ETV Bharat / business

निजी बैंकों के स्वामित्व, कॉरपोरेट ढांचे की समीक्षा के लिए कार्यसमूह बनाया रिजर्व बैंक ने - आरबीआई

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बयान में कहा कि एक पांच सदस्यीय आंतरिक कार्यसमूह इन दिशानिर्देशों की समीक्षा करेगा. इस कार्यसमूह के प्रमुख रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक पी के मोहंती होंगे। यह समिति 30 सितंबर, 2020 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

निजी बैंकों के स्वामित्व, कॉरपोरेट ढांचे की समीक्षा के लिए कार्यसमूह बनाया रिजर्व बैंक ने
निजी बैंकों के स्वामित्व, कॉरपोरेट ढांचे की समीक्षा के लिए कार्यसमूह बनाया रिजर्व बैंक ने
author img

By

Published : Jun 13, 2020, 4:29 PM IST

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों के स्वामित्व, संचालन और कॉरपोरेट ढांचे से जुड़े वर्तमान दिशानिर्देशों की समीक्षा करना चाहता है और इसके लिए पांच सदस्यों का एक समूह गठित किया है. उसे हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण घटनाक्रमों के मद्देनजर समीक्षा की आवश्यक लगती है.

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बयान में कहा कि एक पांच सदस्यीय आंतरिक कार्यसमूह इन दिशानिर्देशों की समीक्षा करेगा. इस कार्यसमूह के प्रमुख रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक पी के मोहंती होंगे। यह समिति 30 सितंबर, 2020 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

रिजर्व बैंक ने कहा कि इस समीक्षा से विभिन्न समयावधि में स्थापित बैंकों के लिए लागू नियमों को सुसंगत करने का अवसर मिलेगा. इसमें बैंकों द्वारा कारोबार शुरू करने की तारीख से कोई मतलब नहीं होगा.

समिति से भारत के निजी क्षेत्र के बैंकों में लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों तथा स्वामित्व और नियंत्रण से जुड़े नियमनों की समीक्षा करने और उपयुक्त नियम सुझाने को कहा गया है. ऐसा करते समय समिति को स्वामित्व और नियंत्रण पर अत्यधिक ध्यान देने के मुद्दे तथा अंतरराष्ट्रीय व्यवहार और घरेलू जरूरतों पर गौर करने को कहा गया है. इसके अलावा समिति शुरुआती-लाइसेंसिंग स्तर पर प्रवर्तकों की शेयरधारिता से संबंधित नियमों और शेयरधारिता घटाने की समयसीमा की भी समीक्षा करेगी.

ये भी पढ़ें: एसबीआई ने 1,200 करोड़ रुपये की वसूली के लिए अनिल अंबानी को एनसीएलटी में खींचा

निजी क्षेत्र के बैंकों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी की समीक्षा इसी साल रिजर्व बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के बीच अदालत से बाहर हुए समाधान की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.

सूत्रों के अनुसार नियामक ने कोटक महिंद्रा बैंक को हिस्सेदारी 26 प्रतिशत पर सीमित रखने की अनुमति दी है. साथ ही वोटिंग के अधिकार की सीमा 15 प्रतिशत तय की गई.

रिजर्व बैंक के मौजूदा नियमों के अनुसार निजी बैंक के प्रवर्तक को तीन साल में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर 40 प्रतिशत पर लाना होता है. दस साल में इसे 20 प्रतिशत और 15 साल में 15 प्रतिशत लाने की जरूरत होती है. कुछ इसी तरह की व्यवस्था बंधन बैंक और आईडीएफसी बैंक के मामले में लागू की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों के स्वामित्व, संचालन और कॉरपोरेट ढांचे से जुड़े वर्तमान दिशानिर्देशों की समीक्षा करना चाहता है और इसके लिए पांच सदस्यों का एक समूह गठित किया है. उसे हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण घटनाक्रमों के मद्देनजर समीक्षा की आवश्यक लगती है.

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बयान में कहा कि एक पांच सदस्यीय आंतरिक कार्यसमूह इन दिशानिर्देशों की समीक्षा करेगा. इस कार्यसमूह के प्रमुख रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक पी के मोहंती होंगे। यह समिति 30 सितंबर, 2020 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

रिजर्व बैंक ने कहा कि इस समीक्षा से विभिन्न समयावधि में स्थापित बैंकों के लिए लागू नियमों को सुसंगत करने का अवसर मिलेगा. इसमें बैंकों द्वारा कारोबार शुरू करने की तारीख से कोई मतलब नहीं होगा.

समिति से भारत के निजी क्षेत्र के बैंकों में लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों तथा स्वामित्व और नियंत्रण से जुड़े नियमनों की समीक्षा करने और उपयुक्त नियम सुझाने को कहा गया है. ऐसा करते समय समिति को स्वामित्व और नियंत्रण पर अत्यधिक ध्यान देने के मुद्दे तथा अंतरराष्ट्रीय व्यवहार और घरेलू जरूरतों पर गौर करने को कहा गया है. इसके अलावा समिति शुरुआती-लाइसेंसिंग स्तर पर प्रवर्तकों की शेयरधारिता से संबंधित नियमों और शेयरधारिता घटाने की समयसीमा की भी समीक्षा करेगी.

ये भी पढ़ें: एसबीआई ने 1,200 करोड़ रुपये की वसूली के लिए अनिल अंबानी को एनसीएलटी में खींचा

निजी क्षेत्र के बैंकों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी की समीक्षा इसी साल रिजर्व बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के बीच अदालत से बाहर हुए समाधान की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.

सूत्रों के अनुसार नियामक ने कोटक महिंद्रा बैंक को हिस्सेदारी 26 प्रतिशत पर सीमित रखने की अनुमति दी है. साथ ही वोटिंग के अधिकार की सीमा 15 प्रतिशत तय की गई.

रिजर्व बैंक के मौजूदा नियमों के अनुसार निजी बैंक के प्रवर्तक को तीन साल में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर 40 प्रतिशत पर लाना होता है. दस साल में इसे 20 प्रतिशत और 15 साल में 15 प्रतिशत लाने की जरूरत होती है. कुछ इसी तरह की व्यवस्था बंधन बैंक और आईडीएफसी बैंक के मामले में लागू की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.