नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस वर्ष की चौथी तिमाही में नीतिगत दर में कटौती कर सकता है. ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने यह अनुमान लगाया है. पूर्वानुमान लगाने वाली वैश्विक कंपनी ने कहा है कि कई ऐसे कारक हैं जिनके चलते केंद्रीय बैंक अपने रुख को अधिक उदार कर सकता है. ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि मुद्रास्फीति पहले ही नरम हो रही है और उपभोक्ताओं महंगाई को लेकर अनुमान नीचे आ रहा है.
इंटरेस्ट रेट में कटौती की उम्मीद : पूर्वानुमान जताने वाली फर्म ने कहा कि हम भारत के लिए अपनी राय को अपडेट कर रहे हैं. जिसके अनुसार 2023 की चौथी तिमाही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से पहली ब्याज दर कटौती की जा सकती है. ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि मिश्रित कारकों की वजह से रिजर्व बैंक अपने रुख में बदलाव ला सकता है और नीतिगत मोर्चे पर उदार हो सकता है. उसने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) सबसे पहले यह देखेगी कि मुद्रास्फीति उसके लक्ष्य के मध्य में स्थिर हो रही है. उसके बाद वह अपने रुख में बदलाव लाएगी. हमारा मानना है कि यह साल के अंत से पहले होगा.
पिछली बार के रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं: ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स) आंकड़े, जीएसटी संग्रह जैसे आर्थिक संकेतक यह दर्शाते हैं कि भारत में गतिविधियां अभी मजबूत हैं. उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को 4 फीसदी (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य मिला हुआ है. अप्रैल में रिजर्व बैंक ने सभी को हैरान करते हुए रेपो दर को 6.5 फीसदी पर कायम रखा था.
(पीटीआई- भाषा)