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केंद्रीय उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने के प्रस्ताव पर जल्द फैसला संभव - सीपीएसई

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों के विलय और उसके बाद बनने वाली इकाई को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने का प्रस्ताव किया गया था.

केंद्रीय उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने के प्रस्ताव पर जल्द फैसला संभव
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Published : Nov 19, 2019, 10:11 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल सार्वजनिक उपक्रमों में नियंत्रण बरकरार रखते हुए सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने पर जल्दी ही विचार करेगा. सूत्रों के अनुसार इसके अलावा मंत्रिमंडल सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के विलय के बारे में भी निर्णय कर सकता है.

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों के विलय और उसके बाद बनने वाली इकाई को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने का प्रस्ताव किया गया था.

पिछले सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट में की गयी घोषणा के अनुसार सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों...नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी...के विलय को लेकर आगे बढ़ेगी.

ये भी पढ़ें: जल्द देश में 15 और विदेशी बैंक खोलेंगी अपनी शाखाएं

सूत्रों के अनुसार सरकार केंद्रीय लोक उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र की प्रकृति बनाये रखते हुए अपनी हिस्सेदारी नीचे ला सकती है. इसके लिये वह अन्य सरकारी उपक्रमों को हिस्सेदारी लेने के लिये कह सकती है. उदाहरण देते हुए उसने कहा कि अगर किसी सरकारी कंपनी में एलआईसी हिस्सेदारी लेती है और उसमें सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे आ जाती है, कंपनी सरकार के नियंत्रण में ही रहेगी.

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है जो फरवरी में पेश 2019-20के अंतरिम बजट में 90,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव से अधिक है. वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार ने केंद्रीय लोक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 84,972 करोड़ रुपये जुटाये थे.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल सार्वजनिक उपक्रमों में नियंत्रण बरकरार रखते हुए सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने पर जल्दी ही विचार करेगा. सूत्रों के अनुसार इसके अलावा मंत्रिमंडल सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के विलय के बारे में भी निर्णय कर सकता है.

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों के विलय और उसके बाद बनने वाली इकाई को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने का प्रस्ताव किया गया था.

पिछले सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट में की गयी घोषणा के अनुसार सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों...नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी...के विलय को लेकर आगे बढ़ेगी.

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सूत्रों के अनुसार सरकार केंद्रीय लोक उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र की प्रकृति बनाये रखते हुए अपनी हिस्सेदारी नीचे ला सकती है. इसके लिये वह अन्य सरकारी उपक्रमों को हिस्सेदारी लेने के लिये कह सकती है. उदाहरण देते हुए उसने कहा कि अगर किसी सरकारी कंपनी में एलआईसी हिस्सेदारी लेती है और उसमें सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे आ जाती है, कंपनी सरकार के नियंत्रण में ही रहेगी.

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है जो फरवरी में पेश 2019-20के अंतरिम बजट में 90,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव से अधिक है. वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार ने केंद्रीय लोक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 84,972 करोड़ रुपये जुटाये थे.

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल सार्वजनिक उपक्रमों में नियंत्रण बरकरार रखते हुए सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने पर जल्दी ही विचार करेगा. सूत्रों के अनुसार इसके अलावा मंत्रिमंडल सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के विलय के बारे में भी निर्णय कर सकता है.

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों के विलय और उसके बाद बनने वाली इकाई को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने का प्रस्ताव किया गया था.

पिछले सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट में की गयी घोषणा के अनुसार सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों...नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी...के विलय को लेकर आगे बढ़ेगी.

सूत्रों के अनुसार सरकार केंद्रीय लोक उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र की प्रकृति बनाये रखते हुए अपनी हिस्सेदारी नीचे ला सकती है. इसके लिये वह अन्य सरकारी उपक्रमों को हिस्सेदारी लेने के लिये कह सकती है. उदाहरण देते हुए उसने कहा कि अगर किसी सरकारी कंपनी में एलआईसी हिस्सेदारी लेती है और उसमें सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे आ जाती है, कंपनी सरकार के नियंत्रण में ही रहेगी.

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है जो फरवरी में पेश 2019-20के अंतरिम बजट में 90,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव से अधिक है. वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार ने केंद्रीय लोक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 84,972 करोड़ रुपये जुटाये थे.

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