, पीएलए पर प्रतिबंध लगा है, बल्कि पीआरसी के निजी सदस्यों और व्यवसायों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.

स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा, ये सदस्य अब संयुक्त राज्य अमेरिका में अमान्य हैं, साथ ही इस वीजा प्रतिबंध के अधीन उनके परिवार के सदस्य भी हैं.

इसके अलावा, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स ने 24 पीआरसी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को एंटीटी लिस्ट में शामिल किया है, जिसमें चीन कम्यूनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (सीसीसीसी) के कई सहायक शामिल हैं.

अमेरिकी सरकार ने कहा कि, पीआरसी साल 2013 के बाद से ही अपने राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का उपयोग दक्षिण चीन सागर में 3,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में विवादित सुविधाओं को बनाने और पुन: प्राप्त करने के लिए करता आ रहा है, इसके साथ ही वह इनके माध्यम से इस क्षेत्र को अस्थिर करने, अपने पड़ोसियों के संप्रभु अधिकारों को कुचलने और पर्यावरण से जुड़ी तबाही का कारण बना है.

वहीं विदेश विभाग ने कहा कि, सीसीसीसी ने पीआरसी के दक्षिण चीन सागर आउटपोस्ट के विध्वसंक ड्रेजिंग का नेतृत्व किया और यह बीजिंग के ग्लोबल 'वन बेल्ट वन रोड' रणनीति में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख कॉन्ट्रैक्टर्स में से एक है.

अमेरिका ने कहा कि सीसीसीससी और उसकी सहायक कंपनियां दुनिया भर में भ्रष्टाचार, घातक वित्तपोषण, पर्यावरण विनाश और अन्य दुर्व्यवहारों में लिप्त हैं.

पोंपियो ने अपने बयान में कहा, पीआरसी को विस्तारवादी एजेंडा लागू करने के लिए सीसीसीसी और अन्य राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को हथियार के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.

अमेरिका ने चेतावनी दी है कि, वह तब तक कार्रवाई करेगा, जब तक बीजिंग वाशिंगटन को दक्षिण चीन सागर में अपने आक्रामक कार्यों को बंद करने का आश्वासन नहीं दे देता.

पोंपियो ने कहा, हम इस अस्थिरता पैदा करने वाली गतिविधि का विरोध करने में सहयोगियों और भागीदारों के साथ आगे भी खड़े रहेंगे.

पढ़ें - पोम्पियो को अन्य अरब राष्ट्रों के भी इजराइल से रिश्ते बढ़ाने की उम्मीद

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका स्वतंत्र और खुले दक्षिण तीन सागर का समर्थन करता है. साथ ही यह कहा कि वाशिंगटन सभी देशों के संप्रभु अधिकारों का सम्मान करता है और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप शांति और समुद्र की स्वतंत्रता को बनाए रखने की कोशिश करता है.

पोंपियो ने आगे कहा, मैंने जुलाई में दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के गैरकानूनी समुद्री दावों को लेकर एक अपडेटेड नीति की घोषणा की और जोर देकर कहा था कि बीजिंग के धमकी भरे अभियान का विरोध करने के लिए अमेरिका कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार है.

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