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'कंपोजिशन स्कीम' कारोबारियों को अब सरल फॉर्म में दाखिल करनी होगी जीएसटी रिटर्न

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की अधिसूचना के मुताबिक कंपोजिशन योजना के करदाताओं को अब सालाना आधार पर जीएसटीआर-चार फॉर्म सालाना आधार पर भरना होगा और 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष के लिये 30 अप्रैल तक यह फार्म जमा करना होगा.

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Published : Apr 24, 2019, 9:39 PM IST

'कंपोजिशन स्कीम' कारोबारियों को अब सरल फॉर्म में दाखिल करनी होगी जीएसटी रिटर्न

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की कंपोजिशन योजना के तहत आने वाले कारोबारियों को रिटर्न दाखिल करने के मामले में कुछ और राहत दी है. ऐसे कारोबारियों को एक सरल फॉर्म में हर तिमाही 'स्व:आकलन' आधार पर रिटर्न भरने की अनुमति दी गयी है.

अब तक की व्यवस्था के मुताबिक कंपोजिशन स्कीम के तहत कर देने का विकल्प चुनने वालों को हर तिमाही में जीएसटीआर-4 के जरिए कर रिटर्न दाखिल करनी होती थी. इस फॉर्म में सात पन्ने होते हैं. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की अधिसूचना के मुताबिक कंपोजिशन योजना के करदाताओं को अब सालाना आधार पर जीएसटीआर-चार फॉर्म सालाना आधार पर भरना होगा और 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष के लिये 30 अप्रैल तक यह फार्म जमा करना होगा.

ये भी पढ़ें- मद्रास हाई कोर्ट ने टिकटॉक एप के डाउनलोड से बैन हटाया

सीबीआईसी ने कंपोजिशन स्कीम को चुनने वाले करदाताओं के लिए फॉर्म जीएसटी सीएमपी08 के तहत 'स्वआकलन के आधार पर कर भुगतान का विवरण पेश करने' की व्यवस्था शुरू की है. कंपोजीशन योजना में आने वाले कारोबारियों को कारोबार पर कम दर से कर का भुगतान करने की सुविधा दी गई है. नयी व्यवस्था के तहत कारोबारियों को हर तिमाही के बाद अगले महीने की 18 तारीख तक सीएमपी08 दाखिल करने की जरूरत होगी.

इस सरल फॉर्म में कारोबारियों द्धारा बाहर की गई आपूर्ति, प्राप्त की गई आपूर्ति जिसमें खरीदार अथवा बड़ा सेवा प्रदाता ही शुल्क की वसूली कर उसका भुगतान करता है. इसके अलावा इसमें सेवा आयात, कर, ब्याज भुगतान इत्यादि की जानकारी देनी होगी.

कंपोजिशन स्कीम के कारोबारियों को नयी व्यवस्था के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही का रिटर्न जुलाई में भरना होगा. सालाना डेढ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी और निर्माता जीएसटी की कंपोजीशन योजना के तहत एक मुश्त एक प्रतिशत जीएसटी भुगतान कर सकते हैं. जबकि 50 लाख रुपये का कारोबार करने वाले सेवा प्रदाता और माल एवं सेवाओं दोनों के आपूर्तिकर्ता छह प्रतिशत की दर से एकमुश्त जीएसटी का भुगतान कर सकते हैं.

जिन छोटे कारोबारियों ने कंपोजीशन योजना को नहीं अपनया है उन्हें हर महीने जीएसटी रिटर्न दाखिल करनी होती है और जीएसटी की तय दरों के मुताबिक कर का भुगतान करना होता है. वर्तमान में जीएसटी व्यवस्था के तहत विभिन्न सामान एवं सेवाओं पर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 और 28 प्रतिशत, चार स्तरीय कर की दरें तय हैं. कुल मिलाकर जीएसटी में 1.21 करोड़ कारोबारी पंजीकृत हैं जिनमें से 20 लाख कंपोजीशन योजना के दायरे में हैं.

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की कंपोजिशन योजना के तहत आने वाले कारोबारियों को रिटर्न दाखिल करने के मामले में कुछ और राहत दी है. ऐसे कारोबारियों को एक सरल फॉर्म में हर तिमाही 'स्व:आकलन' आधार पर रिटर्न भरने की अनुमति दी गयी है.

अब तक की व्यवस्था के मुताबिक कंपोजिशन स्कीम के तहत कर देने का विकल्प चुनने वालों को हर तिमाही में जीएसटीआर-4 के जरिए कर रिटर्न दाखिल करनी होती थी. इस फॉर्म में सात पन्ने होते हैं. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की अधिसूचना के मुताबिक कंपोजिशन योजना के करदाताओं को अब सालाना आधार पर जीएसटीआर-चार फॉर्म सालाना आधार पर भरना होगा और 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष के लिये 30 अप्रैल तक यह फार्म जमा करना होगा.

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सीबीआईसी ने कंपोजिशन स्कीम को चुनने वाले करदाताओं के लिए फॉर्म जीएसटी सीएमपी08 के तहत 'स्वआकलन के आधार पर कर भुगतान का विवरण पेश करने' की व्यवस्था शुरू की है. कंपोजीशन योजना में आने वाले कारोबारियों को कारोबार पर कम दर से कर का भुगतान करने की सुविधा दी गई है. नयी व्यवस्था के तहत कारोबारियों को हर तिमाही के बाद अगले महीने की 18 तारीख तक सीएमपी08 दाखिल करने की जरूरत होगी.

