गुरुग्राम : देश की नामी मोबाइल ऐप बेस्ड 'अर्बन कंपनी' में काम कर रहे करीब 200 कर्मचारियों ने अपनी ही कंपनी की नीति का विरोध किया है. वे कंपनी की नई सब्सक्रिप्शन पॉलिसी से नाराज हैं. कंपनी ने इन कर्मचारियों को लीगल नोटिस जारी किया है.
इन कर्मचारियों ने एकजुट होकर कंपनी के खिलाफ हड़ताल (Gurugram urban company employee strike) शुरू कर दी है. कड़ाके की ठंड में भी कर्मचारी कंपनी के गेट के बाहर धरने पर बैठे हैं. प्रदर्शन से नाराज होकर कंपनी ने अपने इन कर्मचारियों को लीगल नोटिस दिया है. दरअसल अर्बन कंपनी एक मोबाइल एप्लीकेशन है. यह ब्यूटीशियन, घरेलू क्लीनर, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर जैसी सुविधाएं घर पर ही मुहैया कराती है और कंपनी उसके बदले फीस लेती है.
दरअसल अर्बन कंपनी में इस तरह का विरोध पहले भी हो चुका है. कंपनी की ओर से लाए गए नियमों का लगातार ब्यूटीशियन समेत अन्य कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. इस तरह का विरोध इसी साल अक्टूबर महीने में भी हुआ था. उन्होंने अर्बन कंपनी गुरुग्राम (Uraban company Gurugram) के उद्योग विहार स्थित दफ्तर के बाहर भी धरना दिया. इसके बाद अर्बन कंपनी ने धरने में शामिल 4 से 5 महिलाओं को लीगल नोटिस जारी कर दिया है. इसमें कहा गया है कि कंपनी के बाहर धरना देना गलत है और इसके लिए अब उन पर कार्रवाई की जाए.
कंपनी के नए नियम का विरोध कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि वो करीब दो साल से कंपनी को सेवाएं दे रहे हैं. धरने में शामिल सीमा नाम की कर्मचारी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि नए नियम लागू होने से उनकी आय पर असर पड़ेगा. उनके काम करने की क्षमता भी कम हो जाएगी और इसी का विरोध वह बीते कई दिनों से कर रही हैं, लेकिन नतीजा यह रहा कि कंपनी ने उन्हें लीगल नोटिस भेज दिया.
नए नियमों के मुताबिक अर्बन कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को अब सब्सक्रिप्शन करना होगा. इस सब्सक्रिप्शन के लिए उन्हें तीन हजार रुपये हर महीने कंपनी को देने होंगे. कर्मचारी इसी का विरोध कर रहे हैं. इसके साथ महिला कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें रात के समय सर्विस के लिए जाना पड़ता है, सुरक्षा के लिहाज से कोई व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि कंपनी उन्हें मंथली टारगेट देती है, जिसे पूरा नहीं करने पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जाता है. विरोध कर रही महिला कर्मचारियों का कहना है कि वह सब्सक्रिप्शन के नाम पर कंपनी को कोई रुपये नहीं देना चाहती. ऐसे में कंपनी उनके अधिकारों को दबा रही है.
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