नई दिल्ली/पलवल: सयुंक्त राज्य अमेरिका आधारित गैर-लाभकारी संस्था 'वन ट्री प्लांटेड' एवं सामाजिक उद्यम 'सस्टेनेबल ग्रीन इनिशिएटिव', केबीसी संस्था के माध्यम से क्षेत्र के मिंडकोला, मढनाका गेलपुर कारना, महेशपुर, जोहरखेड़ा, किशोरपुर, सारोली, लालवा और रीबड गांवों के किसानों को 20 हजार फलदार पौधे बांटे गए.
इस संबंध में सिंचाई विभाग के एसई डॉ. शिवसिंह रावत ने बताया कि इन गैर-लाभकारी संस्थाओं के द्वारा पौधारोपण के साथ किसानों की आय दोगुनी करने की प्लानिंग पर काम किया जा रहा है. किसानों को अलग-अलग प्रकार के फलों के पौधे वितरित किए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि किसानों को जो पौधे वितरित किए जा रहे हैं. उनमें आम, जामुन ,अमरूद ,नींबू, अनार, आंवला, पपीता के पौधे शामिल है. उनका मानना है कि फल वाले पौधे लगाने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और सेहत भी अच्छी रहेगी. उन्होंने किसानों से कम पानी वाली फसल लगाने का आह्वान किया. धान की जगह फल, सब्जी एवं बागवानी के लिए किसानों को प्रेरित किया.
डॉ. रावत ने फल वाले पौधों के महत्व की जानकारी देते हुए बताया कि फल वाले पौधे भुखमरी, गरीबी, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को रोकने में सहायक होते हैं. वायु मंडल से कार्बन डाईऑक्साइड गैस को सोखते हैं और आक्सीजन के रूप में शुद्ध हवा देते हैं. अधिक पेड़ होंगे तो अधिक बारिश होगी. पेड़ों से हरियाली होती है. वहीं पेडों की जड़ें जल को सहेज कर रखने में सहायक होती हैं. जो गिरते हुए भूजल स्तर को रोकने में मदद करती हैं.
डॉ शिवसिंह रावत ने कहा कि फल वाले पौधों से किसानों की आमदनी बढ़ेगी. जिससे किसान आत्म निर्भर बनेगा. फल खाने से सेहत अच्छी होगी. जिससे उसकी रोगों के लिए प्रतिरोधी क्षमता बढ़ेगी और कोरोना जैसी भयानक महामारी भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती.