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बीआरई के बहिष्कार के बावजूद चीन के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों पर असर नहीं: भारतीय राजदूत

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में देश की संप्रभुता से जुड़ी चिंता के चलते भारत ने इस परियोजना से खुद को अलग रखा है. परियोजना के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने की वजह से भारत को इस पर आपत्ति है.

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Published : May 3, 2019, 9:29 PM IST

बीजिंग : चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने कहा है कि भारत के चीन की बेल्ट और सड़क परियोजना में शामिल नहीं होने के फैसले के बावजूद दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते प्रभावित नहीं हुए हैं और उसमें 'शानदार प्रगति' देखने को मिली है.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में देश की संप्रभुता से जुड़ी चिंता के चलते भारत ने इस परियोजना से खुद को अलग रखा है. परियोजना के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने की वजह से भारत को इस पर आपत्ति है.

भारत ने 60 अरब डॉलर की सीपीईसी से जुड़ी अपनी आपत्तियों के कारण 25 से 27 अप्रैल के बीच चीन में आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) के दूसरे सम्मेलन में भी नहीं भाग लिया. इससे पहले 2017 में आयोजित बीआरएफ की पहली बैठक का भी भारत ने बहिष्कार किया था.

मिस्री ने कहा, "हमारा मानना है कि बुनियादी ढांचा संपर्क योजनाओं को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ा जाना चाहिये. इसमें दुनियाभर में व्यापक तौर पर स्वीकार्य और सम्मान के साथ देखे जाने वाले नियमों का पालन किया जाना चाहिए. इनमें पारदर्शिता, खुलापन, समान अवसर, सामाजिक, पर्यावरण संबंधी एवं वित्तीय स्थिरता जैसे तत्व शामिल हैं."

उन्होंने कहा, "हम अपनी पहलों में इन सिद्धांतों का पालन करते हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इसे राष्ट्रीय प्राथमिकता के साथ जुड़ा होना चाहिये. दूसरी बात यह है कि ऐसी चीजें तभी टिकाऊ या सफल हो सकती हैं जब इनमें देश की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता जैसे मुद्दों का ध्यान रखा गया हो."
ये भी पढ़ें : भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर जबावी शुल्क लगाने की समयसीमा 16 मई तक फिर टाली

बीजिंग : चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने कहा है कि भारत के चीन की बेल्ट और सड़क परियोजना में शामिल नहीं होने के फैसले के बावजूद दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते प्रभावित नहीं हुए हैं और उसमें 'शानदार प्रगति' देखने को मिली है.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में देश की संप्रभुता से जुड़ी चिंता के चलते भारत ने इस परियोजना से खुद को अलग रखा है. परियोजना के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने की वजह से भारत को इस पर आपत्ति है.

भारत ने 60 अरब डॉलर की सीपीईसी से जुड़ी अपनी आपत्तियों के कारण 25 से 27 अप्रैल के बीच चीन में आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) के दूसरे सम्मेलन में भी नहीं भाग लिया. इससे पहले 2017 में आयोजित बीआरएफ की पहली बैठक का भी भारत ने बहिष्कार किया था.

मिस्री ने कहा, "हमारा मानना है कि बुनियादी ढांचा संपर्क योजनाओं को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ा जाना चाहिये. इसमें दुनियाभर में व्यापक तौर पर स्वीकार्य और सम्मान के साथ देखे जाने वाले नियमों का पालन किया जाना चाहिए. इनमें पारदर्शिता, खुलापन, समान अवसर, सामाजिक, पर्यावरण संबंधी एवं वित्तीय स्थिरता जैसे तत्व शामिल हैं."

उन्होंने कहा, "हम अपनी पहलों में इन सिद्धांतों का पालन करते हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इसे राष्ट्रीय प्राथमिकता के साथ जुड़ा होना चाहिये. दूसरी बात यह है कि ऐसी चीजें तभी टिकाऊ या सफल हो सकती हैं जब इनमें देश की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता जैसे मुद्दों का ध्यान रखा गया हो."
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बीजिंग : चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने कहा है कि भारत के चीन की बेल्ट और सड़क परियोजना में शामिल नहीं होने के फैसले के बावजूद दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते प्रभावित नहीं हुए हैं और उसमें 'शानदार प्रगति' देखने को मिली है.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में देश की संप्रभुता से जुड़ी चिंता के चलते भारत ने इस परियोजना से खुद को अलग रखा है. परियोजना के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने की वजह से भारत को इस पर आपत्ति है.

भारत ने 60 अरब डॉलर की सीपीईसी से जुड़ी अपनी आपत्तियों के कारण 25 से 27 अप्रैल के बीच चीन में आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) के दूसरे सम्मेलन में भी नहीं भाग लिया. इससे पहले 2017 में आयोजित बीआरएफ की पहली बैठक का भी भारत ने बहिष्कार किया था.

मिस्री ने कहा, "हमारा मानना है कि बुनियादी ढांचा संपर्क योजनाओं को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ा जाना चाहिये. इसमें दुनियाभर में व्यापक तौर पर स्वीकार्य और सम्मान के साथ देखे जाने वाले नियमों का पालन किया जाना चाहिए. इनमें पारदर्शिता, खुलापन, समान अवसर, सामाजिक, पर्यावरण संबंधी एवं वित्तीय स्थिरता जैसे तत्व शामिल हैं."'

उन्होंने कहा, "हम अपनी पहलों में इन सिद्धांतों का पालन करते हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इसे राष्ट्रीय प्राथमिकता के साथ जुड़ा होना चाहिये. दूसरी बात यह है कि ऐसी चीजें तभी टिकाऊ या सफल हो सकती हैं जब इनमें देश की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता जैसे मुद्दों का ध्यान रखा गया हो."

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