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Crazy Bicycle Trip : पपी के साथ चीन की सीमा तक साइकिल से निकले यात्रा पर

रंजीत डगरा जो वारंगल शहर के करीमाबाद इलाके के रहने वाले हैं, लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने ((increase health awareness among the people) ) और साइकिलिंग को बढ़ावा देने का फैसला किया. इसी उद्देश्य से साइकिल पर वह चीन सीमा तक की यात्रा शुरू कर रहे हैं.

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Published : Feb 9, 2022, 10:42 PM IST

हैदराबाद: एक आधुनिक साइकिल, जिसमें बनाई गई एक टोकरी में एक प्यारे पपी (कुत्ते के बच्चे) जिसके लिए वह टोकरी विशेष रूप से तैयार की गई है. दोनों साइकिल पर चीन सीमा की यात्रा शुरू कर रहे हैं. इस युवा साइकिल चालक साहसिक यात्रा ( Young Cyclist Adventure Trip Started) मंगलवार को शुरू हुई. इस युवक का नाम रंजीत डगरा है जो वारंगल शहर के करीमाबाद इलाके का रहने वाला है.

पढ़ें: साइकिल चलाकर लंदन से भारत पहुंचा कैंसर पीड़ित लुक ग्रेनफुल्ल, दुनियाभर के लोगों को जागरूक करना मकसद

उन्होंने एम. फार्मेसी का अध्ययन किया. वह साइकिल ट्रिप के दीवाने हैं. उनके पिता रामुलु वकील थे. वह उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित थे. रंजीत के पिता की पिछले साल कोरोना से मौत हो गई थी. इसलिए रंजीत ने लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने (increase health awareness among the people) और साइकिलिंग को बढ़ावा देने का फैसला किया.

उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पिछले साल अकेले लद्दाख की साइकिल यात्रा पर गए. उसने इसे सफलतापूर्वक 60 दिनों में पूरा किया. वह 2020 में कन्याकुमारी भी गए थे. इन अभियानों के हिस्से के रूप में, रंजीत रास्ते में जहां भी रुकते हैं, साइकिल (benefits of cycling) चलाने के लाभों के बारे में बताकर युवाओं को प्रेरित करते हैं. उन्होंने मंगलवार को अपने प्यारे पपी (कुत्ते के बच्चे) के साथ हैदराबाद से चीन सीमा तक की यात्रा शुरू की.

हैदराबाद: एक आधुनिक साइकिल, जिसमें बनाई गई एक टोकरी में एक प्यारे पपी (कुत्ते के बच्चे) जिसके लिए वह टोकरी विशेष रूप से तैयार की गई है. दोनों साइकिल पर चीन सीमा की यात्रा शुरू कर रहे हैं. इस युवा साइकिल चालक साहसिक यात्रा ( Young Cyclist Adventure Trip Started) मंगलवार को शुरू हुई. इस युवक का नाम रंजीत डगरा है जो वारंगल शहर के करीमाबाद इलाके का रहने वाला है.

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उन्होंने एम. फार्मेसी का अध्ययन किया. वह साइकिल ट्रिप के दीवाने हैं. उनके पिता रामुलु वकील थे. वह उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित थे. रंजीत के पिता की पिछले साल कोरोना से मौत हो गई थी. इसलिए रंजीत ने लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने (increase health awareness among the people) और साइकिलिंग को बढ़ावा देने का फैसला किया.

उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पिछले साल अकेले लद्दाख की साइकिल यात्रा पर गए. उसने इसे सफलतापूर्वक 60 दिनों में पूरा किया. वह 2020 में कन्याकुमारी भी गए थे. इन अभियानों के हिस्से के रूप में, रंजीत रास्ते में जहां भी रुकते हैं, साइकिल (benefits of cycling) चलाने के लाभों के बारे में बताकर युवाओं को प्रेरित करते हैं. उन्होंने मंगलवार को अपने प्यारे पपी (कुत्ते के बच्चे) के साथ हैदराबाद से चीन सीमा तक की यात्रा शुरू की.

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