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आरसीईपीः सबकी निगाहें भारत पर टिकीं

आरसीईपी में अब सबकी निगाहें भारत पर आकर टिक गई हैं. आसियान देश चाहते हैं कि भारत फ्री ट्रेड के इस समझौते में शामिल हो जाए. दूसरी ओर भारत चाहता है कि इस पर हस्ताक्षर करने से पहले उनकी चिंताओं का सही परिप्रेक्ष्य में समाधान हो. पढ़े विस्तार से क्या हैं प्रमुख चिंताएं.

आरसीईपी में अब सबकी निगाहें भारत पर आकर टिक गई
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Published : Nov 4, 2019, 4:27 PM IST

Updated : Nov 4, 2019, 6:42 PM IST

भारत के प्रशासनिक अधिकारी और हितधारक देश अंतिम चरण के प्रयासों को आकार देने में दिन-रात एक कर रहे हैं, ताकि भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के समझौते पर अपनी सहमती दे दे. ये सब तब हो रहा है जब बैंकॉक में चल रहे आसियान शिखर सम्मेलन से इतर भारत के प्रधानमंत्री मोदी अन्य देशों के शीर्ष नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कर रहे हैं.

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आरसीईपी में अब सबकी निगाहें भारत पर आकर टिकीं

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के द्वारा पेश की ताज़ा मांगों के बाद, अधिकारी पर्दे के पीछे काम कर रहे हैं ताकि उपलब्धि प्राप्त कर सकें. रिजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप द्वारा प्रस्तावित एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) आसियान के भारत समेत दस सदस्यों चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित छह एफटीए भागीदारों के बीच होने की संभावना है, जिसके आकार लेने के बाद सबसे बड़ा क्षेत्रीय व्यापारिक समूह तैयार होगा, जो आने वाले समय में आर्थिक खेल के लिए परिवर्तक साबित हो सकता है.

आरसीईपी में शामिल 16 देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक तिहाई हिस्सा होंगी और इसमें दुनिया की लगभग आधी आबादी और खरबों डॉलर के व्यापार शामिल होंगे. आरसीईपी का उल्लेख किए बिना दक्षिण पूर्व एशियाई नेताओं के साथ एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, भारत और आसियान के बीच मौजूदा व्यापार समझौते की समीक्षा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इससे न केवल हमारे आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि हमारा व्यापार भी अधिक संतुलित होगा.' आसियान और भारत के लगभग 2 अरब लोगों का संयुक्त बाजार है और 5.5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का जीडीपी है.

दक्षिण-पूर्व एशियाई देश सोमवार को भारत के साथ कम से कम घोषणा करने के लिए कुछ अनंतिम समझौते को देखने के इच्छुक हैं. इस बीच रविवार को थाईलैंड के प्रधान मंत्री प्रथुथ चान-ओचोआ ने आसियान शिखर सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए व्यापार समझौते को किसी निष्कर्ष पर लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

थाईलैंड के पीएम ने कहा, 'हमें इस साल के भीतर आरसीईपी पर बातचीत को किसी निषकर्ष की ओर ले जाने का काम जारी रखना चाहिए, साथ ही व्यापार और निवेश को भी बढ़ावा देना चाहिए.'

भारत समेत जापानी, चीनी और थाई मीडिया में रिपोर्टों के अनुसार, अंतिम रूप से अपने घरेलू चिंताओं और उद्योग आंदोलन का हवाला देते हुए विशेष रूप से घरेलू बाजार में चीनी उत्पादों की बाढ़ के आशंकाओं पर, संभावित निष्कर्ष के बिना एक संयुक्त बयान सोमवार को नेताओं के शिखर सम्मेलन में जारी किए जाने की संभावना है.

(लेखक - स्मिता शर्मा)

भारत के प्रशासनिक अधिकारी और हितधारक देश अंतिम चरण के प्रयासों को आकार देने में दिन-रात एक कर रहे हैं, ताकि भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के समझौते पर अपनी सहमती दे दे. ये सब तब हो रहा है जब बैंकॉक में चल रहे आसियान शिखर सम्मेलन से इतर भारत के प्रधानमंत्री मोदी अन्य देशों के शीर्ष नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कर रहे हैं.

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आरसीईपी में अब सबकी निगाहें भारत पर आकर टिकीं

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के द्वारा पेश की ताज़ा मांगों के बाद, अधिकारी पर्दे के पीछे काम कर रहे हैं ताकि उपलब्धि प्राप्त कर सकें. रिजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप द्वारा प्रस्तावित एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) आसियान के भारत समेत दस सदस्यों चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित छह एफटीए भागीदारों के बीच होने की संभावना है, जिसके आकार लेने के बाद सबसे बड़ा क्षेत्रीय व्यापारिक समूह तैयार होगा, जो आने वाले समय में आर्थिक खेल के लिए परिवर्तक साबित हो सकता है.

