नई दिल्ली: गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले अडाणी ग्रुप को मुंबई के धारावी के पुनर्विकास का काम मिला है. गौतम अडाणी ने दावा किया है कि वह इस क्षेत्र को इतना बदल देंगे कि यहां से 'स्लमडॉग' नहीं बल्कि 'करोड़पति' निकलेंगे. बता दें कि मुंबई के मध्य में फैली 600 एकड़ की धारावी में लगभग 7,00,000 लोग रहते हैं, जिनका पुनर्वास करना है. इतने लोगों का पुनर्वास करना कोई आसान काम नहीं है, वो भी तब जब बहुत से लोग पहले से ही ये संदेह कर रहे हैं कि क्या सच में पुनर्वास होगा, या पुनर्वास के नाम पर उन्हें उनके घरों से निकाल दिया जाएगा.
ऐसे में मन में सवाल उठता है कि आखिर अडाणी ने इस प्रोजोक्ट को लिया ही क्यों, वो भी तब जब ये एक विवादस्पद परियोजना है. जो पिछले 20 सालों से विलंबित थी. इसमें जटिल आर्थिक और सामाजिक समस्याएं शामिल थीं. इस प्रोजेक्ट से अडाणी को क्या हासिल होगा, आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में...लेकिन उससे पहले जानते हैं कि गौतम अडाणी ने धारावी के कायापलट के लिए क्या वादे किए हैं...
धारावी के कायापलट का अडाणी का वादा
गौतम अडाणी ने धारावी के कायापलट का वादा किया है. वहां पानी, बिजली, गैस, साफ-सफाई जैसी तमाम बेसिक सुविधाएं दी जाएंगी. साथ ही धारावी में वर्ल्ड क्लास स्कूल और अस्पताल बनाने की भी तैयारी है. इन सब के इतर अडाणी का कहना है कि उनका इरादा न केवल मुंबई के धारावी को एक आधुनिक सिटी सेंटर में बदलने का है, बल्कि स्थानीय सूक्ष्म उद्योगों और छोटे उद्योगों को संरक्षित और बढ़ावा देने का भी है.
धारावी के लोगों की जाविका को बेहतर बनाने के लिए वहां ट्रेनिंग सेंटर खोले जाएंगे. जो उनके स्कील को बेहतर बनाने, प्रोडक्ट और सर्विस सेक्टर से जुड़े उद्यमिता मॉडल के बारे में जानकारी देने के लिए सेंटर खोले जाएंगे. वहां रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर, डेटा सेंटर और एमएसएमई हेल्पडेस्क भी खोले जाएंगे. साथ ही इस परियोजना में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के अनुरुप ऑर्गनाइज और सिस्टमेटिक बाजारों के निर्माण पर भी विचार किया जा रहा है.
धारावी कायाक्लप का काम नहीं आसान
अगर धारावी के 7,00,000 लोगों की अबादी को देखें, उनके काम को देखें, जिसमें चमड़ा, कपड़ा और मिट्टी के बर्तन जैसे कई छोटे उद्योग शामिल हैं तो धारावी के पुनर्विकास का काम असंभव लगता है. लेकिन हवाई अड्डों, बंदरगाहों और खदानों का प्रबंधन करने वाले अडाणी अपने परियोजना मैनेजमेंट के लिए ही जाने जाते हैं. उनका समूह पहले से ही मुबंई में धारावी से थोड़ी ही दूर एक हवाई अड्डा के साथ-साथ कई रियल एस्टेट परियोजनाओं का निर्माण कर रहे हैं.
इस परियोजना से अडाणी को क्या हासिल होगा?
