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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: पत्‍नी ने मरने से पहले बयान में पति की क्रूरता बताई हो तो सबूत हो सकता है

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Published : May 14, 2022, 10:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर मरने से पहले बयान में पत्‍नी अपने पति की क्रूरता का जिक्र करती है तो उसे IPC की धारा 498A के तहत आरोपों की सुनवाई के दौरान सबूत के तौर पर रखा जा सकता है.

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि पत्नी पर पति द्वारा की गई क्रूरता के संबंध में मृत्यु पूर्व दिए गए पत्नी के बयान साक्ष्य अधिनियम के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत आरोपों की सुनवाई के दौरान स्वीकार्य होंगे.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने हालांकि कहा कि साक्ष्य स्वीकार किए जाने से पहले कुछ आवश्यक शर्तें पूरी की जानी होंगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि पहली शर्त यह है कि मामले में उसकी मृत्यु का कारण प्रश्न के दायरे में आना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने और भी शर्तों का जिक्र किया.

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न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर यह टिप्पणी की. अदालत ने अपने आदेश में उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी के तहत बरी कर दिया था, लेकिन धारा 498 ए के तहत दोषी करार दिया था.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि पत्नी पर पति द्वारा की गई क्रूरता के संबंध में मृत्यु पूर्व दिए गए पत्नी के बयान साक्ष्य अधिनियम के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत आरोपों की सुनवाई के दौरान स्वीकार्य होंगे.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने हालांकि कहा कि साक्ष्य स्वीकार किए जाने से पहले कुछ आवश्यक शर्तें पूरी की जानी होंगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि पहली शर्त यह है कि मामले में उसकी मृत्यु का कारण प्रश्न के दायरे में आना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने और भी शर्तों का जिक्र किया.

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न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर यह टिप्पणी की. अदालत ने अपने आदेश में उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी के तहत बरी कर दिया था, लेकिन धारा 498 ए के तहत दोषी करार दिया था.

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