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ईडी चीफ का कार्यकाल बढ़ाने पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली सर्वोच्च पीठ ने ईडी और सीबीआई प्रमुख के कार्यकाल को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

SC
उच्चतम न्यायालय
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Published : Aug 2, 2022, 5:49 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से जवाब मांगा. इन याचिकाओं में उस संशोधित कानून को चुनौती दी गई है, जिसके तहत निदेशक के कार्यकाल में पांच साल तक के विस्तार की अनुमति दी गई है.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने आठ याचिकाओं के प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए. कांग्रेस नेताओं रणदीप सिंह सुरजेवाला और जया ठाकुर तथा तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले ने भी याचिकाएं दाखिल की हैं. वकील एम एल शर्मा ने इस मामले पर पहली याचिका दायर की थी. सुरजेवाला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने शीर्ष अदालत के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि निश्चित कार्यकाल स्वतंत्रता की पहचान है और यह तथ्य कि एक पदधारी को विस्तार मिल सकता है, कार्यालय की स्वतंत्रता को ध्वस्त कर देगा.

संजय मिश्रा को 2018 में नियुक्त किया गया था और उन्हें 2020 में सेवानिवृत्त होना पड़ा क्योंकि वह 60 वर्ष के हो गए थे लेकिन केंद्र ने उनका कार्यकाल यह कहते हुए बढ़ा दिया था कि कार्यकाल की अवधि अब 2 से 5 वर्ष हो गई है.

पढ़ें- ED के लिए अपराध से पहले ही छापा मारने, संपत्ति कुर्क करने का रास्ता साफ : करनाल सिंह

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से जवाब मांगा. इन याचिकाओं में उस संशोधित कानून को चुनौती दी गई है, जिसके तहत निदेशक के कार्यकाल में पांच साल तक के विस्तार की अनुमति दी गई है.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने आठ याचिकाओं के प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए. कांग्रेस नेताओं रणदीप सिंह सुरजेवाला और जया ठाकुर तथा तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले ने भी याचिकाएं दाखिल की हैं. वकील एम एल शर्मा ने इस मामले पर पहली याचिका दायर की थी. सुरजेवाला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने शीर्ष अदालत के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि निश्चित कार्यकाल स्वतंत्रता की पहचान है और यह तथ्य कि एक पदधारी को विस्तार मिल सकता है, कार्यालय की स्वतंत्रता को ध्वस्त कर देगा.

संजय मिश्रा को 2018 में नियुक्त किया गया था और उन्हें 2020 में सेवानिवृत्त होना पड़ा क्योंकि वह 60 वर्ष के हो गए थे लेकिन केंद्र ने उनका कार्यकाल यह कहते हुए बढ़ा दिया था कि कार्यकाल की अवधि अब 2 से 5 वर्ष हो गई है.

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