बीजिंग : चीन की वैश्विक स्तर पर बुनियादी ढांचा विकास के लिए शुरू की गयी बेल्ट एंड रोड फोरम (एक क्षेत्र-एकमार्ग) पहल का दूसरा महासम्मेलन यहां समाप्त हो गया. इस सम्मेलन के दौरान 64 अरब डॉलर से अधिक के सहयोग करार पर हस्ताक्षर किये गये, साथ ही संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान का आश्वासन भी दिया गया, जो इस संबंध में भारत की ओर से उठाया जा रहा एक प्रमुख मुद्दा रहा है.
भारत ने इस बैठक का बहिष्कार किया था क्योंकि उसे इस पहल के तहत विकसित की जाने वाली 60 अरब डालर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने पर एतराज है. ऐसे में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात कहना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लंबे समय से भारत की मांग रही है.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने सम्मेलन में आए 37 देशों के प्रमुखों के साथ गोलमेज बैठक करने के बाद पत्रकारों से कहा कि इस सम्मेलन की तैयारी और सम्मेलन की अवधि के दौरान व्यावहारिक परिणाम देने वाले 283 प्रस्ताव सामने आए.
मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के एक सत्र में 64 अरब डॉलर के अधिक से सहयोग के करार पर हस्ताक्षर किये गये. बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया. बयान के मुताबिक बीआरआई सहयोग को खुलेपन, पारदर्शिता, समावेशिता और सबके लिए समान स्तर का सम्मान करना चाहिए. यह संप्रभुता के सम्मान को सुनिश्चित करता है.
इसमें कहा गया है, "हम एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं. यह हर राष्ट्र का अधिकार और प्राथमिक जिम्मेदारी है कि उसकी विकास रणनीतियां उसके राष्ट्रीय हितों और विधान के अनुसार हों."
चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियाजना के बारे में चीन का दावा है कि यह एक आर्थिक परियोजना है और संप्रभुता से संबंधी किसी मुद्दे को प्रभावित नहीं करेगी. बयान में कुछ आर्थिक गलियारे और अन्य परियोजनाओं का जिक्र किया गया है जो सम्पर्क सुविधाओं के विकास से प्रेरित और उस पर निर्भर हैं. इनमें चीन-पाकिस्तान के अलावा नेपाल-चीन हिमालय-पारीय बहुआयामी संपर्क नेटवर्क, नेपाल चीन सीमा पारीय रेलवे नेटवर्क और चीन म्यांमा आर्थिक गलियारा परियोजना भी शामिल है.
इस बार फोरम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, नेपाल की राष्ट्रपति विद्याद देवी भंडारी, म्यांमा की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टिन लेगार्ड तथा कई अन्य अफ्रीकी एवं एशियाई देशों के नेता शामिल हुए.
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