प्रयागराज : एसआरएन कोविड एल 3 अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही की वजह से एक बेटा अपने पिता का न तो अंतिम दर्शन कर सका और न ही अंतिम संस्कार. बताया जा रहा है कि अस्पताल में मरीज की मौत की जानकारी उसके परिवार वालों को नहीं दी गई और लावारिस की तरह शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया, जबकि मृतक का बेटा रोज अपने बीमार पिता के लिए जूस और खाने-पीने के समान के साथ ही कपड़े लेकर अस्पताल आता था.
प्रयागराज में कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए एसआरएन अस्पताल को कोविड एल 3 अस्पताल बनाया गया है. जहां पर कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है. इसी अस्पताल में 13 अप्रैल को 82 साल के मोतीलाल को उनके बेटे (बच्चीलाल) ने भर्ती करवाया था. बेटा, पिता के लिए खाने-पीने के सामान के साथ ही कपड़े लाकर रोजना अस्पताल आता था, जिस सामान को बेटे से लेकर अस्पताल के ही कमर्चारी अंदर पिता तक पहुंचाते थे. 17 अप्रैल को हुई पिता की मौत से बेखबर बेटा 21 अप्रैल तक जूस, खाना और कपड़े अस्पताल के कमर्चारी के हाथ अंदर भिजवाता रहा.
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जूस और कपड़े लौटाने पर हुआ खुलासा
21 अप्रैल को बेटे द्धारा पिता के लिए लाए गए सामन को अस्पताल कर्मचारी ने लेने से मना कर दिया. इस बीच अस्पताल द्धारा यह बात भी कही गई कि जो शख्स (बेटा) सामान लेकर आ रहा है, वो परिजन ही नहीं है. अस्पताल द्धारा कही इस बात से बच्चीलाल का दिल छलनी हो गया, उसने अस्पताल को यकीन दिलाया कि वहीं मोतीलाल का बेटा बच्चीलाल है. दुखी मन से बच्चीलाल (बेटा) ने अस्पताल से अपने पिता से बात करवाने की गुहार लगाई, इस पर अस्पताल के स्टाफ ने जिस व्यक्ति को मोतीलाल के रूप में दिखाया, उसे देख बच्चीलाल के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई. क्योंकि जिस व्यक्ति को मोतीलाल बनाकर दिखाया गया, असल में वह मोतीलाल था ही नहीं.
पिता की खोज करने पर मिला डेथ सर्टिफिकेट
इस बीच बच्चीलाल ने अस्पताल कर्मचारियों से अपने पिता की जानकारी मांगनी शुरू कर दी. डॉक्टर से लेकर वार्ड ब्वॉय तक की डांट फटकार के बाद भी बच्चीलाल अपने पिता से मिलने की जिद करता रहा. इस दौरान बच्चीलाल को बताया गया कि उनके पिता की हालत बिगड़ने लगी है और उन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया है, लेकिन उस वार्ड में जाने पर बच्चीलाल को पता चला कि उनके पिता की मौत तो 17 अप्रैल को ही हो चुकी थी और शव का लावारिस की तरह अंतिम संस्कार भी करवा दिया गया, जिसके बाद बच्चीलाल ने पूरे मामले की शिकायत अस्पताल के जिम्मेदार लोगों से की, जहां उन्हें पिता का डेथ सर्टिफिकेट पकड़ा दिया गया.
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जिम्मेदारों से नहीं हो सकी बात
इस पूरे मामले पर बात करने के लिए अस्पताल के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल कोरोना संकम्रित होने की वजह से ऑफिस नहीं आ रहे हैं. वहीं इस मामले में इतनी बड़ी लापरवाही के पीछे एक वजह यह बताई जा रही है कि वहां पर मोतीलाल नाम के एक मरीज की मौत के बाद उसी नाम का दूसरा मरीज भर्ती हो गया था, जिस वजह से ये चूक हुई.
पिता का अंतिम संस्कार न कर पाने का मलाल
अब बच्चीलाल अपने पिता का आखिरी बार मुंह न देख पाने के साथ ही अंतिम संस्कार न कर पाने की वजह से व्यथित हैं. उन्होंने लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन महामारी के इस काल में उसकी व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है. अब बच्चीलाल अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों द्वारा किए गए इस लापरवाही को लेकर इंसाफ चाहते हैं. उसका कहना है कि डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उन्हें उनके पिता का अंतिम संस्कार करने का मौका तक नहीं मिला. साथ ही वह उनके अंतिम दर्शन तक नहीं कर सका.