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गाय के दूध में होते हैं मां के दूध के गुण, जानिए क्या है गाय का महत्व - एक्सपर्ट से जानिए गाय का महत्व

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि गाय को किसी भी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. गाय को अब एक राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए. ऐसे में गाय हमारे जीवन में क्या कुछ महत्व रखती है यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी मुकेश कुमार और आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राहुल चतुर्वेदी से खास बातचीत की, देखिए.

Know importance of cow
जानिए क्या है गाय का महत्व ?
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Published : Sep 4, 2021, 2:00 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते एक सितंबर को एक मामले की सुनवाई में गाय को सिर्फ धार्मिक नजरिए से ना देखने और संस्कृति की रक्षा करने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए और इसके लिए संसद में बिल लाना चाहिए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गाय की पूजा होगी तभी देश समृद्ध होगा. ऐसे में गाय का क्या कुछ महत्व है और किस तरह से एक गाय मनुष्य के जीवन को बेहतर बना सकती है इसको जानने के लिए ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी मुकेश कुमार और आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ राहुल चतुर्वेदी से बातचीत की.

जानिए क्या है गाय का महत्व ?
डॉ. महेश कुमार ने बताया निश्चित रूप से मनुष्य के जीवन में गाय का महत्व बहुत अधिक है. पौराणिक कथाओं में भी गाय का काफी महत्व मिलता है. गाय का दूध काफी पौष्टिक होता है और मनुष्य को निरोगी बनाता है. गाय के दूध में विटामिन ए की मात्रा काफी अधिक होती है. गाय का दूध का सेवन करने से शरीर पुष्ट होता है. वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने बताया गाय की विभिन्न प्रजातियां हैं. भारत में मुख्य रूप से पाई जाने वाली गाय की दो प्रजातियां होती हैं. गिर और काठियावाड़ी. दोनों देसी गाय की प्रजातियां हैं. सरल शब्दों में जिन गायों के दूध में पीलापन पाया जाता है. उन्हें देसी गाय कहा जाता है.

गाय के दूध में क्लस्टम पाया जाता है. मां के दूध में जो गुण पाए जाते हैं वह देसी गाय के दूध में होते हैं. गाय के दूध से मस्तिष्क का विकास होता है. डॉ राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि ठंडा-गरम खाना खाने से शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में दुनिया में गाय का दूध एकमात्र 'पदार्थ' है जो अंगों को ठीक कर सामान्य स्थिति में लेकर आता है. गाय के गोबर के उपले बनाकर घर में धुनि करने से मच्छर मक्खी खत्म होते हैं.

इसके साथ ही घर के अंदर के कीटनाशक खत्म होते हैं और वातावरण अच्छा होता है. गाय के अंदर से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ही सकारात्मक होती है. गाय के सानिध्य में रहकर के प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाया जा सकता है. इसके साथ ही मनुष्य को ऊर्जा से मानसिक, शारीरिक और आत्मिक बल मिलता है.

डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि जहां एक तरफ गाय का दूध मनुष्य को निरोगी बनाती है, तो वहीं दूसरी तरफ गाय के गोबर का विभिन्न कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है. गाय के गोबर और पराली को मिलाकर उपलें बनाए जाए तो बड़े स्तर पर पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है. इन उपलों का प्रयोग अंतिम संस्कार आदि में किया जा सकता है.

गौर करने वाली बात यह है कि गाय के उपले किसी तरह का प्रदूषण नहीं करते हैं, जबकि लकड़ी के जलने से प्रदूषण होता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को रोजगार भी मिल सकता है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते एक सितंबर को एक मामले की सुनवाई में गाय को सिर्फ धार्मिक नजरिए से ना देखने और संस्कृति की रक्षा करने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए और इसके लिए संसद में बिल लाना चाहिए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गाय की पूजा होगी तभी देश समृद्ध होगा. ऐसे में गाय का क्या कुछ महत्व है और किस तरह से एक गाय मनुष्य के जीवन को बेहतर बना सकती है इसको जानने के लिए ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी मुकेश कुमार और आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ राहुल चतुर्वेदी से बातचीत की.

जानिए क्या है गाय का महत्व ?
डॉ. महेश कुमार ने बताया निश्चित रूप से मनुष्य के जीवन में गाय का महत्व बहुत अधिक है. पौराणिक कथाओं में भी गाय का काफी महत्व मिलता है. गाय का दूध काफी पौष्टिक होता है और मनुष्य को निरोगी बनाता है. गाय के दूध में विटामिन ए की मात्रा काफी अधिक होती है. गाय का दूध का सेवन करने से शरीर पुष्ट होता है. वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने बताया गाय की विभिन्न प्रजातियां हैं. भारत में मुख्य रूप से पाई जाने वाली गाय की दो प्रजातियां होती हैं. गिर और काठियावाड़ी. दोनों देसी गाय की प्रजातियां हैं. सरल शब्दों में जिन गायों के दूध में पीलापन पाया जाता है. उन्हें देसी गाय कहा जाता है.

गाय के दूध में क्लस्टम पाया जाता है. मां के दूध में जो गुण पाए जाते हैं वह देसी गाय के दूध में होते हैं. गाय के दूध से मस्तिष्क का विकास होता है. डॉ राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि ठंडा-गरम खाना खाने से शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में दुनिया में गाय का दूध एकमात्र 'पदार्थ' है जो अंगों को ठीक कर सामान्य स्थिति में लेकर आता है. गाय के गोबर के उपले बनाकर घर में धुनि करने से मच्छर मक्खी खत्म होते हैं.

इसके साथ ही घर के अंदर के कीटनाशक खत्म होते हैं और वातावरण अच्छा होता है. गाय के अंदर से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ही सकारात्मक होती है. गाय के सानिध्य में रहकर के प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाया जा सकता है. इसके साथ ही मनुष्य को ऊर्जा से मानसिक, शारीरिक और आत्मिक बल मिलता है.

डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि जहां एक तरफ गाय का दूध मनुष्य को निरोगी बनाती है, तो वहीं दूसरी तरफ गाय के गोबर का विभिन्न कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है. गाय के गोबर और पराली को मिलाकर उपलें बनाए जाए तो बड़े स्तर पर पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है. इन उपलों का प्रयोग अंतिम संस्कार आदि में किया जा सकता है.

गौर करने वाली बात यह है कि गाय के उपले किसी तरह का प्रदूषण नहीं करते हैं, जबकि लकड़ी के जलने से प्रदूषण होता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को रोजगार भी मिल सकता है.

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