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दो दोस्तों ने किया GBP प्लांट का आविष्कार, 1 रुपये प्रति यूनिट से कम पर मिलेगी बिजली

बिजली हमारी दैनिक दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है. चंद मिनटों के लिए अगर बिजली कट जाए तो सभी काम अस्त-व्यस्त हो जाते हैं. आमतौर पर बिजली का बिल 5 से ₹10 प्रति यूनिट आता है. लेकिन कल्पना कीजिए कि अगर बिजली 1 रुपये प्रति यूनिट से कम पर मिले तो आम आदमी को कितनी राहत मिलेगी. पढ़ें पूरी खबर...

दो दोस्तों ने किया GBP प्लांट का आविष्कार
दो दोस्तों ने किया GBP प्लांट का आविष्कार
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Published : Aug 31, 2021, 4:33 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश जल निगम ( Uttar Pradesh Jal Nigam ) के अधिशासी अभियंता अमित सेहरावत ( Executive Engineer Amit Sehrawat ) और टाटा ग्रुप में मैनेजर के पद पर काम कर रहे उनके दोस्त राम अनुज तिवारी ने मिलकर एक पावर प्लांट का आविष्कार किया है. यह प्लांट एक रुपए प्रति यूनिट से भी कम की लागत पर बिजली पैदा करता है. पावर प्लांट को ग्रेविटी बॉयनसी पावर प्लांट ( Gravity Buoyancy Power Plant ) का नाम दिया गया है. प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए किसी ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसके पेटेंट के लिए हाल ही में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया को आवेदन दिया गया है.

ईंधन रहित प्लांट

अमित सेहरावत ने बताया, बिजली पैदा करने के लिए गियर मेकैनिज्म के साथ में मैकेनिकल चेंज ड्राइव ( Mechanical Change Drive ) का इस्तेमाल करके अल्टरनेटर को घुमाने के लिए लो स्पीड RPM को 1500 RPM तक बढ़ाया जाता है. GBP प्लांट किसी भी तरह के ईंधन डीजल, गैस, सौर ताकत के बिना काम करता है, जिसके कारण इस टेक्नोलॉजी में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता.

प्रदेश सरकार को GBP प्लांट के बारे में जानकारी दी जाएगी

1 रुपये प्रति यूनिट बिजली

सेहरावत ने बताया यूरोप के कई देश पिछले कई वर्षों से बिजली पैदा करने के दीर्घकालिक और पर्यावरण अनुकूल समाधान खोजने पर रिसर्च कर रहे हैं. यदि भारत में सरकार हमारे आविष्कार को सहयोग दे तो हम किसानों को 1 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दे सकते हैं.

3 साल पहले शुरू किया प्रोजेक्ट

अमित ने बताया कि तकरीबन 3 साल पहले इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया था. धीरे-धीरे कामयाबी मिलनी शुरू हुई और आज जीबीपी प्लांट का प्रोटोटाइप (Prototype) बनकर तैयार है. प्रोटोटाइप को तैयार करने में आई लागत को लेकर अमित सेहरावत का कहना है कि अभी आकलन किया जा रहा है कि GBP प्लांट को तैयार करने में कितना खर्च आया है.

मेक इन इंडिया के तहत निर्माण

अमित बताते हैं कि मेक इन इंडिया के तहत पावर प्लांट का निर्माण करना चाहते थे. प्लांट में लगने वाले कई उपकरण भारत में उपलब्ध नहीं थे, जो कि जर्मनी और अमेरिका से इंपोर्ट कराने पड़े.

पढ़ें : बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एनटीपीसी तैयार

अविष्कारकर्ताओं का कहना है कि जल्द केंद्र और प्रदेश सरकार को GBP प्लांट के बारे में जानकारी दी जाएगी. यदि सरकार सहयोग करती है तो आने वाले समय में प्लांट को आम जनता के लिए बाजार में उचित दरों पर उतारा जाएगा.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश जल निगम ( Uttar Pradesh Jal Nigam ) के अधिशासी अभियंता अमित सेहरावत ( Executive Engineer Amit Sehrawat ) और टाटा ग्रुप में मैनेजर के पद पर काम कर रहे उनके दोस्त राम अनुज तिवारी ने मिलकर एक पावर प्लांट का आविष्कार किया है. यह प्लांट एक रुपए प्रति यूनिट से भी कम की लागत पर बिजली पैदा करता है. पावर प्लांट को ग्रेविटी बॉयनसी पावर प्लांट ( Gravity Buoyancy Power Plant ) का नाम दिया गया है. प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए किसी ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसके पेटेंट के लिए हाल ही में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया को आवेदन दिया गया है.

ईंधन रहित प्लांट

अमित सेहरावत ने बताया, बिजली पैदा करने के लिए गियर मेकैनिज्म के साथ में मैकेनिकल चेंज ड्राइव ( Mechanical Change Drive ) का इस्तेमाल करके अल्टरनेटर को घुमाने के लिए लो स्पीड RPM को 1500 RPM तक बढ़ाया जाता है. GBP प्लांट किसी भी तरह के ईंधन डीजल, गैस, सौर ताकत के बिना काम करता है, जिसके कारण इस टेक्नोलॉजी में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता.

प्रदेश सरकार को GBP प्लांट के बारे में जानकारी दी जाएगी

1 रुपये प्रति यूनिट बिजली

सेहरावत ने बताया यूरोप के कई देश पिछले कई वर्षों से बिजली पैदा करने के दीर्घकालिक और पर्यावरण अनुकूल समाधान खोजने पर रिसर्च कर रहे हैं. यदि भारत में सरकार हमारे आविष्कार को सहयोग दे तो हम किसानों को 1 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दे सकते हैं.

3 साल पहले शुरू किया प्रोजेक्ट

अमित ने बताया कि तकरीबन 3 साल पहले इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया था. धीरे-धीरे कामयाबी मिलनी शुरू हुई और आज जीबीपी प्लांट का प्रोटोटाइप (Prototype) बनकर तैयार है. प्रोटोटाइप को तैयार करने में आई लागत को लेकर अमित सेहरावत का कहना है कि अभी आकलन किया जा रहा है कि GBP प्लांट को तैयार करने में कितना खर्च आया है.

मेक इन इंडिया के तहत निर्माण

अमित बताते हैं कि मेक इन इंडिया के तहत पावर प्लांट का निर्माण करना चाहते थे. प्लांट में लगने वाले कई उपकरण भारत में उपलब्ध नहीं थे, जो कि जर्मनी और अमेरिका से इंपोर्ट कराने पड़े.

पढ़ें : बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एनटीपीसी तैयार

अविष्कारकर्ताओं का कहना है कि जल्द केंद्र और प्रदेश सरकार को GBP प्लांट के बारे में जानकारी दी जाएगी. यदि सरकार सहयोग करती है तो आने वाले समय में प्लांट को आम जनता के लिए बाजार में उचित दरों पर उतारा जाएगा.

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