संयुक्त राष्ट्र: UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने डिजिटल मीडिया के माध्यम से 'बिजली की गति' से फैलने वाले नफरत भरे और नफरत को फैलाने वाले भाषणों से लड़ने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म और स्वयंसेवी समूहों द्वारा 'सेल्फ पुलिसिंग के नए रूप और कार्य' का समर्थन किया है.
संयुक्त राष्ट्र में मंगलवार को द्वेषपूर्ण भाषण (हेट स्पीच) पर एक रणनीति और कार्य योजना लॉन्च करते हुए गुटेरेस ने घोषणा की, 'द्वेषपूर्ण भाषणों ने भले ही पैर जमाने में सफलता प्राप्त कर ली है लेकिन यह अब नोटिस पर है और हम इससे निपटना बंद नहीं करेंगे.'
उन्होंने कहा, 'नफरत भरे और विनाशकारी विचारों को डिजिटल तकनीक के माध्यम से सक्षम और प्रवर्धित किया जाता है, जो अक्सर महिलाओं, अल्पसंख्यकों और सबसे कमजोर लोगों को निशाना बनाता है. चरमपंथी ऑनलाइन इकट्ठा होते हैं और नई भर्तियां करते हैं.'
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा 'सेल्फ-पुलिसिंग' के नए रूपों और 'क्राइस्टचर्च कॉल' में शामिल प्रतिबद्धताओं का स्वागत किया.
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आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी सामग्री को खत्म करने के लिए क्राइस्टचर्च कॉल को पिछले महीने मार्च में न्यूजीलैंड की राजधानी में मस्जिदों पर आतंकवादी हमले के जवाब में सरकार और प्रौद्योगिकी नेताओं द्वारा अपनाया गया था.
आपको बता दें कि गुटेरेस ने डिजिटल तकनीक का उपयोग ऐसी गतिविधियों पर नजर रखने, इन पर प्रतिक्रिया देने और इनके खिलाफ माहौल तैयार करने का सुझाव दिया.
उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक समूहों का हालिया उभार, जो उत्पीड़न और नफरत भरी भाषा से निपटने का प्रयास कर रहे हैं, उनके और संयुक्त राष्ट्र के बीच सहयोग की संभावना पैदा हुई है.
उन्होंने कहा, 'उदार लोकतंत्र और तानाशाही शासन, दोनों में ही कुछ राजनीतिक नेता घृणा फैलाने वाले विचारों और इन समूहों की भाषा को मुख्यधारा में ला रहे हैं, उन्हें सामान्य बना रहे हैं, सार्वजनिक तौर पर बढ़ावा दे रहे हैं और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रहे हैं.'
बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने उदार लोकतंत्रों और राजनीतिक नेताओं के नाम बताने से इनकार कर दिया, जिनका वे उल्लेख कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर वह नाम लेकर शर्मिदा करते हैं तो फिर सिर्फ इसे ही प्रचारित किया जाएगा जबकि वह चाहते हैं कि मुद्दे का जो सार है, उससे निपटा जाए.
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गुटेरेस ने कहा, 'अभद्र भाषा से निपटने का मतलब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित या प्रतिबंधित करना नहीं है. इसका मतलब है कि नफरत फैलाने वाले भाषण को और अधिक खतरनाक, विशेष रूप से भेदभाव, शत्रुता और हिंसा के लिए उकसाने से रोकना है जो अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत निषिद्ध हैं.'