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RBI Governor Shaktikanta Das: तीन चुनौतियों का सामना कर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था, भारत बनेगा विकास का नया इंजन - रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत

कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 के दौरान रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब तीन चुनौतियों का सामना कर रही है. वहीं, भारत वैश्विक विकास का नया इंजन बनने के लिए तैयार है. साथ ही कहा कि ब्याज दर अभी ऊंची बनी रहेगी. पढ़े पूरी खबर...(Monetary policy, RBI Governor, Shaktikanta Das, inflation)

RBI Governor Shaktikanta Das
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास
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By PTI

Published : Oct 20, 2023, 1:00 PM IST

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी (deflationary) रहना चाहिए. इससे यह सुनिश्चित हो सके कि जुलाई में 7.44 फीसदी के उच्चतम स्तर से मुद्रास्फीति में गिरावट सुचारू रूप से जारी रहे. कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 (Kautilya Economic Conclave 2023) को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि प्राइस स्टेबिलिटी और फाइनेंसियल स्टेबिलिटी एक-दूसरे के सहायक हैं. इसलिए आरबीआई में दोनों को मैनेज करने का प्रयास किया गया है.

RBI Governor Shaktikanta Das
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास

उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब तीन चुनौतियों का सामना कर रही है - मुद्रास्फीति, धीमी वृद्धि और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम. उन्होंने कहा कि पहला, मुद्रास्फीति में कोई कमी नहीं है जो बार-बार और ओवरलैप होने वाले झटकों से बाधित हो रही है. दूसरा, धीमी वृद्धि और वह भी नई और बढ़ी हुई बाधाओं के साथ. तीसरा, वित्तीय स्थिरता के खतरे मंडरा रहे हैं.

मौद्रिक नीति चुनौतीपूर्ण होती
सब्जियों और ईधन की कीमतों में नरमी के कारण सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति (inflation) घटकर तीन महीने के निचले स्तर 5.02 फीसदी सालाना पर आ गई. वहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 6.83 फीसदी और सितंबर 2022 में 7.41 फीसदी थी. जुलाई में मुद्रास्फीति 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी. मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने मई 2022 से प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी.

RBI Governor Shaktikanta Das
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास

हालांकि, इसने इस साल फरवरी में दरों में बढ़ोतरी पर रोक लगा दी है. गवर्नर ने कहा कि हमने नीतिगत दर पर रोक बनाए रखी है. अब तक 250 आधार अंकों की दर बढ़ोतरी से फाइनेंसियल सिस्टम से अभी भी काम कर रही है. उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान के विस्तार ने मौद्रिक नीति प्रसारण को अधिक तेज और प्रभावी बना दिया है.

ब्याज दर ऊंची बनी रहेगी
आरबीआई गवर्नर दास ने बताया कि मौद्रिक नीति हमेशा चुनौतीपूर्ण होती है और इसमें आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं होती है. घरेलू वित्तीय क्षेत्र के संबंध में उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक तनाव की स्थिति के दौरान भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं को बनाए रखने में सक्षम होंगे. दास ने कहा कि भारत वैश्विक विकास का नया इंजन बनने के लिए तैयार है और मार्च 2024 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है.

शक्तिकांत दास ने कहा ब्याज दर फिलहाल ऊंची बनी रहेगी और केवल समय ही बताएगा कि यह कितने समय तक ऊंचे स्तर पर रहेगी. मौजूदा भू-राजनीतिक संकट (Geopolitical Crisis) के मद्देनजर, दुनिया भर के प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने उच्च मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अपनी प्रमुख नीतिगत दरें बढ़ा दी हैं.

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नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी (deflationary) रहना चाहिए. इससे यह सुनिश्चित हो सके कि जुलाई में 7.44 फीसदी के उच्चतम स्तर से मुद्रास्फीति में गिरावट सुचारू रूप से जारी रहे. कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 (Kautilya Economic Conclave 2023) को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि प्राइस स्टेबिलिटी और फाइनेंसियल स्टेबिलिटी एक-दूसरे के सहायक हैं. इसलिए आरबीआई में दोनों को मैनेज करने का प्रयास किया गया है.

RBI Governor Shaktikanta Das
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास

उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब तीन चुनौतियों का सामना कर रही है - मुद्रास्फीति, धीमी वृद्धि और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम. उन्होंने कहा कि पहला, मुद्रास्फीति में कोई कमी नहीं है जो बार-बार और ओवरलैप होने वाले झटकों से बाधित हो रही है. दूसरा, धीमी वृद्धि और वह भी नई और बढ़ी हुई बाधाओं के साथ. तीसरा, वित्तीय स्थिरता के खतरे मंडरा रहे हैं.

मौद्रिक नीति चुनौतीपूर्ण होती
सब्जियों और ईधन की कीमतों में नरमी के कारण सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति (inflation) घटकर तीन महीने के निचले स्तर 5.02 फीसदी सालाना पर आ गई. वहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 6.83 फीसदी और सितंबर 2022 में 7.41 फीसदी थी. जुलाई में मुद्रास्फीति 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी. मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने मई 2022 से प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी.

RBI Governor Shaktikanta Das
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास

हालांकि, इसने इस साल फरवरी में दरों में बढ़ोतरी पर रोक लगा दी है. गवर्नर ने कहा कि हमने नीतिगत दर पर रोक बनाए रखी है. अब तक 250 आधार अंकों की दर बढ़ोतरी से फाइनेंसियल सिस्टम से अभी भी काम कर रही है. उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान के विस्तार ने मौद्रिक नीति प्रसारण को अधिक तेज और प्रभावी बना दिया है.

ब्याज दर ऊंची बनी रहेगी
आरबीआई गवर्नर दास ने बताया कि मौद्रिक नीति हमेशा चुनौतीपूर्ण होती है और इसमें आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं होती है. घरेलू वित्तीय क्षेत्र के संबंध में उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक तनाव की स्थिति के दौरान भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं को बनाए रखने में सक्षम होंगे. दास ने कहा कि भारत वैश्विक विकास का नया इंजन बनने के लिए तैयार है और मार्च 2024 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है.

शक्तिकांत दास ने कहा ब्याज दर फिलहाल ऊंची बनी रहेगी और केवल समय ही बताएगा कि यह कितने समय तक ऊंचे स्तर पर रहेगी. मौजूदा भू-राजनीतिक संकट (Geopolitical Crisis) के मद्देनजर, दुनिया भर के प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने उच्च मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अपनी प्रमुख नीतिगत दरें बढ़ा दी हैं.

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