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सरकार के 'एक राष्ट्र एक बाजार' के दावे पर किसानों ने उठाए सवाल

केंद्र सरकार कहती है कि नये कानून से किसानों को देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिली है, जबकि नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों की मानें तो पहले भी एक राज्य से दूसरे राज्य में कृषि उत्पाद ले जाने के लिए किसानों पर कोई प्रतिबंध नहीं था.

सरकार के 'एक राष्ट्र एक बाजार' के दावे पर किसानों ने उठाए सवाल
सरकार के 'एक राष्ट्र एक बाजार' के दावे पर किसानों ने उठाए सवाल
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Published : Nov 30, 2020, 6:10 PM IST

नई दिल्ली: संसद से शुरू हुआ केंद्र सरकार के कृषि सुधारों का विरोध अब सड़कों पर उतर आया है. सरकार का दावा है कि नये कानून से कृषि उत्पादों के लिए 'एक राष्ट्र, एक बाजार' का सपना साकार हुआ है, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि नये कृषि कानून से किसानों की फसलों के लिए देश में दो बाजार बन गए हैं.

केंद्र सरकार कहती है कि नये कानून से किसानों को देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिली है, जबकि नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों की मानें तो पहले भी एक राज्य से दूसरे राज्य में कृषि उत्पाद ले जाने के लिए किसानों पर कोई प्रतिबंध नहीं था.

कानून से किसानों को मिलता है देश में कहीं भी उत्पाद बेचने की आजादी

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020 के प्रावधानों के अनुसार, किसान एक राज्य के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्यों में कहीं भी एपीएमसी कानून द्वारा संचालित मंडियों के बाहर अपने उत्पाद बेच सकते हैं और इस प्रकार के व्यापार पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि राज्यों के एपीएमसी कानून के तहत संचालित मंडियों में मंडी शुल्क होता है.

सरकार का कहना है कि इस कानून से किसानों को देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिली है और कृषि उत्पादों के लिए पूरा देश एक बाजार बन गया है.

वहीं, किसानों का कहना है कि नये कृषि कानून के बाद देश में दो तरह का बाजार बन गया है, एक तो एपीएमसी द्वारा संचालित मंडियां हैं तो दूसरी ओर नये कानून में जो ट्रेड एरिया का प्रावधान किया गया है.

ये भी पढ़ें: अक्टूबर में क्रेडिट कार्ड के लिए पूछताछ एक साल पहले से अधिक हुई: ट्रांसयूनियन सिबिल

एक किसान नेता ने कहा कि, "एपीएमसी में लाइसेंस धारक आढ़ती व कारोबारी होते हैं, जबकि ट्रेड एरिया में व्यापार के लिए कारोबारियों के पास सरकार द्वारा जारी कोई पहचान पत्र व पैन कार्ड होना चाहिए. इस प्रकार दोनों बाजार के नियम भी अगल-अलग हैं."

किसानों का दावा, कानून से पहले भी बेचते थे अन्य राज्यों में उपज

नये कानून के तहत किसानों को देश में कहीं भी कृषि उत्पाद बेचने की आजादी दिलाने के सरकार के दावे पर किसानों का कहना है कि पहले भी देश के किसान अनाज, फल और सब्जियां दूसरे राज्य में जाकर बेचते थे और आज भी बेच रहे हैं.

किसानों के इन सवालों को कारोबारी भी सही ठहराते हैं. मध्यप्रदेश में सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, "मध्यप्रदेश का अनाज व अन्य कृषि उत्पाद पहले भी देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य राज्यों में बिकता था और किसानों पर कृषि उत्पाद देश में कहीं भी ले जाने को लेकर कोई रोक नहीं थी.

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से आए किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का यह प्रदर्शन 26 नवंबर से जारी है.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: संसद से शुरू हुआ केंद्र सरकार के कृषि सुधारों का विरोध अब सड़कों पर उतर आया है. सरकार का दावा है कि नये कानून से कृषि उत्पादों के लिए 'एक राष्ट्र, एक बाजार' का सपना साकार हुआ है, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि नये कृषि कानून से किसानों की फसलों के लिए देश में दो बाजार बन गए हैं.

केंद्र सरकार कहती है कि नये कानून से किसानों को देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिली है, जबकि नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों की मानें तो पहले भी एक राज्य से दूसरे राज्य में कृषि उत्पाद ले जाने के लिए किसानों पर कोई प्रतिबंध नहीं था.

कानून से किसानों को मिलता है देश में कहीं भी उत्पाद बेचने की आजादी

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020 के प्रावधानों के अनुसार, किसान एक राज्य के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्यों में कहीं भी एपीएमसी कानून द्वारा संचालित मंडियों के बाहर अपने उत्पाद बेच सकते हैं और इस प्रकार के व्यापार पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि राज्यों के एपीएमसी कानून के तहत संचालित मंडियों में मंडी शुल्क होता है.

सरकार का कहना है कि इस कानून से किसानों को देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिली है और कृषि उत्पादों के लिए पूरा देश एक बाजार बन गया है.

वहीं, किसानों का कहना है कि नये कृषि कानून के बाद देश में दो तरह का बाजार बन गया है, एक तो एपीएमसी द्वारा संचालित मंडियां हैं तो दूसरी ओर नये कानून में जो ट्रेड एरिया का प्रावधान किया गया है.

ये भी पढ़ें: अक्टूबर में क्रेडिट कार्ड के लिए पूछताछ एक साल पहले से अधिक हुई: ट्रांसयूनियन सिबिल

एक किसान नेता ने कहा कि, "एपीएमसी में लाइसेंस धारक आढ़ती व कारोबारी होते हैं, जबकि ट्रेड एरिया में व्यापार के लिए कारोबारियों के पास सरकार द्वारा जारी कोई पहचान पत्र व पैन कार्ड होना चाहिए. इस प्रकार दोनों बाजार के नियम भी अगल-अलग हैं."

किसानों का दावा, कानून से पहले भी बेचते थे अन्य राज्यों में उपज

नये कानून के तहत किसानों को देश में कहीं भी कृषि उत्पाद बेचने की आजादी दिलाने के सरकार के दावे पर किसानों का कहना है कि पहले भी देश के किसान अनाज, फल और सब्जियां दूसरे राज्य में जाकर बेचते थे और आज भी बेच रहे हैं.

किसानों के इन सवालों को कारोबारी भी सही ठहराते हैं. मध्यप्रदेश में सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, "मध्यप्रदेश का अनाज व अन्य कृषि उत्पाद पहले भी देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य राज्यों में बिकता था और किसानों पर कृषि उत्पाद देश में कहीं भी ले जाने को लेकर कोई रोक नहीं थी.

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से आए किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का यह प्रदर्शन 26 नवंबर से जारी है.

(आईएएनएस)

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