नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच कोरोना वॉरियर्स भी संक्रमित होने लगे हैं. आलम ये है कि जिस तरह से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है इलाज मिलना भी मुश्किल हो गया है. इसके अलावा निजी अस्पतालों के बढ़ते बिल से भी मरीज परेशान हैं. बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल के कैजुअल्टी डिपार्टमेंट में ड्यूटी के दौरान कोरोना की चपेट में आए डॉ. योगेश चौधरी को भी कुछ ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ा.
दरअसल, पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी स्थित बाबा साहेब अंबेडकर हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टर योगेश चौधरी ड्यूटी के दौरान ही 27 जून को कोरोना संक्रमित हो गए. उनकी स्थिति खराब हो गई तो 29 जून को उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन तबीयत में सुधार नही होने पर कुछ दिनों के बाद ही 8 जुलाई को उन्हें वहां से हटाकर निजी अस्पताल सर गंगाराम हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया.
लेकिन सर गंगाराम अस्पताल ने भर्ती करने से पहले एक लाख रुपये जमा कराने को कहा. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनके अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने आपस में चंदा कर एक लाख रुपये जमा किए और डॉक्टर चौधरी को भर्ती करवाया. लेकिन बिल लगातार बढ़ता ही गया. 8 जुलाई से लेकर 14 जुलाई तक उनका बिल साढ़े तीन लाख से ज्यादा पहुंच गया और कहा गया कि पहले बकाया जमा करें फिर आगे का इलाज होगा. जिसके बाद रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने एक बार फिर दिल्ली भर के अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर के साथ मिलकर पैसे इकट्ठा किए और 2 लाख 80 हजार रुपये अस्पताल में जमा करवाए, तब दोबारा उनका इलाज शुरू हुआ.
'14 दिनों से डॉक्टर चौधरी की हालत थी गंभीर'
इसे लेकर भीमराव अंबेडकर अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर विनीत कुमार ने बताया कि पिछले 14 दिनों से डॉक्टर चौधरी की हालत काफी गंभीर थी, लेकिन पिछले 2 दिनों से उनकी हालत में मामूली सुधार हुआ है. पहले जहां ऑक्सीजन का सैचुरेशन 80 से 85 फीसदी तक पहुंच गया था वहीं अब इसमें सुधार होकर 90 फ़ीसदी तक पहुंचा है. इलाज कराते हुए 14-15 दिन हो गए लेकिन उनकी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं है. अगले चार दिन काफी मुश्किल हैं. बढ़ते बिल को लेकर डॉ. विनीत ने बताया कि निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए सरकारी स्तर पर बिल की कैपिंग जरूर की गई है लेकिन रोज बिल बढ़ रहे हैं.
सरकार की ओर से मदद न मिलने से आक्रोश
वहीं डॉ. चौधरी के इलाज को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं किए जाने को लेकर डॉक्टरों में रोष है. एम्स के जिरियाट्रिक डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विजय गुर्जर ने ट्वीट कर तंज कसते हुए लिखा कि जो लोग डॉक्टरों को गाली देते रहते हैं, सोच रहे होंगे कि डॉक्टर होने के नाते अस्पताल प्रशासन को बिल माफ कर देना चाहिए. ऐसी कोई नीति तो है नहीं, वह
क्यों इन पर दया करें ? कोरोना योद्धा होगा अपने घर पर होगा, इनके लिए तो बस मरीज हैं जिसको बिल देना पड़ेगा.
डॉ. राजकुमार श्रीनिवास ने भी किया ट्वीट
इसके अलावा प्रेसिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की महासचिव डॉ राजकुमार श्रीनिवास ने भी ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर किया. उन्होंने लिखा बड़ी भयानक स्थिति है. एक डॉक्टर ड्यूटी के दौरान कोरोना की चपेट में आ जाता है और सरकार उसी मदद करने को तैयार नहीं है. जो 3:50 लाख का बिल आया है उस बिल को माफ करने को तैयार नहीं है. एक तरफ सरकार तो कोरोना शहीदों के लिए एक करोड़ रूपए की मदद देने का दावा करती है, वहीं दूसरी तरफ जो डॉक्टर इलाज के लिए पैसे की तंगी से जूझ रहा है उसकी मदद नहीं की जा रही है. डॉ. श्रीनिवास ने ये भी कहा कि डॉक्टरों के झूठे सम्मान में आसमान से फूल की बारिश होगी लेकिन इलाज में आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी. डॉक्टरों को अच्छी क्वालिटी की पीपीई किट और एन95 मास्क दिए जाएं.