वॉशिंगटन: भारत और अमेरिका ने विमान रखरखाव के अलावा छोटे मानवरहित विमान और हल्के एवं छोटे आयुध बनाने की प्रौद्योगिकी संबंधी परियोजना को दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के लिए चिह्नित किया है. पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.
अमेरिका का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के रक्षा अधिकारियों ने हाल में यहां रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) वार्ता की थी. भारत-अमेरिका डीटीटीआई बैठक में दोनों देशों में उद्योगों को मिलकर काम करने और अगली पीढ़ी की तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
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'एक्वीजीशन एंड सस्टेनमेंट' के लिए अमेरिका की सहायक रक्षा मंत्री एलेन लॉर्ड ने शुक्रवार को पेंटागन में मीडिया से कहा, "हम जिस एक परियोजना पर विचार कर रहे हैं, वह छोटे मानवरहित विमान को लेकर है."
लार्ड ने रक्षा उत्पादन सचिव अजय कुमार के साथ बैठक की सह अध्यक्षता की. ड्रोन को लेकर मुख्य रूप से वार्ता अमेरिकी वायुसेना अनुसंधान प्रयोगशाला और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के बीच हो रही है. दोनों पक्ष अप्रैल में तकनीकी योजना संबंधी दस्तावेज तैयार करेंगे.
उन्होंने कहा, "हम सितंबर में इस पर हस्ताक्षर की योजना बना रहे हैं." उन्होंने कहा कि इस सह विकास में भारतीय उद्योग को शामिल किए जाने की संभावना है. लार्ड ने कहा, "हम चाहते हैं कि अमेरिकी और भारतीय तकनीक को साथ लेकर उन्हें युद्ध में लड़ने की क्षमता के तौर पर विकसित किया जाए जिसका प्रयोग भारत और अमेरिका दोनों कर सकें. इससे अमेरिका और भारत दोनों को लाभ होगा." अगली बैठक सितंबर में भारत में होगी.
(भाषा)
भारत-अमेरिका मिलकर छोटे मानवरहित विमान बनाने पर कर रहे हैं विचार : पेंटागन
भारत-अमेरिका डीटीटीआई बैठक में दोनों देशों में उद्योगों को मिलकर काम करने और अगली पीढ़ी की तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
वॉशिंगटन: भारत और अमेरिका ने विमान रखरखाव के अलावा छोटे मानवरहित विमान और हल्के एवं छोटे आयुध बनाने की प्रौद्योगिकी संबंधी परियोजना को दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के लिए चिह्नित किया है. पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.
अमेरिका का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के रक्षा अधिकारियों ने हाल में यहां रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) वार्ता की थी. भारत-अमेरिका डीटीटीआई बैठक में दोनों देशों में उद्योगों को मिलकर काम करने और अगली पीढ़ी की तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
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'एक्वीजीशन एंड सस्टेनमेंट' के लिए अमेरिका की सहायक रक्षा मंत्री एलेन लॉर्ड ने शुक्रवार को पेंटागन में मीडिया से कहा, "हम जिस एक परियोजना पर विचार कर रहे हैं, वह छोटे मानवरहित विमान को लेकर है."
लार्ड ने रक्षा उत्पादन सचिव अजय कुमार के साथ बैठक की सह अध्यक्षता की. ड्रोन को लेकर मुख्य रूप से वार्ता अमेरिकी वायुसेना अनुसंधान प्रयोगशाला और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के बीच हो रही है. दोनों पक्ष अप्रैल में तकनीकी योजना संबंधी दस्तावेज तैयार करेंगे.
उन्होंने कहा, "हम सितंबर में इस पर हस्ताक्षर की योजना बना रहे हैं." उन्होंने कहा कि इस सह विकास में भारतीय उद्योग को शामिल किए जाने की संभावना है. लार्ड ने कहा, "हम चाहते हैं कि अमेरिकी और भारतीय तकनीक को साथ लेकर उन्हें युद्ध में लड़ने की क्षमता के तौर पर विकसित किया जाए जिसका प्रयोग भारत और अमेरिका दोनों कर सकें. इससे अमेरिका और भारत दोनों को लाभ होगा." अगली बैठक सितंबर में भारत में होगी.
(भाषा)
भारत-अमेरिका मिलकर छोटे मानवरहित विमान बनाने पर कर रहे हैं विचार : पेंटागन
वॉशिंगटन: भारत और अमेरिका ने विमान रखरखाव के अलावा छोटे मानवरहित विमान और हल्के एवं छोटे आयुध बनाने की प्रौद्योगिकी संबंधी परियोजना को दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के लिए चिह्नित किया है. पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.
अमेरिका का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के रक्षा अधिकारियों ने हाल में यहां रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) वार्ता की थी. भारत-अमेरिका डीटीटीआई बैठक में दोनों देशों में उद्योगों को मिलकर काम करने और अगली पीढ़ी की तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
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लार्ड ने रक्षा उत्पादन सचिव अजय कुमार के साथ बैठक की सह अध्यक्षता की. ड्रोन को लेकर मुख्य रूप से वार्ता अमेरिकी वायुसेना अनुसंधान प्रयोगशाला और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के बीच हो रही है. दोनों पक्ष अप्रैल में तकनीकी योजना संबंधी दस्तावेज तैयार करेंगे.
उन्होंने कहा, "हम सितंबर में इस पर हस्ताक्षर की योजना बना रहे हैं." उन्होंने कहा कि इस सह विकास में भारतीय उद्योग को शामिल किए जाने की संभावना है. लार्ड ने कहा, "हम चाहते हैं कि अमेरिकी और भारतीय तकनीक को साथ लेकर उन्हें युद्ध में लड़ने की क्षमता के तौर पर विकसित किया जाए जिसका प्रयोग भारत और अमेरिका दोनों कर सकें. इससे अमेरिका और भारत दोनों को लाभ होगा." अगली बैठक सितंबर में भारत में होगी.
(भाषा)
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