पलामू : झारखंड का यह जिला शुरू से आपसी भाई-चारगी, सांप्रदायिक सौहार्द के लिए जाना जाता रहा है. यहां प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर का अंतिम संस्कार घाट मुस्लिम मोहल्ले में है, जबकि कब्रिस्तान हिंदुओं के मोहल्ले में है.
आज कोविड 19 से मरने वाले मरीजों के अंतिम संस्कार को लेकर कई नकारात्मक खबरें निकल कर सामने आ रही हैं. इन सबके बीच मेदिनीनगर के कोयल नदी हरिश्चंद्र घाट पर तैनात वसीम खान ने आपसी भाई-चारगी की मिसाल पेश की है. हरिश्चंद्र घाट पर हिन्दू समुदाय के लोगों के शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है.
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हरिश्चन्द्र घाट पर शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी वसीम खान पर है. वसीम खान मेदिनीनगर के रहने वाले हैं और घाट के इंचार्ज है. कोविड-19 से मरने वाले लोगों के शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी वसीम पर है.
अब तक कई शवों का कर चुके है अंतिम संस्कार
वसीम खान पिछले कई महीनों से हरिश्चंद्र घाट पर तैनात हैं. 1 महीने के अंदर वसीम ने 50 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया है, जिनमें से अधिकतर मरने वाले कोरोना से संक्रमित थे. रमजान के इस महीने में वसीम घाट पर तैनात हैं, शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.
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वसीम बताते हैं कि शवों के अंतिम संस्कार की वे व्यवस्था करते हैं. उनका प्रयास होता है कि परिजनों को कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े. उन्हें अच्छा लगता है कि उन्हें सेवा का मौका मिल रहा है. कोविड 19 संक्रमित लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के बारे में वो बताते हैं कि लोगों को प्रोटोकॉल का पालन करने को बोलते हैं, साथ ही साफ-सफाई के लिए घाटों पर व्यवस्था की जाती है.