हैदराबाद : एक बार फिर काेराेना मामलाें में तेजी से इजाफा देखने काे मिल रहा है. काेराेना से निपटने के लिए सभी राज्य अपने-अपने स्तर पर प्रयासरत हैं.
कहा जा रहा है कि काेराेना की दूसरी लहर पहले से ज्यादा खतरनाक है. SARS-CoV-2 के हवा के जरिए फैलने काे लेकर द लैंसेट COVID-19 आयोग की इंडिया टास्क फोर्स के सदस्यों द्वारा एक शोध किया गया. इस ताजा शाेध रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि काेराेना की दूसरी लहर में मरने वालों की संख्या दोगुनी हो सकती है. काेराेना की दूसरी लहर 2020 में होने वाली काेराेना से कुछ अलग है, क्योंकि इसमें संक्रमण तेजी से फैल रहा है.
SARS-CoV-2 के हवा से फैलने के 10 वैज्ञानिक कारण
जानकारी के मुताबिक, टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (टीपीआर) अप्रैल 2021 के पहले सप्ताह में 2.8% से बढ़कर 10 अप्रैल 2021 तक 10.3% हो गई, जबकि महाराष्ट्र में यह 25% थी. वहीं समग्र रूप से फैटालिटी रेशियो (सीएफआर) कम है लेकिन भारत में रोजाना इससे सैकड़ों लाेगाें की माैत हाे रही है. साक्ष्य बताते हैं कि SARS-CoV-2 का प्रसार मुख्य रूप से हवा से हाे रहा है.
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हवा के जरिए काेराेना फैलने की बात करें ताे पहला कारण, SARS-CoV-2 के प्रसार में हमारा व्यवहार, सामाजिक दूरी, बातचीत करने का तरीका, कमरे का आकार, वेंटिलेशन की व्यवस्था पर निर्भर करता है. इसके अलावा एक-दूसरे के बीच लंबी दूसरी हाेने के बावजूद काेराेना फैल रही है. इसमें क्रूज जहाजों, बूचड़खानों, केयर हाेम के उदाहरण काे लिया जा सकता है.
दूसरा, निकटवर्ती कमरों में रहने वालाें लोगों के बीच SARS-CoV-2 फैल सकता है. जिसे लंबी दूरी का प्रसारण कह सकते हैं. हाेटलाें में जहां लाेग एक-दूसरे से दूर रहते हैं और बिलकुल एक-दूसरे के संपर्क में नहीं आते वहां भी काेराेना का प्रसार तेजी से देखा गया है. इसे साबित भी किया जा सकता है.
तीसरा, रिपाेर्ट बताते हैं कि ऐसे लाेग भी काेराेना संक्रमित पाये गए हैं, जिनमें काेराेना के काेई लक्षण देखने काे नहीं मिले. उनमें खांसी या छींकने जैसे लक्षण नहीं थे लेकिन वे काेराेना संक्रमित पाये गए हैं. विश्व स्तर पर ऐसे मामलाें की संख्या 59% तक देखने काे मिला है.
चौथा, SARS-CoV-2 का प्रसार बाहर की तुलना में अधिक घर के अंदर हो रहा है, क्याेंकि हवा के प्रसार के लिए जरूरत के मुताबिक जगह नहीं हाेती लेकिन इनडोर वेंटिलेशन द्वारा काफी हद तक इसका प्रभाव कम हो जाता है.
पांचवां, नोसोकोमियल संक्रमणों का हेल्थ केयर ऑर्गनाइजेशन में जिक्र किया गया है, जहां छोटी-छोटी सावधानियां और व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई) का उपयोग किया गया है, हालांकि ये श्वांस की छोटी कणाें से बचाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, लेकिन एरोसोल एक्सपोज़र के लिए नहीं.
छठा, व्यवहार्य SARS-CoV-2 हवा में पाया गया है. प्रयोगशाला में यह स्पष्ट हुआ है कि SARS-CoV-2 का संक्रमण हवा में 3 घंटे तक रहता है. SARV-COV-2 की पहचान COVID-19 रोगियों के कमरों की हवा के नमूनों से की गई है.
सातवां, SARS-CoV-2 की पहचान COVID-19 रोगियों वाले अस्पतालों में एयर फिल्टर और बिल्डिंग नलिकाओं में की गई है, ऐसे स्थानों तक केवल एरोसोल द्वारा ही पहुंचा जा सकता था.
आठवां, पिंजड़े में बंद संक्रमित जानवरों से संक्रमण दूसरे जानवराें में फैल सकता है. जो केवल एरोसोल द्वारा पर्याप्त रूप से समझाया जा सकता है.
नौवां, अभी तक किसी भी अध्ययन ने सार्स-सीओवी -2 के हवा के जरिए फैलने की परिकल्पना का खंडन करने के लिए मजबूत या सुसंगत साक्ष्य पेश नहीं कर पाए हैं. हालांकि ऐसा भी हुआ है कि संक्रमित लोगों के साथ हवा साझा करने पर बाद भी कुछ लोगों में SARS-CoV-2 संक्रमण नहीं हुआ है, लेकिन यह विभिन्न कारकों के संयोजन पर निर्भर करता है.
दसवां, काेराेना फैलने के अन्य कारणाें जैसे रेस्पेरेटॉरी ड्रॉपलेट व fomite से काेराेना फैलने काे लेकर साक्ष्य पर्याप्त नहीं मिलेंगे. एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलने वाला काेराेना रेस्पेरेटॉरी ड्रॉपलेट से काेराेना फैलने के उदारणाें में शामिल किया जा सकता है.
ताजा इस अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि हवा के संचरण से काेराेना फैलने की प्रबल संभावना है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए बिना देर किए इस दिशा में आगे बढ़ने और जरूरी कदम उठाने की जरूरत है. इसे ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर लाेगाें का टीकाकरण किया जाए. साथ ही गैर-चिकित्सा सावधानियों जैसे मास्क का उपयोग, सामाजिक दूरी आदि के पालन की आवश्यकता है.