नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ किया है कि कामकाज निलंबित करने के उसके फैसले निचली अदालतों को अपना अंतिम फैसला या आदेश सुनाने के लिए बाधा नहीं हैं. जस्टिस नवीन चावला के सिंगल बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.
दरअसल याचिकाकर्ता पुनीत कुमार ने हाईकोर्ट से उसके 15 अप्रैल के आदेश में संशोधन करने की मांग की थी. 15 अप्रैल के आदेश में हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में कामकाज निलंबित करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने 15 अप्रैल से 2 मई तक के सभी मामलों पर सुनवाई टालने का आदेश दिया था.
2015 से लंबित है याचिका
याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसकी तलाक की अर्जी फैमिली कोर्ट में 2015 से कोर्ट में लंबित है. उस मामले में 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. 18 जनवरी के बाद कई बार फैसला टाला गया. फैसले की पिछली तारीख 4 अप्रैल की थी, लेकिन हाईकोर्ट की ओर से कामकाज निलंबित करने की वजह से 4 अप्रैल को भी फैसला नहीं सुनाया जा सका.
ट्रायल कोर्ट अंतिम फैसला सुना सकता है
याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि हाईकोर्ट निचली अदालतों में कामकाज निलंबित करने के अपने आदेश में संशोधन करे ताकि ट्रायल कोर्ट उसके केस में अंतिम फैसला सुना सके. कोर्ट ने याचिका पर गौर करते हुए कहा कि हाईकोर्ट की ओर से कामकाज निलंबित करने में ट्रायल कोर्ट के अंतिम आदेश को सुनाने में कोई अवरोध नहीं है.