नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 के लिए दाखिला प्रक्रिया अगले हफ्ते से शुरू होने की संभावना जताई जा रही है. वहीं इस बार से दिल्ली विश्वविद्यालय में आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए कोटा भी लागू होने जा रहा है. जिसे दो चरण में लागू किया जाएगा. इसको लेकर डीयू के डिप्टी रजिस्ट्रार अकादमिक ने सभी डिपार्टमेंट, फैकेल्टी और प्रिंसिपल से सीटों का ब्योरा मांगा है.
पिछड़े वर्ग को मिलेगा लाभ
दिल्ली विश्वविद्यालय के अकादमिक काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर रसाल सिंह ने बताया कि आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तहत डीयू में 25 फ़ीसदी सीटें बढ़ेंगी. जिसे दो चरणों में बांटा गया है. उन्होंने कहा कि इसके तहत पहले चरण यानी सत्र 2019 - 20 में दस फ़ीसदी सीटें और अगले चरण यानी शैक्षणिक सत्र 2020 - 21 में 15 फ़ीसदी सीटें बढ़ेंगी. सीटों के बढ़ने से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को लाभ होगा और उन्हें भी मुख्यधारा में शामिल किया जा सकेगा.
कैसे होती है सीटें निर्धारित?
प्रो. रसाल सिंह ने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि किसी कॉलेज में सौ सीटें होती हैं तो अभी तक चली आ रही सीटों के विभाजन की प्रणाली के अनुसार उनमें से 50 सीटें सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए होती थी.
इसके अलावा 15 सीटें अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए, आठ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए और 27 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए निर्धारित होती थी. लेकिन डीयू में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू होने के बाद सीटों की संख्या में इजाफा होने की बात कही जा रही है.
प्रो. सिंह के मुताबिक सीटों की संख्या बढ़कर 110 हो जाएगी. जिसमें से 50 सीटें सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए, 17 सीट अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए, 8 सीटें अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए, 30 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए और 5 सीटें ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आने वाले छात्रों के लिए निर्धारित होंगी.