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गाजियाबादः मोबाइल चार्जिंग के लिए किसानों ने किया देसी जुगाड़

गाजियाबाद-दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को सबसे बड़ी मुश्किल मोबाइल चार्जिंग को लेकर आ रही थी. इसके लिए किसानों ने यहां देसी जुगाड़ बनाया है.

farmers make domestic jugaad for mobile charging
गाजियाबाद किसान प्रदर्शन मोबाइल चार्ज
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Published : Dec 6, 2020, 4:25 PM IST

गाजियाबादः किसानों के आंदोलन का आज 11वां दिन है. गाजियाबाद और दिल्ली की सीमा, गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान 8 दिसंबर के लिए आपस में वार्ता कर रहे हैं. इस बीच किसानों को सबसे बड़ी मुश्किल मोबाइल चार्जिंग को लेकर आ रही थी. इसके लिए किसानों ने यहां देसी जुगाड़ बनाया है. बिजली विभाग के एक बॉक्स में से कुछ तारें निकाल कर किसानों ने सर्किट लगा दिया है. इस सर्किट में बिजली का बोर्ड लगाकर किसान यहां देसी तरीके से मोबाइल फोन चार्ज कर रहे हैं.

मोबाइल चार्जिंग के लिए यूपी गेट पर किसानों का देसी जुगाड़

किसानों का ये फार्मूला उनके लिए काफी कारगर साबित हो रहा है. हालांकि उनका कहना है कि सरकार तो कुछ व्यवस्था उनके लिए करनी चाहिए. क्योंकि यहां कुछ ऐसे भी युवा किसान हैं, जो मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन स्टडी भी कर रहे हैं. इसके अलावा देश दुनिया से जुड़े रहने के लिए भी उनके पास मोबाइल ही सिर्फ एक मात्र साधन है.

जब तक रहेंगे तब तक रहेगा फार्मूला

किसानों का कहना है कि यह देसी जुगाड़ वह तब तक बना कर रखेंगे, जब तक यहां पर डटे रहेंगे. पूर्व में इसी जगह को किसानों ने किसान क्रांति गेट का नाम दे दिया था, जहां वह बैठे हुए हैं. उनका कहना है कि आगे भी कभी आंदोलन होगा तो यहां मोबाइल चार्जिंग की व्यवस्था का इंतजाम पहले से कर दिया करेंगे. किसानों के इस देसी जुगाड़ को देखकर यहां आने वाले अन्य लोग भी उनकी देसी इंजीनियरिंग की चर्चा कर रहे हैं.

गाजियाबादः किसानों के आंदोलन का आज 11वां दिन है. गाजियाबाद और दिल्ली की सीमा, गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान 8 दिसंबर के लिए आपस में वार्ता कर रहे हैं. इस बीच किसानों को सबसे बड़ी मुश्किल मोबाइल चार्जिंग को लेकर आ रही थी. इसके लिए किसानों ने यहां देसी जुगाड़ बनाया है. बिजली विभाग के एक बॉक्स में से कुछ तारें निकाल कर किसानों ने सर्किट लगा दिया है. इस सर्किट में बिजली का बोर्ड लगाकर किसान यहां देसी तरीके से मोबाइल फोन चार्ज कर रहे हैं.

मोबाइल चार्जिंग के लिए यूपी गेट पर किसानों का देसी जुगाड़

किसानों का ये फार्मूला उनके लिए काफी कारगर साबित हो रहा है. हालांकि उनका कहना है कि सरकार तो कुछ व्यवस्था उनके लिए करनी चाहिए. क्योंकि यहां कुछ ऐसे भी युवा किसान हैं, जो मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन स्टडी भी कर रहे हैं. इसके अलावा देश दुनिया से जुड़े रहने के लिए भी उनके पास मोबाइल ही सिर्फ एक मात्र साधन है.

जब तक रहेंगे तब तक रहेगा फार्मूला

किसानों का कहना है कि यह देसी जुगाड़ वह तब तक बना कर रखेंगे, जब तक यहां पर डटे रहेंगे. पूर्व में इसी जगह को किसानों ने किसान क्रांति गेट का नाम दे दिया था, जहां वह बैठे हुए हैं. उनका कहना है कि आगे भी कभी आंदोलन होगा तो यहां मोबाइल चार्जिंग की व्यवस्था का इंतजाम पहले से कर दिया करेंगे. किसानों के इस देसी जुगाड़ को देखकर यहां आने वाले अन्य लोग भी उनकी देसी इंजीनियरिंग की चर्चा कर रहे हैं.

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