नई दिल्ली: ताइवान संकट के बाद भारत ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में शुक्रवार को कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत भी हालिया घटनाक्रम को लेकर चिंतित है तथा क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने वाली एकतरफा कार्रवाई करने से दूर रहने का आह्वान करता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में ताइवान के मुद्दे पर पूछे गए सवालों पर कहा कि हम संयम बरतने और क्षेत्र में तनाव घटाने और शांति एवं स्थिरता बरकरार रखने के प्रयास करने की अपील करते हैं.
गौरतलब है कि अमेरिका की प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी की हाल की ताइवान यात्रा से खफा चीन ने अमेरिकी राजदूत को तलब कर मामले पर कड़ा विरोध व्यक्त किया था. पेलोसी की यात्रा पर रोष व्यक्त करते हुए चीन ने ताइवान के हवाई क्षेत्र के पास कई चीनी लड़ाकू विमान उड़ाए और ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य अभ्यास किया है. चीन ने आगाह किया है कि अमेरिका को उसकी गलतियों की कीमत चुकानी होगी.
इस बारे में प्रश्न पूछने पर बागची ने कहा, 'कई अन्य देशों की तरह भारत भी हालिया घटनाक्रम को लेकर चिंतित है.' उन्होंने कहा कि हम क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने वाली एकतरफा कार्रवाई करने से दूर रहने व संयम बरतने का अनुरोध करते हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत की प्रासंगिक नीतियां सर्वविदित और सुसंगत हैं. उन्हें दोबारा बताने की आवश्यकता नहीं है.
'भारत और नाटो पिछले कुछ समय से संपर्क में'
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) पिछले कुछ समय से विभिन्न स्तरों पर एक दूसरे के साथ संपर्क में हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से जब प्रेस वार्ता में इस खबर के बारे में पूछा गया कि भारत ने नाटो के साथ पहला राजनीतिक संवाद दिसंबर 2019 में किया था तो उन्होंने यह बात कही. बागची ने कहा, भारत और नाटो पिछले कुछ समय से विभिन्न स्तरों पर ब्रसेल्स में संपर्क में बनाए हुए हैं. यह परस्पर हित के वैश्विक विषयों पर अनेक हितधारकों से हमारे संपर्क में शामिल है.' नाटो एक अंतर-सरकारी सैन्य समूह है जिसमें 30 सदस्य देश हैं. इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की गयी थी और इसका मुख्यालय ब्रसेल्स में है.
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