नई दिल्ली: कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विंसेंट एच पाला ने गुरुवार को 'ईटीवी भारत' से बातचीत में असम विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को लेकर बड़ा बयान दिया. कहा कि तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) की अनुपस्थिति पिछले असम विस चुनाव में पार्टी की हार के लिए संकटपूर्ण परिस्थिति थी. अगर तरुण गोगोई होते तो असम चुनाव में कांग्रेस के नतीजे कुछ और होते.
असम, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बड़ा झटका लगा था और पार्टी की बुरी तरह से हार हुई थी. बाद में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पाला, अशोक चव्हाण, सेलमन खुर्शीद, मनीष तिवारी और ज्योति मणि सहित पार्टी के चार अन्य वरिष्ठ नेताओं को इन राज्यों में पार्टी के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने का काम सौंपा गया था.
हाल ही में इस संबंध में सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी गई. पाला ने कहा कि हमने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. आंकलन के दौरान सामने आया कि पार्टी का जमीनी स्तर मजबूत होना चाहिए. हमें ग्रामीण आबादी तक पहुंचने की जरूरत है. पार्टी की राज्य स्तरीय समिति में भी सुधार की जरूरत है.
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बताते चलें कि असम चुनाव से कुछ महीने पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता गोगोई की मृत्यु पोस्ट कोविड जटिलताओं के कारण हुई थी. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), वाम दलों के साथ मिलकर पिछले चुनाव में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाया था. हालांकि, एजीपी और यूपीपीएल सहित बीजेपी और उसके सहयोगियों ने आसानी से राज्य में सरकार बना ली.
मेघालय में कोरोना की स्थिति चिंताजनक
पूर्वोत्तर में विशेष रूप से मेघालय में वर्तमान महामारी की स्थिति का उल्लेख करते हुए, पाला ने आरोप लगाया कि नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेतृत्व वाली मेघालय सरकार स्थिति का प्रबंधन करने में बुरी तरह विफल रही है. मेघालय में कोविड की स्थिति बेहद दयनीय है. राज्य में रोजाना मामलों की संख्या बढ़ रही है और टीकाकरण का प्रतिशत भी बहुत खराब है. कोविड-19 के खिलाफ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच समन्वय की कमी है.
पूर्वोत्तर में कोविड के मामलों में स्पाइक से चिंतित, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पूर्वोत्तर राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ स्थिति की समीक्षा की. पहली लहर में स्थिति नियंत्रण में थी, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कोविड की स्थिति और खराब हो गई है. पाला ने कहा कि लोगों का सरकार पर विश्वास कम है. विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग महामारी के बारे में ठीक से जागरूक नहीं है और टीकाकरण की गति भी धीमी है.