आरसीईपी में शामिल 16 देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक तिहाई हिस्सा होंगी और इसमें दुनिया की लगभग आधी आबादी और खरबों डॉलर के व्यापार शामिल होंगे. आरसीईपी का उल्लेख किए बिना दक्षिण पूर्व एशियाई नेताओं के साथ एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, भारत और आसियान के बीच मौजूदा व्यापार समझौते की समीक्षा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इससे न केवल हमारे आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि हमारा व्यापार भी अधिक संतुलित होगा.' आसियान और भारत के लगभग 2 अरब लोगों का संयुक्त बाजार है और 5.5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का जीडीपी है.

दक्षिण-पूर्व एशियाई देश सोमवार को भारत के साथ कम से कम घोषणा करने के लिए कुछ अनंतिम समझौते को देखने के इच्छुक हैं. इस बीच रविवार को थाईलैंड के प्रधान मंत्री प्रथुथ चान-ओचोआ ने आसियान शिखर सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए व्यापार समझौते को किसी निष्कर्ष पर लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

थाईलैंड के पीएम ने कहा, 'हमें इस साल के भीतर आरसीईपी पर बातचीत को किसी निषकर्ष की ओर ले जाने का काम जारी रखना चाहिए, साथ ही व्यापार और निवेश को भी बढ़ावा देना चाहिए.'

भारत समेत जापानी, चीनी और थाई मीडिया में रिपोर्टों के अनुसार, अंतिम रूप से अपने घरेलू चिंताओं और उद्योग आंदोलन का हवाला देते हुए विशेष रूप से घरेलू बाजार में चीनी उत्पादों की बाढ़ के आशंकाओं पर, संभावित निष्कर्ष के बिना एक संयुक्त बयान सोमवार को नेताओं के शिखर सम्मेलन में जारी किए जाने की संभावना है.

(लेखक - स्मिता शर्मा)

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आरसीईपी में अब सबकी निगाहें भारत पर आकर टिक गई हैं. आसियान देश चाहते हैं कि भारत फ्री ट्रेड के इस समझौते में शामिल हो जाए. दूसरी ओर भारत चाहता है कि इस पर हस्ताक्षर करने से पहले उनकी चिंताओं का सही परिप्रेक्ष्य में समाधान हो. पढ़े विस्तार से क्या हैं प्रमुख चिंताएं. 



आरसीईपीः सबकी निगाहें भारत पर टिकीं





भारत के प्रशासनिक अधिकारी और हितधारक देश अंतिम चरण के प्रयासों को आकार देने में दिन-रात एक कर रहे हैं, ताकि भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के समझौते पर अपनी सहमती दे दे. ये सब तब हो रहा है जब बैंकॉक में चल रहे आसियान शिखर सम्मेलन से इतर भारत के प्रधानमंत्री मोदी अन्य देशों के शीर्ष नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कर रहे हैं.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के द्वारा पेश की ताज़ा मांगों के बाद, अधिकारी पर्दे के पीछे काम कर रहे हैं ताकि उपलब्धि प्राप्त कर सकें. रिजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप द्वारा प्रस्तावित एफ़टीए (मुक्त व्यापार समझौता) आसियान के भारत समेत दस सदस्यों चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित छह एफ़टीए भागीदारों के बीच होने की संभावना है, जिसके आकार लेने के बाद सबसे बड़ा क्षेत्रीय व्यापारिक समूह तैयार होगा, जो आने वाले समय में आर्थिक खेल के लिए परिवर्तक साबित हो सकता है.

आरसीईपी में शामिल 16 देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक तिहाई हिस्सा होंगी और इसमें दुनिया की लगभग आधी आबादी और खरबों डॉलर के व्यापार शामिल होंगे. आरसीईपी का उल्लेख किए बिना दक्षिण पूर्व एशियाई नेताओं के साथ एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, भारत और आसियान के बीच मौजूदा व्यापार समझौते की समीक्षा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इससे न केवल हमारे आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि हमारा व्यापार भी अधिक संतुलित होगा.' आसियान और भारत के लगभग 2 अरब लोगों का संयुक्त बाजार है और 5.5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का जीडीपी है.

दक्षिण-पूर्व एशियाई देश सोमवार को भारत के साथ कम से कम घोषणा करने के लिए कुछ अनंतिम समझौते को देखने के इच्छुक हैं. इस बीच रविवार को थाईलैंड के प्रधान मंत्री प्रथुथ चान-ओचोआ ने आसियान शिखर सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए व्यापार समझौते को किसी निष्कर्ष पर लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

थाईलैंड के पीएम ने कहा, 'हमें इस साल के भीतर आरसीईपी पर बातचीत को किसी निषकर्ष की ओर ले जाने का काम जारी रखना चाहिए, साथ ही व्यापार और निवेश को भी बढ़ावा देना चाहिए.'



भारत समेत जापानी, चीनी और थाई मीडिया में रिपोर्टों के अनुसार, अंतिम रूप से अपने घरेलू चिंताओं और उद्योग आंदोलन का हवाला देते हुए विशेष रूप से घरेलू बाजार में चीनी उत्पादों की बाढ़ के आशंकाओं पर, संभावित निष्कर्ष के बिना एक संयुक्त बयान सोमवार को नेताओं के शिखर सम्मेलन में जारी किए जाने की संभावना है. 


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Last Updated : Nov 4, 2019, 6:42 PM IST
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