नई दिल्ली : टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने कथित तौर पर रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं को सूचित किया है कि वह वित्तीय सेवा कंपनी को बेचने के लिए नीलामी में भाग लेने के लिए तैयार नहीं है. इससे बिक्री से रिटर्न को अधिकतम करने की प्रक्रिया के प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि केवल हिंदुजा समूह ही मैदान में रह सकता है. इससे पहले, नीलामी के विस्तार का विरोध करते हुए, टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव को लिखे पत्र में रिलायंस कैपिटल के प्रशासक नागेश्वर राव वाई को निर्देश देने की मांग की थी.
पत्र में कहा गया है कि चुनौती प्रक्रिया 21 दिसंबर, 2022 को समाप्त हो गई थी. जिसमें टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स को प्रशासक के ईमेल के साथ उच्चतम बोली राशि के रूप में 8,640 करोड़ रुपये की एनपीवी बोली राशि की पुष्टि की गई थी. हालांकि, टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स को अवगत कराया गया था कि एक प्रतिस्पर्धी संकल्प आवेदक हिंदुजा समूह ने 21 दिसंबर को चुनौती प्रक्रिया पूरी होने के बाद 22 दिसंबर को एक संशोधित वित्तीय प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और यह जानने के बाद कि टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स उच्चतम बोलीदाता के रूप में उभरा था.
सुप्रीम कोर्ट के बार-बार के फैसलों में यह माना गया है कि सीओसी द्वारा किसी भी योजना के अनुमोदन में मूल्य का अधिकतमकरण एक महत्वपूर्ण कारक है. RBI की धारा 227 की विशेष शक्तियों के तहत एक वित्तीय सेवा कंपनी के लिए किया गया एकमात्र संकल्प DHFL था, जिसे पीरामल समूह ने जीता था. उस मामले में अडाणी समूह, जो एक समाधान आवेदक भी नहीं था, को सीओसी द्वारा स्वीकार किया गया क्योंकि उसने पिरामल बोली के लिए उच्चतम मूल्य की पेशकश की थी.
(आईएएनएस)
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