इस सरल फॉर्म में कारोबारियों द्धारा बाहर की गई आपूर्ति, प्राप्त की गई आपूर्ति जिसमें खरीदार अथवा बड़ा सेवा प्रदाता ही शुल्क की वसूली कर उसका भुगतान करता है. इसके अलावा इसमें सेवा आयात, कर, ब्याज भुगतान इत्यादि की जानकारी देनी होगी.

कंपोजिशन स्कीम के कारोबारियों को नयी व्यवस्था के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही का रिटर्न जुलाई में भरना होगा. सालाना डेढ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी और निर्माता जीएसटी की कंपोजीशन योजना के तहत एक मुश्त एक प्रतिशत जीएसटी भुगतान कर सकते हैं. जबकि 50 लाख रुपये का कारोबार करने वाले सेवा प्रदाता और माल एवं सेवाओं दोनों के आपूर्तिकर्ता छह प्रतिशत की दर से एकमुश्त जीएसटी का भुगतान कर सकते हैं.

जिन छोटे कारोबारियों ने कंपोजीशन योजना को नहीं अपनया है उन्हें हर महीने जीएसटी रिटर्न दाखिल करनी होती है और जीएसटी की तय दरों के मुताबिक कर का भुगतान करना होता है. वर्तमान में जीएसटी व्यवस्था के तहत विभिन्न सामान एवं सेवाओं पर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 और 28 प्रतिशत, चार स्तरीय कर की दरें तय हैं. कुल मिलाकर जीएसटी में 1.21 करोड़ कारोबारी पंजीकृत हैं जिनमें से 20 लाख कंपोजीशन योजना के दायरे में हैं.

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'कंपोजिशन स्कीम' कारोबारियों को अब सरल फॉर्म में दाखिल करनी होगी जीएसटी रिटर्न

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की कंपोजिशन योजना के तहत आने वाले कारोबारियों को रिटर्न दाखिल करने के मामले में कुछ और राहत दी है. ऐसे कारोबारियों को एक सरल फॉर्म में हर तिमाही 'स्व:आकलन' आधार पर रिटर्न भरने की अनुमति दी गयी है.    

अब तक की व्यवस्था के मुताबिक कंपोजिशन स्कीम के तहत कर देने का विकल्प चुनने वालों को हर तिमाही में जीएसटीआर-4 के जरिए कर रिटर्न दाखिल करनी होती थी. इस फॉर्म में सात पन्ने होते हैं. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की अधिसूचना के मुताबिक कंपोजिशन योजना के करदाताओं को अब सालाना आधार पर जीएसटीआर-चार फॉर्म सालाना आधार पर भरना होगा और 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष के लिये 30 अप्रैल तक यह फार्म जमा करना होगा. 

सीबीआईसी ने कंपोजिशन स्कीम को चुनने वाले करदाताओं के लिए फॉर्म जीएसटी सीएमपी08 के तहत 'स्वआकलन के आधार पर कर भुगतान का विवरण पेश करने' की व्यवस्था शुरू की है. कंपोजीशन योजना में आने वाले कारोबारियों को कारोबार पर कम दर से कर का भुगतान करने की सुविधा दी गई है. नयी व्यवस्था के तहत कारोबारियों को हर तिमाही के बाद अगले महीने की 18 तारीख तक सीएमपी08 दाखिल करने की जरूरत होगी.    

इस सरल फॉर्म में कारोबारियों द्धारा बाहर की गई आपूर्ति, प्राप्त की गई आपूर्ति जिसमें खरीदार अथवा बड़ा सेवा प्रदाता ही शुल्क की वसूली कर उसका भुगतान करता है. इसके अलावा इसमें सेवा आयात, कर, ब्याज भुगतान इत्यादि की जानकारी देनी होगी.    

कंपोजिशन स्कीम के कारोबारियों को नयी व्यवस्था के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही का रिटर्न जुलाई में भरना होगा. सालाना डेढ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी और निर्माता जीएसटी की कंपोजीशन योजना के तहत एक मुश्त एक प्रतिशत जीएसटी भुगतान कर सकते हैं. जबकि 50 लाख रुपये का कारोबार करने वाले सेवा प्रदाता और माल एवं सेवाओं दोनों के आपूर्तिकर्ता छह प्रतिशत की दर से एकमुश्त जीएसटी का भुगतान कर सकते हैं. 

जिन छोटे कारोबारियों ने कंपोजीशन योजना को नहीं अपनया है उन्हें हर महीने जीएसटी रिटर्न दाखिल करनी होती है और जीएसटी की तय दरों के मुताबिक कर का भुगतान करना होता है. वर्तमान में जीएसटी व्यवस्था के तहत विभिन्न सामान एवं सेवाओं पर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 और 28 प्रतिशत, चार स्तरीय कर की दरें तय हैं. कुल मिलाकर जीएसटी में 1.21 करोड़ कारोबारी पंजीकृत हैं जिनमें से 20 लाख कंपोजीशन योजना के दायरे में हैं.


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