अडाणी ग्रुप, जिस पर अमेरिकी शार्ट सेलर हिंडनबर्ग ने शेयर मैन्यूपुलेशन समेत 86 गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके चलते ग्रुप को काफी नुकसान झेलना पड़ा. ऐसे में अगर Gautam Adani धारावी के पुनर्विकास का काम पूरा करते हैं तो उन्हें समाज में एक जागरूक उद्योगपति के रुप में अपनी छवि स्थापित करने का अवसर मिलेगा. हिंडबर्ग की रिपोर्ट से खराब हुई अडाणी ग्रुप की इमेज लोगों के सामने सुधरेगी. उन्हें न केवल सामाजिक लाभ मिलेगा बल्कि वह पूरे भारत में ऐसी झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं के लिए एक मॉडल भी पेश करेंगे. हो सके तो भविष्य में उन्हें ऐसी और पुनर्विकास परियोजनाएं मिल सकती है.
धारावी दलदल से कैसे बना 'स्लम एरिया'
सदियों पहले, धारावी एक दलदल था. जिसमें कोली समुदाय का निवासी रहते थे. जो मछली पकड़ कर अपना जीवन यापन करते थे. बाद में गुजरात और तमिलनाडु के शिल्पकार वहां आकर बसने लगे. धीरे-धीरे मुंबई के धारावी का विस्तार होना शुरू हुआ क्योंकि यह एक प्रमुख बंदरगाह के रूप में उभरने लगा था. बहुत से प्रवासी आकर वहां बसने लगे. धारावी की सीमा धीरे-धीरे शहर के भीतर आ गई और फिर समय के साथ मुंबई का केंद्र बन गई. धारावी का सफल पुनर्विकास अडाणी को "स्लुम्बई" के नाम से जानी जाने वाली जगह की सफाई का श्रेय दिलाएगा. उन्हें स्वच्छ मुंबई का जनक कहा जाएगा क्योंकि उनका मॉडल शहर की अन्य असंख्य लेकिन छोटी झुग्गियों के पुनर्विकास में भी मदद करेगा.
धारावी बनेगा दूसरा बांद्रा कूला कॉम्पलेक्स
अगर धारावी का पुनर्विकास कार्य पूरा हो जाता है तो यह एक पॉश एरिया में बदल सकता है, जो कमाई का एक शानदार जरिया बन जाएगा. धारावी बांद्रा कुर्ला कॉम्पेलेक्स के साथ अपनी सीमा साझा करता है. इसका दूसरा किनारा दादर है. धारावी से मात्र 10 किलो मीटर दूर अडाणी हवाई अड्डा है, एक भूमिगत मेट्रो स्टेशन भी जल्द ही आने वाला है और कुछ साल बाद एक बुलेट ट्रेन भी इस क्षेत्र से गुजरेगी. ऐसे में यहां के जमीन के भाव आसमान छूने लगेंगे. तीन दशक पहले बांद्रा कुर्ला कॉम्पेलेक्स (बीकेसी) भी एक बंजर और दलदली भूमि थी. लेकिन अब बीकेसी में प्रीमियम ऑफिस के मालिक वार्षिक आधार पर 97 डॉलर प्रति वर्ग फुट के हिसाब से किराया कमाते हैं. धारावी पुनर्विकास परियोजना के सीईओ एसवीआर श्रीनिवास का कहना है कि 'पुनर्विकास धारावी को एक और बीकेसी में बदल देगा.'
धारावी प्रोजेक्ट के लिए अडाणी ने कितना किया निवेश?
अडानी प्रॉपर्टीज ने इस परियोजना के लिए 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जबकि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम निवेश 1,600 करोड़ रुपये था, जिसे विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के प्रमुख भागीदार द्वारा लाने की उम्मीद थी. परियोजना अब एक संयुक्त इकाई के माध्यम से विकसित की जाएगी, जिसमें चयनित प्रमुख भागीदार अडाणी प्रॉपर्टीज के पास 80 फीसदी इक्विटी होगी, जो कि 400 करोड़ रुपये है, और राज्य सरकार 100 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी के साथ 20 फीसदी हिस्सेदारी रखेगी. पुनर्विकास पर लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत आने की उम्मीद है.