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'देश को कमांडो की ज़रूरत है जो राजनीति छोड़ लोगों के लिए काम करे'

गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट की जनता कभी भी निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए दरियादिल नहीं रही. मैदान में इस बार 2 निर्दलीय प्रत्याशी हैं. लेकिन आज तक कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी संसद की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाया है.

देश को कमांडो की ज़रूरत है'
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Published : Mar 28, 2019, 3:11 PM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: चुनावी मैदान में बैगर किसी दल की बैसाखी के अपने बूते किस्मत आजमाने का सिलसिला काफी पुराना है. साल 1984 से साल 2014 में कई प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई लेकिन सबकी ज़मानत ज़ब्त हुई.

'देश को कमांडो की ज़रूरत है'

साल 2019 लोक सभा चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने मैदान में टक्कर देने के पर्चा भरा है. हर साल निर्दलीय यहां ताल ठोकते हैं लेकिन अभी तक किसी को कामयाबी नहीं मिली.

'जनता ने प्रत्याशी बनाया'
हिंदी सेवा समाज समिति के संस्थापक और गौतमबुद्ध नगर से लोकसभा प्रत्याशी कमांडो अशोक ने कहा उन्हें किसी पार्टी ने नहीं बल्कि जनता ने प्रत्याशी बनाया है.

'देश को कमांडो की ज़रूरत'
निर्दलीय प्रत्याशी कमांडो अशोक ने कहा कि रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, जन संख्या, किसानो की लड़ाई और फ्लैट बायर्स कि लड़ाई को लेकर मैदान में उतरे हैं. साल 2015 से हम लगातार जनता के बीच है और सेवा कर रहे हैं. आर्मी कि नौकरी इसलिए छोड़ी क्योंकि देश को एक कमांडो की ज़रूरत है. जो राजनीति छोड़ लोगों के लिए काम करे.

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: चुनावी मैदान में बैगर किसी दल की बैसाखी के अपने बूते किस्मत आजमाने का सिलसिला काफी पुराना है. साल 1984 से साल 2014 में कई प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई लेकिन सबकी ज़मानत ज़ब्त हुई.

'देश को कमांडो की ज़रूरत है'

साल 2019 लोक सभा चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने मैदान में टक्कर देने के पर्चा भरा है. हर साल निर्दलीय यहां ताल ठोकते हैं लेकिन अभी तक किसी को कामयाबी नहीं मिली.

'जनता ने प्रत्याशी बनाया'
हिंदी सेवा समाज समिति के संस्थापक और गौतमबुद्ध नगर से लोकसभा प्रत्याशी कमांडो अशोक ने कहा उन्हें किसी पार्टी ने नहीं बल्कि जनता ने प्रत्याशी बनाया है.

'देश को कमांडो की ज़रूरत'
निर्दलीय प्रत्याशी कमांडो अशोक ने कहा कि रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, जन संख्या, किसानो की लड़ाई और फ्लैट बायर्स कि लड़ाई को लेकर मैदान में उतरे हैं. साल 2015 से हम लगातार जनता के बीच है और सेवा कर रहे हैं. आर्मी कि नौकरी इसलिए छोड़ी क्योंकि देश को एक कमांडो की ज़रूरत है. जो राजनीति छोड़ लोगों के लिए काम करे.

Intro:गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट कि जनता कभी भी निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए दरियादिल नहीं रही। साल 1984 से साल 2014 में कई प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई लेकिन सबकी जमानत जब्त हुई। साल 2019 लोक सभा चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने मैदान में टक्कर देने के लिए उतरे हैं। मैदान में इस बार 2 निर्दलीय प्रत्याशी हैं। लेकिन आज तक कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी संसद की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाया है।


Body:चुनावी मैदान में बैगर किसी दल की बैसाखी के अपने बूते किस्मत आजमाने का सिलसिला काफी पुराना है। साल 1984 से 2019 के मौजूदा लोकसभा चुनाव में निर्दलीय हर साल ताल ठोकते हैं लेकिन अभी तक किसी के यहां सफलता नहीं लगी।

हिंदी सेवा समाज समिति के संस्थापक और गौतमबुद्ध नगर से लोकसभा प्रत्याशी कमांडो अशोक ने कहा उन्हें किसी पार्टी ने नहीं बल्कि जनता से प्रत्यशी बनाया है। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, जन संख्या, किसानो की लड़ाई और फ्लैट बायर्स कि लड़ाई को लेकर मैदान में उतरे हैं। साल 2015 से हम लगातार जनता के बीच है और सेवा कर रहे हैं।

"देश को कमांडो कि जरूरत"
निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि आर्मी कि नौकरी इसलिए छोड़ी क्योंकि देश को एक कमांडो कि जरूरत है। जो राजनीति छोड़ सेवा से लोगों के लिए काम करे।


Conclusion:हालांकि बात दें कि खुर्जा से अलग हुई गौतमबुद्ध नगर लोक सभा इस बात कि गवाह रही है कि यहां से कोई निर्दलीय प्रत्याशी नहीं जीता है।
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