लंदन : विकासशील देशों में चीन की अर्थव्यवस्था में उछाल से इस साल कच्चे तेल की वैश्विक मांग 10.19 करोड़ बैरल प्रति दिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है. द गार्जियन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने 2023 के लिए दैनिक औसत मांग पिछले साल की तुलना में 20 लाख बैरल प्रति दिन अधिक रहने का अनुमान जारी किया है. आईईए की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद 1 बैरल तेल की कीमत 85.62 डॉलर से बढ़कर 86.10 डॉलर हो गई.
तेल की कीमतें बढ़ने से आर्थिक विकास को चुनौती
ब्रितानी अखबार ने बताया कि एजेंसी ने चेतावनी दी है कि दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातकों द्वारा अपने उत्पादन में कटौती के हालिया फैसलों से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे विकसित देशों में मुद्रास्फीति को कम करने और आर्थिक विकास को फिर से स्थापित करने के प्रयासों को झटका लगा सकता है. IEA ने कहा, यह आर्थिक सुधार और विकास के लिए बुरा संकेत है. बुनियादी जरूरतों के लिए बढ़ी हुई कीमतों से जूझ रहे उपभोक्ताओं को अब अपने बजट को और भी कम करना होगा.
तेल कटौती की घोषणा के बाद ऑइस प्राइस बढ़ा
गार्जियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस चिंता के बावजूद कि चीन में आर्थिक उछाल के कारण कच्चे तेल की मांग बढ़ सकती है, सऊदी अरब के नेतृत्व में OPEC और रूस के नेतृत्व वाले अन्य संबद्ध तेल उत्पादक देशों ने इस साल उत्पादन में कुल 20 लाख बैरल प्रति दिन कटौती की घोषणा की है. इससे इस महीने की शुरुआत में तेल बाजार में कीमतों में 7 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी हुई थी.
इस कदम ने पश्चिमी देशों को नाराज कर दिया है क्योंकि तेल की ऊंची कीमतें प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए विकास की तरफ लौटने की राह और कठिन बना देंगी. साथ ही इससे यूक्रेन के साथ युद्ध कर रहे रूस को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा. वैश्विक तेल मांग में अपेक्षित वृद्धि ने जलवायु अभियान से जुड़े लोगों की इन उम्मीदों को भी धराशायी कर दिया है कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया की बढ़ती तेल मांग को समाप्त कर दिया है.
(आईएएनएस)
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