नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने AIIMS में परास्नातक पाठ्यक्रम के लिए आवेदन करने वाली एक दिव्यांग छात्रा को प्रवेश के लिए अनुमति दे (Disabled girl student allowed admission in AIIMS) दी है. कोर्ट दिव्यांग छात्रा द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें याचिकाकर्ता ने सफदरजंग अस्पताल द्वारा जारी एक विकलांग प्रमाण पत्र को चुनौती दी थी. विकलांग प्रमाण पत्र के चलते छात्रा परास्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए योग्य नहीं थी.
न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने एम्स अस्पताल द्वारा गठित की गई कि स्पेशल कमेटी की रिपोर्ट पर अपना फैसला सुनाते हुए छात्रा को परास्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए अनुमति दे दी. विशेषज्ञों की एक कमेटी ने यह माना कि छात्रा परास्नातक कक्षाओं के लिए जरूरी सभी क्रियाकलापों को सकुशल अंजाम देने में समर्थ है. याचिकाकर्ता डॉक्टर लक्ष्मी ने अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की सहायता से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. डॉ लक्ष्मी ने वीएमएमसी (सफदरजंग) कॉलेज द्वारा जारी दिव्यांग सर्टिफिकेट को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें परास्नातक कक्षाओं के लिए अनफिट करार दिया गया था.
न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने सामाजिक न्याय मंत्रालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय नेशनल मेडिकल कमिशन को नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा है ताकि नेशनल मेडिकल काउंसिल के पुनर्निर्धारण को लेकर एक हाई कमेटी का गठन किया जा सके, जिससे दिव्यांग छात्रों को भी विश्व की सबसे अधिक गुणवत्ता वाली प्रशिक्षण दिया जा सके.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि वीएमएमसी सफदरजंग कॉलेज ने उसे मूल्यांकन के दौरान कैलिपर पहनने की अनुमति नहीं दी और इस प्रकार सहायक उपकरण की सहायता के बिना कार्यात्मक विकलांगता की जांच करना गलत है.
बता दें, न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने दिल्ली एम्स के निदेशक को याचिकाकर्ता की विकलांगता का आकलन करने के लिए संबंधित क्षेत्र के तीन विशेषज्ञों का एक बोर्ड गठित करने और विशेष रूप से यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि क्या वह स्नातकोत्तर विशेषज्ञ डॉक्टर से अपेक्षित कार्यों को करने में सक्षम होगी.